शनैश्चरी अमावस्या पर शनि मंत्र- स्रोत्र द्वारा उपाय
शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनि मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना परम कल्याणकारक माना गया है जप से पहले शरीर और आसान शुद्धि के बाद निम्न विनियोग करे इसके बाद जप आरम्भ करें।
इसका 108 पाठ करने से शनि सम्बन्धी सभी पीडायें समाप्त हो जाती हैं। तथा पाठ कर्ता धन धान्य समृद्धि वैभव से पूर्ण हो जाता है। और उसके सभी बिगडे कार्य बनने लगते है। यह सौ प्रतिशत अनुभूत है। इसके अतिरिक्त दशरथकृत शनि स्तोत्र का यथा सामर्थ्य पाठ भी शनि जनित अरिष्ट से शांति दिलाता है।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते। 6
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।7
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ।10
शनैश्चरी अमावस्या पर शनि देव को प्रसन्न करने के शास्त्रोक्त उपाय।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सभी व्यक्ति की कुंडली में 9 ग्रह होते है जो अपना प्रभाव दिखाते है।
इन ग्रहों की स्थिति परिवर्तन के वजह से मनुष्य को समय समय पर अच्छे व बुरे दोनों परिणाम प्राप्त होते है। इन 9 ग्रह में से केवल शनि देव ऐसे है जिनके प्रभाव से मनुष्य घबरा जाता है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में भी शनिदेव का चरित्र भी दण्डाधिकारी के रूप में माना गया है जो कि कर्म और सत्य को जीवन में अपनाने की ही प्रेरणा देता है। लेकिन अगर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शास्त्रों में बहुत सारे उपाय बताए गए हैं जिससे शनिदेव प्रसन्न हो जाएंगे। शनिदेव के प्रसन्न होने से आपका जीवन सफल हो जाएगा। तो आइए जानते हैं उन उपायों को - अगर आप शनि को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शनैश्चरी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और दोनों हाथों से पीपल के पेड़ को स्पर्श करें। इस दौरान पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और शनि मंत्र ‘ऊं शं शनैश्चराय नम:’ का जाप करते रहना चाहिए, यह आपकी साढ़ेसाती की सभी परेशानियों को दूर ले जाता है। साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को दिन में एक बार नमक विहीन भोजन करना चाहिए।
उपाय - अगर आपकी कोई विशेष मनोकामना है तो शनैश्चरी अमावस्या के दिन आप अपने लंबाई का लाल रंग का धागा लेकर इसे आम के पत्ते पर लपेट दें। इस पत्ते और लपेटे हुए धागे को लेकर अपनी मनोकामना को मन में आवाहन करें और उसके बाद इस पत्ते और धागे को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इससे आपकी मनोकामना जल्द पूरी होगी।
उपाय - अक्सर ऐसा होता है कि लोग बहुत संघर्ष व मेहनत करते हैं लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगती या लोग जो सोचते हैं वो हो नहीं पाता ऐसे में लोग न चाहते हुए भी अपने भाग्य को कोसने लगते हैं। कहते हैं कि भाग्य बिल्कुल भी साथ नहीं देता और दुर्भाग्य निरन्तर पीछा कर रहा है।
कहा जाता है कि इंसान के पिछले कर्मों के अच्छे-बुरे परिणामों का फल भी आपके भाग्य का निर्धारण करता है इसलिए आपको इन सभी बातों को छोड़कर निष्काम भाव से सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए। लेकिन आज एक उपाय जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे करने से आपका सोया हुआ भाग्य जाग जाएगा। शनैचरी अमावस्या से आरंभ कर लगातार 41 दिन रोज सुबह गाय का दुध लेकर नहाने से पहले इसे अपने सिर पर थोड़ा सा रख लें। और फिर नहा लें अगर आप ऐसा रोज करेंगे तो आपका सोया हुआ भाग्य जाग जाएगा। इतना ही नहीं आप जो भी काम सोचेंगे वो पूरा हो जाएगा। आपकी जीवन में आ रही रूकावटें खत्म हो जाएगी। बस अधिक से अधिक संयम रखने का प्रयास करें।
सावन की हरियाली अमावस्या का महत्व - श्रावण कृष्ण अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं। श्रावण मास में माँ गौरी व् महादेव का पूजन किया जाता हैं। हरियाली अमावस्या के दिन पितृ तर्पण के साथ शिव पूजन का विशेष महत्त्व हैं। इस बार 11 अगस्त को हरियाली अमावस्या शनिवार को होने के कारण भगवान शनि और भगवान शिव की आराधना का विशेष संयोग रहेगा। इस दिन किये गये दान पूण्य से अमोघ फल की प्राप्ति होती हैं। पितृ तर्पण करने एवं किसी तीर्थ स्थान पर स्नान करने पितृ जन को मोक्ष प्राप्त होती हैं। हरियाली अमावस्या के दिन वट [ बरगद ] और पीपल वृक्ष की पूजा की जाती हैं वट या पीपल वृक्ष नहीं हो तुलसी की पूजा कर कथा सुनने से सभी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती हैं। हरियाली अमावस्या के दिन प्रात: स्नानादि से निर्वत होकर ब्राह्मणों को खीर मालपुऐ का भोजन कराये तथा दक्षिणा में वस्त्र अन्न देने से पितृ प्रसन्न होते हैं। हरियाली अमावस्या इस अमावस्या को पर्यावरण के महत्त्व को दर्शाती हैं। शास्त्रों में भी तुलसी , पीपल , वट वृक्ष , आम , आंवला , नीम के पौधे को गुणकारी व् ओषधि कारक बतलाया गया हैं। श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वृक्ष रोपण का विशेष महत्त्व हैं। वृक्षों में ब्रह्मा , विष्णु , शिव का वास होता हैं। हरियाली अमावस्या को वृक्षा रोपण करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। नीम , कदम्ब के वृक्ष लगाने से नकारात्मक उर्जा समाप्त होती हैं। बरगद [ वट वृक्ष ] का अपना विशेष महत्व हैं स्त्रिया व्रत त्योहारों पर पूजन कर अखंड सौभाग्य की आशीष लेती हैं। पितृ प्रसन्न होते हैं। तामसिक वस्तुओ का सेवन वर्जित माना गया हैं। हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का अधिक महत्व है।
हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण - हमारी धर्म संस्कृति में वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है। मनु-स्मृति के अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कमों के फलस्वरूप मानी गयी है। परमात्मा द्वारा वृक्षों का सर्जन परोपकार एवं जनकल्याण के लिए किया गया है। पीपल- हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि पीपल के वृक्ष में अनेकों देवताओं का वास माना गया है। पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढाने से पितृ तृप्त होते है तथा शनि शान्ति के लिये भी शाम के समय सरसों के तेल का दिया लगाने का विधान है।
विशेष कामना सिद्धि हेतु उपाय -
1. लक्ष्मी प्राप्त के लिए : तुलसी, आँवला, केल, बिल्वपत्र का वृक्ष लगाये।
2. आरोग्य प्राप्त के लिए : ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आँवला, सूरजमुखी, तुलसी लगाये।
3. सौभाग्य प्राप्त हेतु : अशोक, अर्जुन, नारियल, ब़ड (वट) का वृक्ष लगाये।
4. संतान प्राप्ति के लिए : पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, गु़डहल, अश्वगन्धा को लगाये।
5. मेधा वृद्धि प्राप्त हेतु : आँक़डा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी लगाये।
6. सुख प्राप्त के लिए : नीम, कदम्ब, धनी छायादार वृक्ष लगाये।
7. आनन्द प्राप्त के लिए : हरसिंगार (पारिजात) रातरानी, मोगरा, गुलाब लगाये।