अफगानिस्तान की टीम भले ही टी-20 वर्ल्ड कप 2024 के सेमीफाइनल में हार गई हो, लेकिन उनके यहां तक के सफर को पूरे क्रिकेट जगत में सराहा जा रहा है। खासकर टीम के कप्तान राशिद खान का नाम इस समय हर क्रिकेट प्रेमी की जुबान पर है। उनकी कप्तानी में टीम ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी बड़ी टीमों को टूर्नामेंट में हराकर पहली बार वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई।
कप्तान राशिद खान का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा। उनका बचपन बेहद कठिनाई में बीता। 2001 में अफगानिस्तान में अमेरिका और तालिबान के बीच छिड़े युद्ध ने उनके परिवार को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बच्चों की सुरक्षा के लिए परिवार अफगानिस्तान छोड़कर पाकिस्तान बॉर्डर के पास रिफ्यूजी कैंप में रहने लगा। उस समय राशिद की उम्र केवल 3 साल थी। हालात सुधरने के बाद परिवार लौटा, लेकिन कुछ समय बाद फिर वही स्थिति बनी तो पूरा परिवार पाकिस्तान लौट गया। पेशावर की गलियों में खेलते हुए उनका जीवन आगे बढ़ा।
एक बार राशिद को अचानक अंग्रेजी बोलने का जुनून सवार हो गया। मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद उन्होंने 6 महीने तक अंग्रेजी की स्पेशल ट्यूशन ली। इसके बाद खुद इंग्लिश ट्यूशन पढ़ाने लगे।
करियर : 21 साल की उम्र में बने अफगानिस्तान टीम के कप्तान
मात्र 17 साल की उम्र में 2015 में राशिद खान ने जिम्बाब्वे के खिलाफ वन-डे और टी 20 में इंटरनेशनल डेब्यू किया था। इसके बाद 2018 में उन्होंने भारत के खिलाफ पहला टेस्ट खेला। 2019 में मात्र 21 साल की उम्र में उन्हें टीम के तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे और टी-20) का कप्तान बना दिया गया। हालांकि, इसी साल उन्हें हटाकर असगर अफगान को कप्तानी दे दी गई। राशिद ने अब तक कुल 201 मैचों (टेस्ट, वनडे और टी20) में 269 विकेट लिए हैं। उनके नाम मात्र 53 मैचों में 100 टी20 अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने का रिकॉर्ड है। अंतरराष्ट्रीय मैचों के अलावा राशिद आईपीएल और बीबीएल सहित दुनियाभर की लगभग सभी बड़ी क्रिकेट लीग में खेलते हैं। 2024 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए उन्हें एक बार फिर से टीम का कप्तान बनाया गया है।
शुरुआती जीवन : डॉक्टर बनाना चाहती थीं मां
राशिद खान का जन्म अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत में हुआ था। पिता खोदादाद खान टायर व्यवसायी थे। राशिद पढ़ाई में बेहद होशियार थे। उनकी मां का सपना था कि राशिद बड़े होकर डॉक्टर बनें, लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान और अमेरिका के बीच बार-बार होने वाले युद्ध के कारण उन्हें कभी अफगानिस्तान तो कभी पाकिस्तान में रहना पड़ा। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई। जब राशिद बड़े हो रहे थे उस समय पाकिस्तानी ऑलराउंडर शाहिद अफरीदी का खुमार लोगों पर छाया हुआ था। उनको देखकर राशिद ने भी वैसी ही बैटिंग और स्पिन सीखी। क्रिकेट के अभ्यास के लिए वे भाइयों के साथ घंटों खेलते। और इस तरह उनका क्रिकेटर बनने का सफर शुरू हुआ। राशिद के 6 भाई और 4 बहनें हैं।
राशिद से जुड़ी कुछ अहम बातें