मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों प्रदेश में चुनावी मौसम की आहट होने लगी है इसलिए विभिन्न समाजों और वर्गों को रिझाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। जिस ढंग से विभिन्न समाजों के महापुरुषों की जयंती आदि पर अवकाश की घोषणा शिवराज कर रहे हैं उसको देखते हुए अब देखने वाली बात यही होगी कि छुट्टियों के क्षीरसागर में लिटायमान मध्यप्रदेश को और कितने दिन और नये अवकाश के कारण अवकाश-सुख लेने का अवसर मिलेगा। वैसे ही पांच दिन का सप्ताह किया जा चुका है इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर कितने कामकाजी दिन दफ्तरों में होंगे।
रविवार 4 जून का दिन विभिन्न समाजों के द्वारा अपनी ताकत दिखाने और राजनीतिक दलों से अधिक से अधिक मोलभाव करने का रहा। शिवराज ने ऐलान कर दिया कि प्रदेश में अब परशुराम जयंती पर सरकारी अवकाश रहेगा। जिन मंदिरों के पास कृषि भूमि नहीं है वहां पुजारियों को पांच हजार रुपये मानदेय मिलेगा। मंदिरों की जमीन को नीलाम करने का हक भी पुजारी को रहेगा। संस्कृत विद्यालय के पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थी को 8000 रुपये, छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थी को 10 हजार रुपये प्रदान किये जायेंगे। घोषणाओं की यह मूसलाधार झड़ी शिवराज ने ब्राह्मण महाकुंभ में लगा डाली। शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश में लव तो चल सकता है लेकिन जिहाद किसी कीमत पर नहीं चलने दिया जायेगा। ब्राह्मण आयोग गठित करने की मांग पर उन्होंने आश्वासन दिया कि इस पर विचार करके फैसला किया जायेगा। ब्राह्मण समाज के लोगों को टिकट देने की मांग पर उन्होंने कहा कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा। ब्राह्मण महाकुंभ हो और उसी समाज के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हों तो फिर वह कहां पीछे रहने वाले थे। सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने मांग की कि पांच एकड़ में ब्राह्मण समाज के गरीब बेटै-बेटियों के लिए संस्थान बनाकर बच्चों को प्रशिक्षित किया जाये तथा यह संस्थान में भोपाल में बने। शर्मा ने कहा कि ऐसे कई सेवानिवृत्त आईएएस व आईपीएस अफसर हैं जो यह कार्य करने को तैयार हैं।
इसी दिन आयोजित अखिल भारतीय किरार क्षत्रिय महासभा और अखिल भारतीय धाकड़ महासभा के महासंगम 2023 में शिवराज का कहना था कि यदि हम ठान लें तो बड़े से बड़ा काम हर कोई करके दिखा सकता है। संकल्प लें कि हम गरीब नहीं रहेंगे और गरीबी को पूरी तरह से हटायेंगे। शिक्षा, नशामुक्त समाज, उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे। पर्यावरण की रक्षा और बेटियों का सम्मान करेंगे तथा ऐसे संकल्प लें कि दिल्ली तक आवाज जाये। शिवराज का कहना था कि किरार-धाकड़ समाज का हल और बंदूक से नजदीक का रिश्ता है। हम अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध होने के साथ ही अन्न के भंडार भरने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह चौहान किरार महासभा के संरक्षक भी हैं और उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह किरार महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। साधना सिंह ने अपनी समाज से आग्रह किया कि आज के समय में मनचाहे जीवनसाथी की परिभाषा बदल गई है, बेटा-बेटी नाम कमा रहे हैं, इसलिए उनके कैरियर का ध्यान रखें। कलचुरी समाज के महा सम्मेलन में शामिल हुए शिवराज ने कहा कि मेरे निर्माण में कलचुरी समाज का बड़ा योगदान रहा है। समाज से राष्ट्र बनता है, अलग-अलग समाजों की प्रगति होगी तो राष्ट्र की भी प्रगति होगी। समाज के उत्थान के लिए सरकार पूरा-पूरा सहयोग करेगी। समाज की मांगों का उल्लेख करते हुए शिवराज ने कहा कि कलार बोर्ड के गठन को लेकर जो मांग की गयी है उसका स्वरुप कैसा होगा इस पर चर्चा करने की जरुरत है। बोर्ड का प्रस्ताव हम तय कर सकते हैं। इस प्रकार विभिन्न समाजों का प्रयास यही है कि चुनावी सीजन में जितना अधिक से अधिक सरकार से प्राप्त किया जा सके वह कर लिया जाए।
किसी समय मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का पर्याय रहे फूलसिंह बरैया इन दिनों कांग्रेस पार्टी में हैं और उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ता व किसान सम्मेलन में सुसनेर में कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा मध्यप्रदेश में 50 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पायेगी। अगर भाजपा 50 सीटें लायी तो राजभवन के सामने अपने हाथों अपना मुंह काला कर लूंगा। उनका दावा है कि भाजपा को दलित, मुस्लिम और पिछड़ों का वोट नहीं मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते हुए बरैया ने कहा कि कांग्रेस को डुबोने के लिए वह भाजपा में गये लेकिन वहां जाकर वे स्वयं डूब गये। आने वाले समय में जब प्रदेश में कांग्रेस का झंडा लहरायेगा तब सिंधिया कहां जायेंगे। चुनावी मौसम में बयानवीर नेताओं के ऐसे बयान अक्सर सुर्खियां बनते रहेंगे, भले ही चुनाव में उनका कोई विशेष प्रभाव देखने को न मिले।
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