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रविवार सप्तमी

Updated on 14-08-2021 01:54 PM
रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता |
🙏🏻 रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |
🌞 सूर्य भगवान पूजन विधि 🌞
🙏🏻 १) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |
🙏🏻 २) जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |
🌞 सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र 🌞
🌷 1. ॐ मित्राय नमः।
🌷 2. ॐ रवये नमः।
🌷 3. ॐ सूर्याय नमः।
🌷 4. ॐ भानवे नमः।
🌷 5. ॐ खगाय नमः।
🌷 6. ॐ पूष्णे नमः।
🌷 7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
🌷 8. ॐ मरीचये नमः।
🌷 9. ॐ आदित्याय नमः।
🌷 10. ॐ सवित्रे नमः।
🌷 11. ॐ अर्काय नमः।
🌷 12. ॐ भास्कराय नमः।
🌷 13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।

दुनिया में कई तरह के रत्न होते हैं जिनको व्यक्ति धारण करते हैं | किसी रत्न को गले में तो किसी रख हाथ में धारण किया जाता है | हर रत्न का एक अलग कर रहे होता है  और सभी अलग-अलग समस्याओं का निवारण करता है  | ऐसे मनुष्य अपनी समस्या को देखते हुए रत्न धारण करता है | ऐसा ही एक रस है पुखराज | पुखराज  को बृहस्पति ग्रह का रत्न कहा जाता है | इसको पहनने से बृहस्पति ग्रह की कृपया बनी रहती है| बृहस्पति ग्रह से जुड़े किसी भी समस्या से छुटकारा मिल जाता है| पुखराज रत्न दो तरह का होता है एक सुनहरे रंग का होता है और एक सफेद रंग का होता है | यह श्रीलंका, ब्राजील जैसे आदि देश में पाया जाता है | लेकिन बर्मा  देश में मिलने वाले रत्न की अधिक मान्यता होती है | और उसको सर्वोत्तम माना जाता है | ज्यादातर यह रत्न ग्रेनाईट की चट्टानों के बीच पाया जाता है | इस रत्न को पहनने से कई तरह की समस्याओं के समाधान मिल जाता है | और खास कर यह कौन लड़कियों के लिए लाभकारी होता है जो लड़कियां शादी की इच्छा रखते हैं पुखराज रत्न धारण करने से लड़कियों को उनका मनचाहा वर प्राप्त हो सकता है |

 पीला  पुखराज रत्न - यह उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी होता है जो बलशाली होने की इच्छा रखते हैं और पुखराज का पीला रत्न व्यक्ति की सफलता में सहायता करता है | हर व्यक्ति में मन की इच्छा शक्ति को जागृत करता है और और यह धनवान बना देता है| जिन व्यक्तियों को धन की इच्छा है और धनवान बनना चाहते हैं उनको पीला रत्न धारण करना चाहिए |
 सभी रत्न दो प्रकार से कार्य करते हैं एक अच्छा और एक बुरा इसीलिए किसी की रत्न को धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी या पंडित से सलाह लेकर धारण करें जिससे वह आपको सही-सही बता बता दे जो आपको सफलता दिलाएं | आज के इस लेख में हमें आपको पुखराज रत्न  के बारे में बताएंगे कि इसको पहनने से आपके जीवन में किस प्रकार खुशियां और सफलता आएगी |
 ये रत्न बहुत ही कीमती होता है  जिसके कारण हर व्यक्ति से धारण नहीं कर सकता  है | इसीलिए जो कीमत ज्यादा होने की वजह से इसको धारण नहीं कर पा रहे है वो सुनहरे रंग का रत्न धारण कर सकते हैं |
 फायदे -
1. व्यापार में मुनाफा - यदि किसी व्यक्ति को उसके व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है तो उस पुखराज का पीला रत्न धारण करना चाहिए उसके व्यापार में हो रहे नुकसान छुटकारा मिल जाएगा | और उसको अपने व्यापार में सफलता और धन की प्राप्ति होने लगेगी |
2. मान सम्मान में वृद्धि- यदि किसी कारण से किसी व्यक्ति का समाज में मान सम्मान कम या खत्म हो रहा है तो उसको पुखराज का पीला रत्न धारण करना चाहिए | इससे समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होगी |
3. ज्ञान - पुखराज का पीला रत्न धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है|
4. धन दौलत - पुखराज का पीला रत्न धारण करने से व्यक्ति के पास धन - दौलत की कमी नहीं रह जाती है |
5. सफलता - यदि आपके जीवन में सफलता की प्राप्ति नहीं हो रही है तो आपको बृहस्पति ग्रह का पीला रत्न धारण करना चाहिए जिससे आपके जीवन में सफलता की प्राप्ति होगी |
6. इच्छा शक्ति जागृत होना - यदि आपका कुछ भी काम करने का मन नहीं होता |  और आपकी इच्छा  किसी भी कार्य को करने में नहीं लगती है तो आपको बृहस्पति ग्रह का पीला रत्न धारण करना चाहिए इससे आपकी इच्छा शक्ति जागृत होती है |

 पहनने की विधि - ये रत्न बृहस्पतिवार के दिन  हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए | ऐसे सोने या पंचधातु में जड़वा कर  हीं पहनना चाहिए | इस रत्न को पहनने से पहले किसी तांबे की कटोरी या किसी सामान्य बर्तन में गंगाजल, तुलसी के पत्ते, और गाय का कच्चा दूध, शहद और घी से बने हुए घोल में डाल दें  

 मीन और धनु राशि वालों को इस रत्न को धारण करना चाहिए | मेष, कर्क, सिंह और और वृश्चिक राशि वाले भी इसे धारण कर सकते हैं


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