लंदन । शार्कों का तेजी से शिकार होने के कारण इस जीव पर आज विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना वायरस की वैक्सीन को बनाने के लिए शार्क का बडे पैमाने पर शिकार किया जा रहा है।इन शार्कों को इनके लिवर में बनने वाले एक खास तेल स्क्वैलीन के लिए मारा जा रहा है। यह एक प्राकृतिक तेल है इसका इसका उपयोग बुखार के वैक्सीन की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।कई वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि इस काम के लिए दुनियाभर में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा शार्कों को मारा जा सकता है। वर्तमान में कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रहे कई निर्माता शार्क के तेल का उपयोग अपनी दवा को प्रभावी बनाने के लिए कर रहे हैं। हालांकि अभी तक शार्क के तेल से बनने वाली वैक्सीन के प्रभावी होने की पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी शार्क के संरक्षण के लिए काम करने वाले समूह शार्क एलाइज ने दावा किया है कि अगर इस वैक्सीन को दुनियाभर के लोगों को दिया गया तो इसके लिए 2,40,000 शार्कों को मारा जा सकता है।
हालांकि, कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि शार्क एलाइज के दिए गए आंकड़े बहुत कम हैं। कोरोना वायरस से बचने के लिए वैक्सीन की 2 डोज संक्रमितों को दी जाती है। इस हिसाब से अगर सभी लोगों को शार्क के तेल से बना वैक्सीन दिया जाता है तो इसके लिए कम से कम 5 लाख शार्कों को मारना पड़ेगा। जो हमारे समुद्री पर्यावरण को खत्म कर देगा। शार्क एलीज़ के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक स्टेफ़नी ब्रेंडल ने कहा कि किसी जंगली जानवर से कुछ प्राप्त करना कभी भी टिकाऊ नहीं होगा। शार्क तो समुद्र के चरम शिकारी जीव है। यह प्रजनन भी बड़ी कम संख्या में करती है। यह महामारी कितने दिनों तक चलेगी इसका कोई अनुमान नहीं है। इसलिए अगर शार्कों का इसी तरह से शिकार होता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब समुद्र से इनकी आबादी ही खत्म हो जाएगी। एक फेसबुक पोस्ट में शार्क को बचाने वाली एक और संस्था ने कहा कि हम इसका विरोध कर वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया को बाधित नहीं कर रहे हैं। हमारा मकसद है कि इसके लिए शार्क या किसी दूसरे जानवर की हत्या न की जाए। कुछ ऐसा तरीका खोजा जाए जिससे हमारा पर्यावरण बचा रहे।