भोपाल के उपभोक्ता आयोग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर 4.43 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। यह फैसला एक हार्ट अटैक पीड़ित मरीज का बीमा क्लेम अस्वीकार करने पर दिया गया। मामला हाल ही में सामने आया, जहां बीमा कंपनी ने एक व्यक्ति के चिकित्सा दावे (क्लेम) को यह कहकर खारिज कर दिया कि उसने अपनी पूर्व बीमारी की जानकारी छुपाई थी। हालांकि, उपभोक्ता आयोग ने इस फैसले को गलत ठहराते हुए बीमा कंपनी पर जुर्माना लगाया और दावे की राशि के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया। यह फैसला आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य प्रतिभा पांडे ने सुनाया।
क्या है पूरा मामला कोलार रोड, भोपाल के निवासी ओमप्रकाश पुरोहित को 15 अप्रैल 2023 को अचानक हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उन्हें बेंगलुरु के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उन्हें दो स्टेंट डाले गए और फिर 17 अप्रैल को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। बाद में 16 जून 2023 को उन्हें दोबारा भर्ती होना पड़ा, और इस बार उन्हें दो और स्टेंट डाले गए। कुल मिलाकर उनके इलाज पर 3.58 लाख रुपए का खर्च आया, जिसे उन्होंने अपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत क्लेम करने की कोशिश की।
बीमा कंपनी ने क्यों किया क्लेम रिजेक्ट? जब ओमप्रकाश ने निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम के लिए संपर्क किया, तो कंपनी ने इसे यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि 2017 में किए गए एक टेस्ट में उन्हें गॉल स्टोन पैनक्रिएटाइटिस (पित्ताशय की पथरी से जुड़ी बीमारी) पाई गई थी, लेकिन इस बात को उन्होंने बीमा पॉलिसी लेते समय नहीं बताया था। बीमा कंपनी ने इस आधार पर उनकी पॉलिसी निरस्त कर दी और क्लेम की राशि देने से इनकार कर दिया।
उपभोक्ता फोरम का फैसला बीमा कंपनी की इस मनमानी के खिलाफ ओमप्रकाश ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। फोरम ने इस मामले की जांच के बाद फैसला दिया कि बीमा कंपनी ने सेवा में कमी की है और उपभोक्ता के अधिकारों का हनन किया है। फोरम ने बीमा कंपनी को आदेश दिया।