17 मई अप्रैल को रास्ते में अमझर के पास हथिनी को यूरिन में खून आ गया। इसके बाद उन्होंने वेटरनरी कालेज में डा. शोभा जावरे से मोबाइल पर बात की। उन्होंने हथिनी को तत्काल वापस जबलपुर लाने के लिए कहा। डा शोभा जावरे के अनुसार उन्होंने 18 मई से ही बीमार चंचल का उपचार शुरू कर दिया था। वो बीच में थोड़ा स्वस्थ भी हुई, लेकिन कुछ समय बाद उसकी किडनी में भी संक्रमण हो गया, उसने खाना-पीना छोड़ दिया।
डा. शोभा जावरे ने उसकी बिगड़ती हालत को देखते हुए बाहर के अनेक एलीफेंट विशेषज्ञों से चर्चा की। असोम के डा. केेके शर्मा, डा. इंद्रमणि नायर, वीपी चन्पुरिया से भी उन्होंने चर्चा की, उनको वीडियो कालिंग के माध्यम से हथिनी को दिखाकर, उनसे सलाह भी ली। इसके बावजूद इन्फेंशन बहुत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से उसके प्राणों की रक्षा नहीं की जा सकी। रविवार की रात करीब डेढ़ बजे उसकी मौत हो गई।
वन विभाग की ओर से दिए गए पत्र के बाद वेटरनरी कालेज के डाक्टरों की टीम ने मृत हथिनी का पोस्टमार्टम किया। इसके बाद सतपुला बाजार के पास राम मंदिर के पीछे उसे दफना भी दिया गया।
हथिनी की मौत का पता चलते ही बड़ी संख्या में में लोग वहां जुटने लगे, उन्होंने मृत हथिनी की पूजा-अर्चना भी की। उसके पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार तक लाेग वहीं डटे रहे।