पद छोड़ते ही मुश्किल में घिरीं सेबी चीफ माधबी बुच, धोखाधड़ी के मामले में FIR का आदेश
Updated on
03-03-2025 02:51 PM
नई दिल्ली: मार्केट रेगुलेटर सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुंबई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और रेगुलेटरी उल्लंघन के मामले में बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगा और 30 दिनों के भीतर (मामले की) स्थिति रिपोर्ट मांगी गई है। बुच ने हाल में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया और उनकी जगह तुहीन कांत पांडे को नया सेबी प्रमुख बनाया गया है।
अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसके लिए जांच जरूरी है। इसमें कहा गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की निष्क्रियता के कारण सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। एक मीडिया रिपोर्टर ने इस बारे में शिकायत की थी। उसने कथित अपराधों की जांच की मांग की थी, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, विनियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल है।
हिंडनबर्ग के आरोप
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे, बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया, तथा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी के लिए रास्ता खोला। शिकायतकर्ता ने कहा कि कई बार पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी हितों के टकराव के आरोप लगाए थे।हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर एंटिटीज में निवेश करने का आरोप लगाया था, जो कथित तौर पर एक फंड स्ट्रक्चर का हिस्सा थीं। इसमें अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था। बुच दंपति ने इन आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इन आरोपों की वजह के बुच कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक घमासान में फंस गईं थीं।
कर्मचारियों की नाराजगी
ऐसी भी खबरें थीं कि सेबी के अंदरूनी कर्मचारी बुच और टॉप मैनेजमेंट के कामकाज से नाखुश थे। कुछ कर्मचारियों ने टॉक्सिक वर्क कल्चर की ओर इशारा किया था। बुच के कार्यकाल के दौरान, सेबी ने अडानी ग्रुप के शेयरों में कथित हेरफेर और रेगुलेटरी उल्लंघनों सहित महत्वपूर्ण जांच की निगरानी की। साथ ही अनिल अंबानी और केतन पारेख जैसी हाई-प्रोफाइल हस्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई की थी। वित्तीय अनियमितताओं के कारण उन्हें बाजारों से प्रतिबंधित किया गया था।
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