लंदन । मंगल ग्रह पर जीवन (की संभावनाओं की तलाश खत्म नहीं हुई है, लेकिन अभी तक वैज्ञानिकों को पुष्ट प्रमाण तो दूर आशाजनक संकेत तक नहीं मिल रहे थे। पिछले कुछ समय से मंगल पर जीवन के प्रतिकूल स्थितियां मिल रही थीं। बहुत कम तापमान जिससे सतह पर तरल पानी का न होना इसमें प्रमुख थे।
वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि मंगल की सतह के नीचे तरल पानी के भंडार हो सकते हैं। इसके पुष्ट संकेत यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) के मंगल अभियान मार्स एक्सप्रेस से मिले हैं जिसने मंगल पर तरल पानी के संकेत खोजे हैं।मार्स एक्सप्रेस ने मंगल के दक्षिणी ध्रुव सतह के नीचे बहुत से पानी की जगहों की खोज की है। इसके लिए मार्स एवांस रेडार फॉर सबसर्फेस एंड आयनोस्फियर साउंडिंग (एमएआरएसआईएस) उपकरण की मदद ली गई थी। इस पड़ताल से उन सभी शोधों को बल मिला है जिनका अनुमान था कि मंगल पर की उपस्थिति हो सकती है।
ईएसए के इस अभियान ने पानी का विशाल भंडार खोजा है, जो दूसरे छोटे पानी की स्थानों को सूखे स्थानों से अलग करता है। ईएसए के मार्स एक्सप्रेस के मार्सिस उपकरण ने राडार के संकेत भेजे जो मंगल की सतह और बर्फीले इलाकों को भेद सकते हैं। मंगल पर इस तरह की यह पहली खोज नहीं हैं। इससे पहले साल 2018 में शोधकर्ताओं ने इसी मार्सिस उपकरण का उपयोग किया और घोषणा की कि उन्होंने मंगल की सतह के नीचे बहुत बड़ी झील का पता लगाया है। हालांकि, कई विशेषज्ञों ने इस अध्ययन पर तरल पदार्थ के स्वभाव पर संदेह जताते हुए सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि वैज्ञानिकों को इस बात के पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं कि खोजा गया तरल इलाका पानी की झील ही है।
रोम ट्रे यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने उन आंकड़ों का अध्ययन किया जो उन तकनीकों पर आधारित थे जिनसे अर्थ सैटेलाइट के जरिए अंटार्कटिका ग्लेशियर के नीचे की झीलों का अध्ययन किया गया था। इस आधार पर मार्सिस के भेजे गए आंकड़ों का शोधकर्ताओं ने विश्लेषण किया और मंगल पर पानी के स्रोतों की पड़ताल की। इससे उन्हें मंगल पर तरल पदार्थ के स्थान मिले। इससे पहले जितने भी गीले इलाके मिले हैं, उनमें मुख्य सूखे इलाके में बहुत सारे गीले हिस्से मिले थे, जो बहुत से खारी झीलों से भरा क्षेत्र बना दिखाई देता था। लेकिन इस बार एक बड़ा तरल भूभाग मिला है।
इस पड़ताल से मंगल पर जीवन की तलाश को एक नई दिशा मिल सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है की जीवन के लिए तरल पानी की बहुत आवश्यकता होती है, ऐसे में यहां जीवन के मिलने की संभावना प्रबल हो जाती है। यह मंगल पर कॉलोनी बसाने के दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। मंगल ग्रह को लेकर वैज्ञानिक काफी आशान्वित हैं। इस बात के उन्हें कई प्रमाण मिल चुके हैं कि वहां पहले कभी पानी रहा होगा और हो सकता है कि वहां जीवन भी रहा हो। पानी के इन संकेतों की पुष्टि अगले साल नासा का पर्सिवियरेंस रोवर भी कर सकता है, क्योंकि इस अभियान में उसका एक लक्ष्य मंगल की सतह के नीचे पानी और जीवन की पड़ताल करना भी है। इसी साल 31 जुलाई के प्रक्षेपित किया गया पर्सिवियरेंस अगले साल 18 फरवरी को मंगल के जजीरो क्रेटर पर उतरेगा।