भोपाल । लाकडाउन के कारण भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) भोपाल को चालू बीते वर्ष में 1532.18 करोड़ रुपये का घाटा हो गय। कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन में कारखाना बंद रहने पर भेल कॉर्पोरेट स्तर पर कर्मचारियों के पर्क में पहले से ही 50 प्रतिशत की कटौती कर दी थी। इससे भेल कर्मचारियों की 12 हजार रुपये तक वेतन में कटौती हो गई थी। अब घाटा होने से बोनस मिलने पर संकट आ गया है। इस वजह से अब कर्मचारियों के पीपी व दीवाली बोनस पर संकट छा सकता है। भेल भोपाल यूनिट में 5200 अधिकारी व कर्मचारी हैं। 4000 कर्मचारियों को हर साल उत्पादन लक्ष्य पूरा होने पर मई से सितंबर के बीच में पीपी बोनस मिलता था। इसके बाद दीवाली बोनस दिया जाता था। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण भेल प्रबंधन ने कैंटीनों की सबसिडी बंद कर दी है। भेल टाउनशिप में होने वाले मरम्मत कार्यों का बजट देने से भी किनारा कर लिया है। अब घाटा होने पर भेल प्रबंधन अन्य खर्चों में भी कटौती कर सकता है। भेल में चार साल पहले 877 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसका असर भेल कर्मचारियों के पीपी व दीवाली बोनस पर पड़ा था। भेल प्रबंधन ने 10-10 हजार रुपये ही पीपी बोनस दिया था। वहीं दीवाली बोनस 15-15 हजार रुपये ही दिया था। इससे पहले भेल कर्मचारियों को 50-50 हजार रुपये पीपी व दीवाली बोनस मिलने का इतिहास रहा है। इस साल ज्यादा घाटा होने से पीपी व दीवाली बोनस मिलना आसान नहीं रहेगा। भेल प्रबंधन को आगामी समय में घाटे से उबरने के लिए कई चुनौतियां रहेंगी। कोरोना के भय से कुशल ठेका श्रमिक मिलना मुश्किल हो रहा है। नए ठेका श्रमिकों को काम सीखाने में तीन से चार महीने का समय लगता है। घाटे से उबरने के लिए भेल प्रबंधन को वित्तीय वर्ष-2020-21 में दोगुना उत्पादन करना पड़ेगा। इसके लिए चारों वित्तीय वर्ष में सभी अधिकारियों, कर्मचारियों व ठेका श्रमिकों को एकजुटता से काम करना होगा। इस बारे में हिंद महासभा के महासचिव अमर सिंह राठौर का कहना है कि कोरोना के कारण भेल को इस बार बहुत घाटा हुआ है। अब एकजुटता के साथ भेल भोपाल सहित सभी यूनिट में उत्पादन का दोगुना काम करना होगा, तभी घाटे से उबरेंगे। उधर भेल डीजीएम(पीआर) शरीफ खान का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए हुए लॉकडाउन का असर सिर्फ भेल पर ही नहीं हर छोटे-बड़े उद्योग-धंधों पर पड़ा है। जो चुनौतियां आएंगी, उनसे निपट कर घाटे से उबरेंगे। अभी भेल भोपाल यूनिट तक भेल के परिणाम की जानकारी नहीं आई है।
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भोपाल। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के अंतर्गत संबंधित अपराध में अलग-अलग शर्तों के अंतर्गत आधी या एक-तिहाई सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने…
भोपाल। जिले में विकास और कानून व्यवस्था के कामों के लिए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) जिम्मेदार होंगे। उनकी जिम्मेदारी है कि वे जिले में व्यवस्था बनाएं। यदि कोई नियम विरुद्ध…
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