जीवन में सारे ऐश्वर्य देता है राजयोग, बनाता है,भाग्यशाली...
Updated on
06-05-2023 09:24 AM
कुंडली में पांच ऐसे ग्रह योग होते हैं जो बेहद शुभ और प्रबल माने जाते हैं. इन योगों को पंच महापुरुष योग कहते हैं. अगर इनमें से कोई एक भी योग जातक की कुंडली में हो तो उन्हें जीवन में कभी संघर्ष नहीं करना पड़ता।
मंगल का रूचक योग
कुंडली में मंगल लग्न से या चंद्रमा से केंद्र के घरों में स्थित हो अर्थात यदि मंगल कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4 7 या 10वें घर में मेष, वृश्चिक या मकर राशि में बैठा हो तो आपकी कुंडली में रूचक योग बनता है. इस योग के लोग साहसी और पराक्रमी होते हैं. इनमें शारीरिक बल भी भरपूर होता है. मानसिक रूप से ये लोग बहुत मजबूत होते हैं. ऐसे लोग बड़ी तेजी से निर्णय लेने में माहिर होते हैं. इन्हें कारोबार और प्रशासनिक मामलों में बड़ी सफलता मिलती है.
बुध का भद्र योग
यदि कुंडली में बुध लग्न से अथवा चंद्र कुंडली से केंद्र के घरों में स्थित है यानी बुध यदि केंद्र में चंद्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में मिथुन और कन्या राशि में स्थिति हैं तो आपकी कुंडली में भद्र योग बनेगा. इस कुंडली का जातक बुद्धि, चतुराई और वाणी का धनी होता है. ऐसा जातक लेखन, गणित, कारोबार और सलाहकार के क्षेत्र में बहुत सफल होते हैं।
गुरु का हंस योग
कुंडली में धनु राशि में लग्न में या मीन राशि में कहीं भी गुरु बैठे हों तो यह योग बनता है. जब-जब बृहस्पति ऊंचा या मूल त्रिकोण में खुद के घर में या केंद्र में स्थित होंगे तब विशेष परिस्थिति में इस योग का निर्माण होगा. बृहस्पति यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में कर्क, धनु अथवा मीन राशि में स्थित हो तो कुंडली में हंस योग बनता है. इस योग से जातक को सुख, समृद्धि, अध्यात्मक शक्ति के धनी होते हैं।
शुक्र का मालव्य योग
जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र लग्न से या चंद्रमा से केंद्र के घरों में स्थित है अर्थात शुक्र यदि कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में वृष, तुला या मीन राशि में स्थित हो तो कुंडली में मालव्य योग बनता है. इस योग के जातक सौंदर्य और कला के प्रेमी होते हैं. काव्य, गीत, संगीत या कला के किसी भी क्षेत्र में वह सफलता हासिल करते हैं. इनमें साहस, पराक्रम, शारीरिक बल की गजब क्षमता होती है.
शनि का शश योग
यदि कुंडली में शनि चंद्र से या लग्न से केंद्र के घरों में स्थित है अर्थात शनि यदि कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें घर में तुला राशि अथवा कुंभ राशि में स्थित है तो शश योग बनता है. शश योग के जातक न्यायप्रिय, लंबी आयु और कूटनीति के धनी होते हैं.
यह किसी क्षेत्र में हार नहीं मानते हैं. सहनशीलता इनका विशेष गुण है।