रमजान के महीने में मलेशिया में मॉरल पुलिस एक्टिव हो गई है। देशभर में रोजे को बीच में तोड़ने वालों पर 16.65 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें 1 साल जेल की सजा भी दी जा रही है। सड़कों पर गश्त की जा रही है। पुलिस कभी वर्दी तो कभी सादे कपड़ों में खाने-पीने की जगहों पर रेड डाल रही है।
इस दौरान अगर कोई गैर-मुस्लिम व्यक्ति भी एक मुस्लिम को खाना, पानी या तंबाकू बेचते मिलता है, तो उसे सजा होती है। मलेशिया के इस्लामिक डिपार्टमेंट (JAIM) ने इस साल ऐसी 10 जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चुना है, जहां इस तरह की घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं।
2023 में 100 मुस्लिमों को रोजा तोड़ने पर जेल हुई
पिछले साल देश के मलक्का राज्य में 100 मुस्लिमों को बीच में रमजान तोड़ने पर गिरफ्तार किया गया था। जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा 41 तक सीमित था। दरअसल, मलेशिया की आबादी करीब 3.4 करोड़ है। इनमें से करीब 2 करोड़ लोग मुस्लिम हैं।
इनके लिए शादी, तलाक और रमजान जैसे मौकों पर शरिया कानून का पालन करना जरूरी होता है। CNN न्यूज के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में मलेशिया में इस्लाम को लेकर कट्टरवाद बढ़ गया है। इसकी एक बड़ी वजह साल 2022 में मलेशिया में हुए आम चुनाव हैं।
मलेशिया की इस्लामिक पार्टी को मिली सबसे ज्यादा सीटें
दरअसल, इन चुनाव में मलेशियन इस्लामिक पार्टी (PAS) को पिछली बार की तुलना में 25 सीटें ज्यादा मिलीं। 222 सदस्यों वाली संसद में PAS 43 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि, वो इस वक्त गठबंधन सरकार का हिस्सा नहीं है। चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद से देश में PAS पार्टी का दबदबा बढ़ा है।
इसके अलावा पार्टी लीडर हादी अवांग भी एक धार्मिक टीचर हैं जो कड़े शरिया कानून को लागू करने का समर्थन करते हैं। एक अधिकारी ने CNN को बताया कि मलक्का राज्य में इस साल 2023 की तुलना में ज्यादा रेड डाली गई हैं।
मॉरल पुलिस बोली- इस्लाम की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी
मॉरल पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "रमजान के महीने में इस्लाम की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। हालांकि, हम हर मामले में लोगों को गिरफ्तार नहीं करते। बहुत ज्यादा गर्म दिनों में कई लोगों के लिए पानी पिए बिना रहने बेहद मुश्किल हो जाता है।"
इस दौरान सड़क किनारे मौजूद खाने-पीने के स्टॉल, रेस्तरां और पार्क को टारगेट किया गया। इसकी वजह से कई रेस्तरां ने रमजान के महीने में गर्भवती महिलाों को भी खाना देने से इनकार कर दिया।