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चुनावी समर में मतदाताओं को साधते सियासी दल

Updated on 15-10-2023 08:16 AM
 विधानसभा चुनावों में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में जीत का रास्ता आदिवासियों के बीच से होकर गुजरता है इसलिए राजनीतिक दलों की सारी कोशिश उन्हें साधने की है। भाजपा और कांग्रेस इनके बीच से अपनी-अपनी सत्ता की राह खोज रहे हैं तो वहीं तीसरी शक्ति बनने का वर्षों से सपना संजो रहे दल अपने हाथ में सत्ता की चाबी कैद करने के लिए लालायित हैं, ताकि चुनाव बाद उन्हें सत्ता की कुछ चासनी मोल-तोल कर मिल सके। लेकिन इसकी संभावना काफी कम है क्योंकि मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के चुनावी समर में मतदाताओं के बीच भाजपा और कांग्रेस में दशकों से ही चुनावी लड़ाई होती आई है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का प्रयास दलितों और आदिवासियों को अपने पाले में करने का चल रहा है तो वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी इन्हीं वर्गों को साधने की कोशिश में लगे हैं। दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती, आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी समर में दोनों राज्यों में नजर आयेंगे। इस प्रकार देखने वाली बात यही होगी कि मतदाता सीधे-सीधे सत्ता की चाबी भाजपा या कांग्रेस में से किसी एक को सौंपते हैं या फिर तीसरी शक्ति को कुछ खेल करने का मौका देते हैं। 
        मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में रामनगर के नर्मदा तट पर एक चुनावी जनसभा में प्रियंका गांधी ने आदिवासी समुदाय के बीच कांग्रेस की पुरानी गारंटियों के साथ ही एक नई गारंटी पढ़ो-पढ़ाओ योजना के तहत कहा है कि बच्चों को 500 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक छात्रवृत्ति दी जायेगी। वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी की घोषणाओं पर पलटवार करते हुए कुछ तीखे अंदाज में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेडम प्रियंका गांधी अगर प्रदेश में भ्रष्टाचार का कोई चेहरा है तो वह कमलनाथ का और बंटाढार दिग्विजय सिंह का है। दिग्विजय सिंह द्वारा पीएफआई पर की जा रही कार्रवाई के संबंध में दिए गए बयान पर प्रियंका गांधी से मुख्यमंत्री ने पूछा कि यह बताओ कि क्या पीएफआई पर कार्रवाई का कांग्रेस विरोध कर रही है। उन्होंने यह बात राजधानी भोपाल में चुनावी सभा में कही। महिलाओं और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों को लेकर भाजपा तथा उसकी सरकार को घेरते हुए प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा ऐसी योजनायें लाती है जिसमें कमीशन मिले। उन्होंने अपनी गारंटियां गिनाते हुए कहा कि कक्षा 12वीं तक निशुल्क शिक्षा दी जायेगी तथा एक से आठवीं कक्षा तक सभी सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को 500 रुपये, नौवीं तथा दसवीं के छात्रों को 1000 रुपये तथा ग्यारहवीं व बारहवीं तक के बच्चों को हर माह 1500 रुपये छात्रवृत्ति दी जायेगी। महिलाओं को हर माह 1500 रुपये मिलेंगे तथा कांग्रेस सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना भी लागू की जायेगी। मतदाताओं को उनकी बातों पर अधिक भरोसा हो इसलिए उन्होंने कहा कि जहां-जहां कांग्रेस की सरकारें हैं हम इन गारंटियों को वहां दे रहे हैं और हमारी सरकार है  उन्हें पूरा कर रही हैं।
      प्रियंका ने यह भी गारंटियां गिनाई कि 100 यूनिट तक बिजली का कोई बिल नही लिया जायेगा और इतनी बिजली जलाने वाले को बिजली मुफ्त मिलेगी उसके बाद 200 यूनिट तक बिल हाफ रहेगा। 15 हार्स पावर तक सिंचाई के लिए किसानों को बिजली फ्री दी जायेगी और 500 रुपये में गैस सिलेंडर दिये जायेंगे। राजस्थान में सरकार ने 500 रुपये में गैस सिलेंडर देना चालू भी कर दिया है हमारी अन्य सरकारें भी ऐसा ही करेंगी। उन्होंने कहा कि किसानों की कर्जमाफी की जायेगी तथा एससी-एसटी के बैकलाग पदों पर युवाओं की भर्ती की जायेगी। आदिवासियों का दिल जीतने के लिए प्रियंका ने कहा कि जहां आदिवासियों की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है वहां छठी अनुसूची लागू करेंगे। जल, जंगल और जमीन से जुड़े फैसले आदिवासियों की समिति लेगी। पीएम आवास योजना की जो राशि शहर के हितग्राहियों को मिलती है उसके बराबर राशि ग्रामीण हितग्राहियों को भी दी जायेगी। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में दल-बदल के बाद बनी भाजपा सरकार पर प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि तीन साल में 250 से ज्यादा घोटाले किए गए हैं तथा कभी न पूरी होने वाली 22 हजार घोषणाएं की गयी हैं। चुनावी वायदों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वायदों का मतलब होता है जनता के सामने पगड़ी रखना और वायदे पूरे नहीं किए तो यह स्थिति खुद का सम्मान खो देने के बराबर होती है। इसलिए कांग्रेस वही वायदा कर रही है जो उसकी सरकारें पूरा कर रही हैं और भविष्य में बनने वाली सरकारें करेंगी। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ये सरकारें आदिवासी उत्थान के लिए काम कर रही हैं तथा छठी अुनुसूची छत्तीसगढ़ मे लागू है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 400 रुपये प्रति बोरी की दर भुगतान हो रहा है और सरकार बनने पर यहां मध्यप्रदेश में भी हम ऐसा ही करेेंगे। धान पर बोनस देने वाला इकलौता राज्य छत्तीसगढ़ है जहां गोठान पर भी काम हुआ है और वहां महिलायें 6 लाख रुपये तक कमा रही हैं। मध्यप्रदेश में 18 साल से चली आ रही भाजपा सरकार चुनाव के वक्त घोषणाएं करती है और फिर सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार में लग जाती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की तगड़ी घेराबंदी की जिसके जवाब में शिवराज के तेवर भी उतने ही तल्ख थे तो वहीं प्रियंका गांधी को जवाब देने में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा कहां पीछे रहने वाले थे उन्होंने भी जमकर प्रियंका पर हमला बोला। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ कहते हैं कि यह बेईमानों का प्रदेश है, चौपट प्रदेश है। उन्होंने प्रदेश के मतदाताओं से पूछा कि क्या आपको अपना प्रदेश चौपट लगता है? कमलनाथ की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश की माटी ने आपको सब कुछ दिया उस प्रदेश को बदनाम करने का आप पाप कर रहे हो। पहले भारत को आप महान नहीं बदनाम करते थे अब प्रदेश के साथ भी ऐसा ही कर रहे हो। प्रियंका गांधी की घेराबंदी करते हुए विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि आपने देश-प्रदेश के आदिवासियों को केवल वोट बैंक समझा है उनके उत्थान के लिए कुछ नहीं किया। 60 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस झूठे वायदे और छल-कपट की राजनीति करती है। प्रियंका गांधी द्वारा  मंडला में इंदिरा गांधी का जिक्र करके जनता को आपातकाल की याद दिला दी गई है। ‘‘वायदाखिलाफी कांग्रेस का नया वादा, फिर जनता को ठगने का इरादा।‘‘ भाजपा ने जनजाति वर्ग का विकास किया है तो वहीं कांग्रेस ने उसे छला है।
और यह भी
         जब प्रियंका गांधी ने मंडला-जबलपुर सड़क का हवाला देते हुए कहा कि दस साल से यह बन रही है, पहले चार लेन की बनाना थी अब दो लेन की बन रही है परन्तु अभी तक बन नहीं पाई है। तभी बीच में से एक लड़का बोला वह भी ढंग से नहीं बन रही। पहले यह बात सुनकर प्रियंका गांधी मुस्कुराई और फिर इशारा कर बोलीं आप आ जाइए न मंच पे और सड़क का हाल बताते रहिए। स्कूली बच्चों को पढ़ो-पढ़ाओ योजना का जो जिक्र प्रियंका गांधी ने किया उसमें उनका मकसद डेढ़ करोड़ बच्चों के परिवारजनों तक अपनी बात पहुंचाने का था।

-अरुण पटेल, लेखक , संपादक  

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