6 जून 1981 को हुए इस रेल हादसे ने केवल देश ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। भारतीय रेल (Indian Railway) के इतिहास में इसे सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा करार दिया गया है। ओडिशा में हुए ट्रेन एक्सीडेंट ने इस एक बार फिर से इस हादसे की याद ताजा कर दिया है। 6 जून 1981 की वो शाम...9 डिब्बों के साथ पैसेंजर ट्रेन 416DN मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी। उस वक्त खगड़िया से सहरसा जाने वाली ये एकलौती ट्रेन थी, इसलिए भीड़ का अंदाजा आप लगा सकते हैं। ट्रेन खचाखच भरी थी। अंदर से लेकर बाहर तक लोग लदे हुए थे। जिसे सीट नहीं मिल सका, वो ट्रेन के दरवाजों, खिड़कियों पर लटका हुआ था। इंजन के आगे-पीछे लोग बैठे हुए थे। ट्रेनों की छतों पर लोग किसी तरह बैठकर सफर कर रहे थे।
ट्रेन बदला स्टेशन से आगे बढ़ी ही थी कि आंधी-बारिश शुरू हो गई। आगे बागमती नदी थी। ट्रेन को पुल संख्या 51 से होकर गुजरना था। जबरदस्त बारिश हो रही थी। पटरियों पर फिसलन थी और सामने लबालब भरी बागमती नदी । ड्राइवर ने ट्रेन को पुल पर चढा दिया। कुछ ही मिनट हुए थे कि ड्राइवर ने अचानक इमरजेंसी ब्रेक लगा दी। ब्रेक मारते ही 9 में से 7 डिब्बे पुल तोड़कर नदी में समा गए। चीख-पुकार मचने लगी। नदीं में डूबे यात्री मदद की गुहार लगा रहे थे, लेकिन उस वक्त पुकार सुनने वाला कोई नहीं थी। भारी बारिश की वजह से राहत बचाव में घंटों की देरी हो गई । तब तक बहुत कुछ खत्म हो चुका था।