ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार में एक मंत्री पर भारत की IT कंपनी इंफोसिस को मदद करने का आरोप लगा है। ब्रिटिश मीडिया डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी से ट्रेड मिनिस्टर लॉर्ड जॉनसन पिछले साल भारत गए थे। इस दौरान उन्होंने इंफोसिस कंपनी के अधिकारियों से भी मुलाकात की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, मीटिंग के दौरान जॉनसन ने कहा था- मैं चाहता हूं कि ब्रिटेन में इंफोसिस कंपनी तरक्की करे। मैं इसके लिए जो भी कर सकता हूं, वो जरूर करूंगा। बता दें कि इंफोसिस अक्षता के परिवार की कंपनी है। इसके फाउंडर भारत के अरबपति नारायण मूर्ति हैं। इंफोसिस में अक्षता के पास 0.91% की हिस्सेदारी है। इसकी कीमत करीब 5.21 हजार करोड़ रुपए है।
ट्रेड मंत्री ने बताया कैसे इंफोसिस अपने कर्मचारियों को वीजा दिलाए
ट्रेड मिनिस्टर ने बैठक में आगे कहा था- इंफोसिस के साथ संबंध हमारे लिए बेहद अहम हैं। जब भी जरूरत होगी, हम कंपनी के साथ मंत्री स्तर पर बातचीत जारी रखेंगे। लॉर्ड जॉनसन और इंफोसिस के बीच यह बैठक पिछले साल अप्रैल में हुई थी। इस दौरान, जॉनसन ने यह भी बताया था कि कंपनी कैसे अपने कर्मचारियों के लिए ब्रिटिश वीजा हासिल कर सकती है। साथ ही उन्हें ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को लेकर भी आश्वस्त किया था।
डेली मिरर ने फ्रीडम ऑफ इनफॉर्मेशन का हवाला देते हुए ब्रिटिश सरकार से इस मीटिंग की डीटेल्स मांगी थीं। इसी जानकारी के आधार पर मीडिया हाउस ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। वहीं ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी ने इंफोसिस को दिए गई VIP सुविधा को लेकर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहा कि सरकार को इस मामले में पूरी पारदर्शिता रखते हुए जवाब देना होगा।
पब्लिक सेक्टर कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए चुनी गई कंपनियों में इंफोसिस भी शामिल
डेली मिरर के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों के अंदर इंफोसिस को ब्रिटेन में उन कंपनियों में शामिल किया गया था, जिन्हें पब्लिक सेक्टर से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स दिए जाएंगे। इन कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमत 6.70 हजार करोड़ है। इसके अलावा कई दूसरे कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए भी चुनी गई कंपनियों में इंफोसिस का नाम शामिल है।
इंफोसिस अपने दूसरे सबसे बड़े बाजार ब्रिटेन में अपने कर्मचारियों की संख्या को 20% बढ़ाकर 6,000 करने की तैयारी कर रही है। इस कंपनी के सबसे बड़े निवेशकों में ब्रिटिश ट्रेड मिनिस्टर की कंपनी लॉर्ड जॉनसन शामिल है। 2022 में प्रधानमंत्री बनने के बाद सुनक ने जॉनसन को दोबारा ट्रेड मिनिस्टर बनाया था।
ब्रिटेन में टैक्स न भरने से जुड़े विवाद में घिरी थीं अक्षता
इससे पहले साल 2022 में भी अक्षता मूर्ति की संपत्ति को लेकर विवाद हो चुका है। BBC के मुताबिक, अक्षता पर आरोप लगा था कि वो अपने नॉन-डोमिसाइल स्टेटस का फायदा उठा रही हैं। चूंकि वो ब्रिटेन की परमानेंट रेसिडेंट नहीं हैं, लिहाजा उन्हें दूसरे देशों (मसलन भारत) में की गई कमाई पर टैक्स भी नहीं चुकाना पड़ा।
अक्षता को 2022 में इंफोसिस में अपनी हिस्सेदारी से 116 करोड़ रुपए हासिल हुए थे। हालांकि, अपने नॉन डोमिसाइल स्टेटस को बनाए रखने के लिए अक्षता फीस भी चुकाती हैं। विवाद के बाद अक्षता ने कहा था कि मैं जो भी कर रही हूं, वो बिल्कुल भी गैर-कानूनी नहीं है। हालांकि, मैं नहीं चाहती कि मेरा नॉन डोमिसाइल स्टेटस ऋषि के लिए परेशानी बने। मैं UK में भी टैक्स पे करूंगी
पिता के ही देश को अपना परमानेंट घर मानती हैं सुनक की पत्नी
ब्रिटिश कानून के मुताबिक, नॉन डोमिसाइल स्टेटस उन लोगों को मिलता है, जिनका परमानेंट घर किसी और देश में होता है। आमतौर पर ऐसे में लोग अपने पिता के देश को ही अपना परमानेंट घर बताते हैं। ये स्टेटस हासिल करने के लिए ब्रिटिश सरकार के रेवेन्यू और कस्टम डिपार्टमेंट (HMRC) में अप्लाई करना पड़ता है।
हालांकि, ब्रिटेन के नॉन डोमिसाइल नागरिकों को 7 साल बाद अपने स्टेटस को बनाए रखने के लिए फीस चुकानी पड़ती है। सुनक ने चांसलर रहते हुए ब्रिटिश नागरिकों पर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया था। ऐसे में अक्षता को टैक्स पर मिल रही छूट से लोगों में गुस्सा था।