भारत के ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने IPL में इम्पैक्ट प्लेयर नियम का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह नियम खेल को दिलचस्प बनाता है। इससे नए भारतीय खिलाड़ियों को मदद मिली है। अगर इसे समाप्त किया जाएगा तो एक दिलचस्पी भी समाप्त हो जाएगी।
37 साल के अश्विन ने क्रिस श्रीकांत के यूट्यूब शो 'चीकी चीका' में इस नियम पर बात की। IPL-2024 के दौरान खिलाड़ियों और कोचों ने इम्पैक्ट प्लेयर नियम की खूब आलोचना की थी। इनमें भारत के टेस्ट और वनडे कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली भी शामिल हैं। अश्विन की सोच इन दोनों से अलग है।
अश्विन की मुख्य बातें-
'इम्पैक्ट प्लेयर का नियम उतना भी बुरा नहीं है, क्योंकि यह क्रिकेट में रणनीति जैसे तत्वों पर अधिक जोर देता है। हालांकि यह नियम ऑलराउंडर्स को बढ़ावा नहीं देता है, लेकिन ऐसा करने से किसी को कोई रोक भी नहीं रहा है। यह पीढ़ी ही ऐसी है कि कोई भी बल्लेबाज, गेंदबाजी नहीं करना चाहता और इसका उल्टा भी। ऐसा भी नहीं है कि इम्पैक्ट प्लेयर नियम से ऑलराउंडर्स प्रभावित हुए हैं। वेंकटेश अय्यर को ही देखिए, वह काउंटी क्रिकेट में लैंकशायर के लिए कमाल कर रहे हैं। इम्पैक्ट प्लेयर नियम क्रिकेट में एक नए प्रयोग का अवसर देता है।'
अश्विन ने इसी साल के क्वालिफायर-2 का उदाहरण देते हुए कहा, 'सनराइज़र्स हैदराबाद ने शहबाज अहमद को इम्पैक्ट प्लेयर के रूप में लाया। वे तीन विकेट लेकर मैच विनर साबित हुए। IPL में जब ओस एक प्रभावी भूमिका निभाता है और मैच लगभग इकतरफा हो जाता है, तो इम्पैक्ट प्लेयर जैसा नियम गेंदबाजी का एक और विकल्प व खेल को संतुलन देता है। जब आप एक अतिरिक्त खिलाड़ी खिलाते हैं तो मैच और करीबी हो जाता है।'
अश्विन ने कहा कि इस नियम के कारण ही शहबाज अहमद, शिवम दुबे और ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी उभरे हैं और भारतीय टीम तक जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि अगर यह नियम नहीं होता तो जुरेल जैसे खिलाड़ी को कभी मौका ही नहीं मिलता। इस नियम की वजह से ही नए खिलाड़ियों को जगह मिल रही है।
क्या है इम्पैक्ट प्लेयर नियम?
यह नियम मैच के दौरान किसी भी समय रिप्लेसमेंट के तौर पर एक अतिरिक्त खिलाड़ी को मैदान पर उतारने की अनुमति देता है। यानी कि कप्तान मैच की परिस्थिति के अनुसार किसी भी खिलाड़ी की जगह दूसरे को मैदान पर भेज सकता है।
अश्विन राइट टु मैच के पक्ष में नहीं
अश्विन इस साल होने वाले मेगा ऑक्शन में 'राइट टू मैच' विकल्प के पक्ष में नहीं हैं। इस नियम पर उन्होंने कहा, 'अगर किसी फ्रैंचाइजी को लगता है कि कोई खिलाड़ी उनके शीर्ष चार या पांच में नहीं है कि उन्हें रिटेन किया जाए तो नीलामी के दौरान उनको यह हक भी नहीं होता कि खिलाड़ी के खरीदे जाने के बाद वे अचानक से बीच में आ जाएं।
यह विकल्प खिलाड़ियों को मिलना चाहिए कि क्या वे चाहते हैं कि राइट टु मैच का प्रयोग उन पर किया जाए या नहीं।'