मणिपुर हिंसा को आज यानी 3 मई को दो साल हो गए हैं। इस दौरान 250 से ज्यादा मौतें हुईं। 50 हजार लोग आज भी विस्थापित हैं। जो 6 हजार एफआईआर दर्ज हुईं, उनमें करीब 2500 में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। जो गंभीर अपराध हैं, उन पर सीबीआई या राज्य शासन कोई अपडेट नहीं दे रहा है।
शनिवार को मैतेई संगठन कोऑर्डिनेटिं कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) ने लोगों ने सभी गतिविधियां बंद रखने और अपने कन्वेंशन में शामिल होने के लिए कहा है।वहीं, कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (KSO) और जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन (ZSF) ने भी कुकी आबादी वाले इलाकों में बंद बुलाया है।
मणिपुर में लगभग सभी जगह आज बाजार, दुकानें और स्कूल-कॉलेज बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। कुकी समुदाय आज के दिन को डे ऑफ आइसोलेशन के रूप में मना रहा है। इधर, राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।
सुरक्षाबलों का 20 किमी का फ्लैग मार्च
मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 34 बटालियन के DIG सुशांकर उपाध्याय ने बताया कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है।
DIG उपाध्याय ने ये भी बताया कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे।
13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज
मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन. वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। चार-पांच दिन पहले ही 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।
स्कूल-अस्पताल-दफ्तर-बाजार तो ट्रैक पर लौटे... पर राज्य 2 हिस्सों में बंट गया
मणिपुर हिंसा के दो साल बाद हालात ये हैं कि स्कूल, अस्पताल, सरकारी दफ्तर और बाजार सामान्य स्थिति की ओर लौट गए हैं। मैतेई बहुल इलाकों से बाजार का सामान कुकी वाले इलाकों में जा रहा है। मगर राज्य दो हिस्सों में बंट गया है। एक तरफ मैतेई हैं और दूसरी ओर कुकी। इनमें भी कुकी वाले इलाके ज्यादा संवेदनशील हैं, इस वजह से 50 हजार में से 30 हजार सुरक्षाबल यहीं तैनात हैं।
9 फरवरी को CM बीरेन ने इस्तीफा दिया था
मणिपु के सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। विपक्षी पार्टियां भी लगातार NDA से इस मुद्दे पर सवाल पूछ रही थीं। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक था, जिसे निलंबित कर दिया गया था।
केंद्र ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। मई 2023 से मैतेई और कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा में 300 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए।
राहुल ने कहा था- PM को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए
एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि हिंसा, जान-माल के नुकसान के बावजूद पीएम मोदी ने एन बीरेन सिंह को पद पर बनाए रखा, लेकिन अब लोगों की तरफ से बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से एन बीरेन सिंह इस्तीफा देने को मजबूर हो गए।
X पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस वक्त सबसे जरूरी बात यह है कि राज्य में शांति बहाल की जाए और मणिपुर के लोगों के घावों को भरने का काम किया जाए। पीएम मोदी को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए, वहां के लोगों की बात सुननी चाहिए और यह बताना चाहिए कि वे हालात सामान्य करने के लिए क्या योजना बना रहे हैं।