आजमगढ़ से शिवपाल, फिरोजाबाद से अक्षय या धर्मेंद्र, अखिलेश और डिंपल का भी तय... लोकसभा चुनाव में दिखेगा यादव फैमिली पावर
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27-06-2023 07:31 PM
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर समाजवादी पार्टी परिवार की तरफ लौटती दिख रही है। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने परिवार के साथ-साथ पार्टी में भी अपना बर्चस्व स्थापित करना शुरू किया। लोकसभा चुनाव 2014 में प्रदेश में सरकार रहने के बाद भी समाजवादी पार्टी की करारी हार के बाद अखिलेश ने रणनीति बदलनी शुरू की। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने प्रदेश की 71 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, एनडीए 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। समाजवादी किले मोदी लहर में ढह गए। हालांकि, मुलायम सिंह यादव उस समय भी अपने परिवार को साथ लेकर चल रहे थे। अब कुछ इसी प्रकार की रणनीति पर काम करते अखिलेश यादव भी दिख सकते हैं।
यूपी की राजनीति में भाजपा ने परिवारवाद के मसले को जोरदार तरीके से उठाया। इसके बाद अखिलेश परिवार से किनारा करने लगे। यूपी चुनाव 2017 आते-आते अखिलेश ने अपने चाचा और मुलायम के सबसे करीबी शिवपाल यादव से भी किनारा कर लिया। बड़ी संख्या में परिवार के सदस्यों के टिकट काटे गए। कुछ यही स्थिति लोकसभा चुनाव 2019 और यूपी चुनाव 2022 में दिखी। हालांकि, इसका फायदा नहीं होता दिखा। इसके बाद रणनीति में बदलाव हो रहा है। अखिलेश, डिंपल, शिवपाल से लेकर परिवार के अन्य सदस्यों के चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा शुरू हो गई है।
आजमगढ़ से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं शिवपाल
शिवपाल यादव के आजमगढ़ से चुनावी मैदान में उतारने की चर्चा चल रही है। समाजवादी पार्टी समाजवादी गढ़ को अपने कब्जे में लेने की कोशिश में है। मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने को लेकर लगातार विवाद होता रहा है। मैनपुरी से डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारे जाने और उप चुनाव में शानदार जीत के बाद एक बार फिर उनके इसी सीट से ही चुनावी मैदान में उतारने की चर्चा है। हालांकि, सबसे अधिक चर्चा में आजमगढ़ सीट है। लोकसभा उप चुनाव 2022 में आजमगढ़ से भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव को चुनाव में हराया था।
आजमगढ़ से बहुजन समाज पार्टी के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने अपनी चुनावी तैयारियों को शुरू करा दिया है। दावा कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी किसी भी उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारे, हराकर भेजेंगे। वे अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। कुछ इसी प्रकार का दावा निरहुआ भी कर रहे हैं। वे भी लगातार लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार के नाम पर फैसला होने के इंतजार में है। आजमगढ़ में दिनेश लाल यादव निरहुआ, गुड्डू जमाली के बीच शिवपाल यादव की एंट्री होती है तो फिर मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है।
धर्मेंद्र यादव के भी उतरने की चर्चा
लोकसभा चुनाव 2024 के मैदान में धर्मेंद्र यादव के भी उतरने की चर्चा है। वे फिरोजाबाद लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। हालांकि, फिरोजाबाद सीट से दावेदारी अक्षय यादव की भी है। दोनों में से कोई एक यहां से चुनावी मैदान में उतर सकता है। दरअसल, बदायूं सीट से सांसद रह चुके धर्मेंद्र यादव के लिए मुश्किलें लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने बढ़ा दी थीं। अब उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी के साथ हैं। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है। रामचरितमानस पर टिप्पणी के बाद से ही स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा के निशाने पर हैं।
संघमित्रा मौर्य अपने पिता के बयानों के साथ खड़ी दिखी हैं। ऐसे में एक उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि संघमित्रा भाजपा का पाला छोड़ सकती हैं। वे अगर समाजवादी पार्टी में जाती है तो उन्हें एक बार फिर बदायूं से ही चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। ऐसे में धर्मेंद्र यादव की सीट बदलने की संभावना है। धर्मेंद्र आजमगढ़ हार चुके हैं। इस कारण एक बार फिर उनके यहां से चुनावी मैदान में उतारे जाने की उम्मीद कम ही है।
अखिलेश करेंगे नेतृत्व
यादव परिवार के साथ इस बार लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव नेतृत्व करते दिख सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 तक जिस भूमिका में मुलायम सिंह यादव दिखते थे। अखिलेश की भी भूमिका कुछ उसी प्रकार की हो सकती है। परिवार के लोगों को साथ लेकर वे चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। परिवारवाद के हमलों को लेकर भी उनकी अलग तैयारी हो सकती है। यूपी चुनाव 2022 के बाद जिस प्रकार अखिलेश ने लखनऊ में ही रहने की घोषणा की थी। अब उसमें परिवर्तन होता भी दिख सकता है। अखिलेश के कन्नौज से चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा है। इसके अलावा पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गरमाया हुआ है। सपा इस बार हर सीट को लेकर अपनी ही रणनीति के तहत चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
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