अरुणाचल में मंगलवार को एक चुनावी रैली के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन की निंदा की है। चीन ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश की कुछ जगहों के नाम बदल थे। इस पर राजनाथ ने कहा कि अगर हम चीन की जगहों के नाम बदल दें तो क्या चीन वो जगह हमें दे देगा।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल की जगहों के नाम बदलने से चीन को कुछ हासिल नहीं होगा। चीन को ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ता है।
'अब कोई भारत की धरती नहीं ले सकता'
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के सत्ता में आने से पहले चीन ने भारत के कई इलाकों पर कब्जा किया था। उन्होंने कहा कि अब कोई भारत की भूमि नहीं ले सकता है। हमने कांग्रेस की गलतियां सुधार ली हैं।
कांग्रेस बॉर्डर के गांवों को आखिरी गांव कहती थी। पर हम इन्हें पहले गांव कहते हैं। ये गांव रणनीतिक रूप से हमारे लिए अहम हैं। यहां रहने वाले लोग हमारे लिए संपत्ति हैं।
जयशंकर ने कहा था- भारत-चीन बॉर्डर पर 45 साल खूनखराबा नहीं हुआ, गलवान झड़प ने सब बदल दिया
न सिर्फ राजनाथ सिंह हाल के दिनों में विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को लेकर कई बयान दिए हैं। जापान की राजधानी टोक्यो में गुरुवार को रायसीना राउंडटेबल में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था- 1975 से 2020 तक बॉर्डर पर शांति थी। 2020 (गलवान झड़प) में सब बदल गया।
उन्होंने कहा था- हम (भारत-चीन) कई मुद्दों पर सहमत नहीं हैं। जब पड़ोसी लिखित समझौतों का उल्लंघन करे तो ये चिंता की बात है। इससे दोनों के रिश्तों की स्थिरता पर सवाल खड़े होते हैं।
चीन ने अरुणाचल की 30 जगहों के नाम बदले
चीन ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने इसकी जानकारी दी थी।
हांगकांग मीडिया हाउस साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें से 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता है। हालांकि, इन जगहों के नाम क्या रखे गए, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया थी।
पिछले 7 सालों में ऐसा चौथी बार हुआ है जब चीन ने अरुणाचल की जगहों का नाम बदला हो। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।
अरुणाचल प्रदेश को चीन इतना अहम क्यों मानता है?
अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। नॉर्थ और नॉर्थ वेस्ट में तिब्बत, वेस्ट में भूटान और ईस्ट में म्यांमार के साथ यह अपनी सीमा साझा करता है। अरुणाचल प्रदेश को पूर्वोत्तर का सुरक्षा कवच कहा जाता है।
चीन का दावा तो पूरे अरुणाचल पर है, लेकिन उसकी जान तवांग जिले पर अटकी है। तवांग अरुणाचल के नॉर्थ-वेस्ट में हैं, जहां पर भूटान और तिब्बत की सीमाएं हैं।