कल दिल्ली जाएंगे सीएम, आलाकमान से नामों पर करेंगे फाइनल चर्चा
भोपाल। पिछले एक पखवाड़े से टल रहा मंत्रिमंडल विस्तार दो जून को हो सकता है। इस बात के संकेत खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं। इस विस्तार में 25 से 26 विधायकों और पूर्व विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा। इसमें 15 को कैबिनेट और 10 को राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री के एक जून को दिल्ली जाकर केंद्रीय नेताओं से मिलने की संभावना है। मंत्रिमंडल विस्तार पर मंथन के लिए मुख्यमंत्री ने रविवार का दिन रिजर्व रखा है। गौरतलब है कि सीएम पिछले एक हफ्ते में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ कई दौर की बैठकें कर मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देने में लगे हैं पर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को साधना नेताओं की लिए बड़ी चुनौती बन रही है। इसके अलावा पिछली बार मंत्री रहे किन पुराने चेहरों को लिया जाए और किन्हें विश्राम दिया जाए, इस पर भी अभी पशोपेश की स्थिति है। संगठन चाहता है कि इस बार कुछ नए लोगों को एडजस्ट किया जाए पर भाजपा के कोटे में स्थान कम हैं, इसलिए अंतिम नाम तय नहीं हो पा रहे हैं। संगठन नेताओं की सहमति के बाद अब नाम लगभग तय हो गए हैं।
तीन-चार वरिष्ठ नेता बैठेंगे बाहर
सूत्रों की माने तो पिछली सरकार में रहे एक दर्जन मंत्री जो फिर चुनाव जीत कर आए हैं उनमें तीन से चार लोगों को विश्राम दिया जा सकता है। इस मामले में अंतिम फैसला दिल्ली पर छोड़ दिया गया है। सीएम एक जून को दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलकर सूची को अंतिम रूप देंगे। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी चर्चा कर सकते हैं।
जल्द घोषित होगी टीम वीडी
विस्तार पर विचार करने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की नई टीम के चयन पर भी विचार कर रहा है। उसका मानना है कि जिन नेताओं को वह मंत्री नहीं बना पाएगा, उन्हें संगठन में पद देकर बैलेंस किया जाए। सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल विस्तार के बाद
भाजपा की नई कार्यकारिणी का भी ऐलान कर दिया जाएगा। संगठन का मानना है कि इससे संभावित असंतोष को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकेगा।
क्या है मंत्रिमंडल का गणित
सिंधिया समर्थक नेताओं और कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए नेताओं में से फिलहाल तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत मंत्री है। अभी नौ लोगों को और मंत्री बनना है। इनमें सिंधिया कोटे से महेन्द्र सिंह सिसौदिया, इमरती देवी, प्रद्युन सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्धन सिंह व रणवीर जाटव के नाम शामिल है। वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप डंग का भी मंत्री बनना तय है। ऐसे में भाजपा के पास सिर्फ सोलह पद बच रहे हैं। दो से तीन स्थान सीएम उपचुनाव के बाद के लिए रिक्त राना चाहते हैं। भाजपा में किसे मंत्री बनाया जाए, इसे लेकर संगठन में पशोपेश की स्थिति है। पिछली सरकारों में मंत्री रहे गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह, रामपाल सिंह, गौरीशंकर शेजवार, विजय शाह, राजेन्द्र शुक्ला पारस जैन, विश्वास सारंग, यशोधरा राजे सिंधिया और जगदीश देवड़ा मजबूत दावेदार हैं। वहीं तीन बार और चार बार से लगातार चुनाव जीत रहे विधायक इस बार अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इनका तर्क है कि पुराने चेहरों में से कुछ को विश्राम देकर उन्हें मंत्री पद दिया जाना चाहिए। भाजपा भी इनके दावे को नजरंदाज नहीं कर रही है। यही वजह है कि चेहरों पर अंतिम चयन का मामला दिल्ली पर छोड़ दिया गया है।
उपचुनाव के हिसाब से तय होंगे चेहरे
चंबल-ग्वालियर में जहां पार्टी को 16 उपचुनाव का सामना करना है, उसी के हिसाब से मंत्रिमंडल के चेहरे तय होंगे। कुछ जिलों में सियासी और जातीय समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इन सब मुद्दों पर संघ और भाजपा संगठन के नेताओं के साथ बातचीत कर ली है। अब दिल्ली से हरी झंडी लेने के बाद मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।
विभागों को लेकर भी खींचतान
टीम शिवराज के विस्तार में कई तरह के पेंच सामने आ रहे हैं। विभागों को लेकर भी खींचतान की खबरें हैं। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को मनपसंद विभाग दिलाने पर अड़े हैं। खासतौर पर उनके समर्थक मंत्रियों के पास कमल नाथ सरकार के दौरान जो महत्वपूर्ण विभाग थे, इनमें से कई पर उनकी नजर है।
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