भारतीय नौसेना 3 महीने पहले हाईजैक हुए जहाज को बचाने की कोशिश कर रही है। इस बीच सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने नेवी पर फायरिंग की है। भारतीय नौसेना ने इसका एक वीडियो शेयर किया है।
नौसेना ने कहा- 14 दिसंबर को भी समुद्री लुटेरों ने माल्टा के जहाज MV रुएन को हाईजैक कर लिया था। वो इस जहाज का इस्तेमाल समुद्र में डकैती करने के लिए कर रहे थे। 15 मार्च को हमारा एक चॉपर (हेलीकॉप्टर) जहाज को बचाने के लिए उसके करीब पहुंचा। इसके फौरन बाद समुद्री लुटेरों ने चॉपर पर फायरिंग शुरू कर दी।
फिलहाल हम सेल्फ डिफेंस में कार्रवाई कर रहे हैं। लुटेरों से सरेंडर करने को कहा गया है। साथ ही उनसे बंधक बनाए गए क्रू मेंबर्स को आजाद करने के लिए भी कहा गया है। क्रू मेंबर्स की संख्या की जानकारी नहीं है।
एक दिन पहले बांग्लादेशी जहाज को बचाया था
भारतीय नौसेना ने 14 मार्च को हिंद महासागर में बांग्लादेशी जहाज MV अब्दुल्लाह को सोमालिया के समुद्री लुटेरों से रेस्क्यू किया था। 12 मार्च को मोजाम्बिक से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जा रहे बांग्लादेशी मर्चेंट वेसल अब्दुल्लाह पर 15-20 हथियारबंद लुटेरों ने जहाज पर हमला कर दिया था।
जहाज सोमालिया की राजधानी मोगादिशु से करीब 1100 किलोमीटर दूर था। इस पर बांग्लादेश के 23 क्रू मेंबर्स सवार थे। हाइजैक की सूचना मिलते ही भारतीय नेवी ने क्रू मेंबर्स से संपर्क करने की कोशिश की। इसके बाद कोई जवाब न मिलने पर नौसेना ने अपने पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट को जहाज की निगरानी के लिए भेजा था। जहाज पर करीब 55 हजार टन कोयला मौजूद था।
भारतीय क्रू वाले जहाजों पर भी हमला कर चुके हैं समुद्री लुटेरे
लुटेरे अब तक 5 बार भारतीय क्रू मेंबर वाले जहाजों पर भी हमला कर चुके हैं। 4 जनवरी को भारतीय नौसेना ने समुद्री लुटेरों से एक जहाज को छुड़ाया था। लाइबेरिया के फ्लैग वाले इस जहाज का नाम लीला नोर्फोर्क था। भारतीय नौसेना ने बताया था कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक संदेश भेजा था। इसमें कहा गया था कि 5-6 सुमद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे।
हाईजैक की सूचना मिलते ही एक मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P8I को जहाज की तरफ रवाना किया गया। मर्चेंट वेसल की सुरक्षा के लिए INS चेन्नई को भी भेजा गया। नौसेना का ऑपरेशन 5 जनवरी को पूरा हुआ था। इस दौरान 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया था।
1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे
सोमालिया वो मुल्क है जिसके समुद्र में बड़ी तादाद में मछलियां मौजूद हैं। 1990 तक इसकी अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गई। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।
सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान होकर 1990 के बाद इस देश के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा जखीरा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।
मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वो फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक ये धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग उनमें इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।
जहाजों ने हिंद महासागर का रास्ता छोड़ा था
जर्मन मीडिया हाउस DW की रिपोर्ट के मुताबिक 2009-10 में समुद्री लुटेरों ने जहाजों को हाइजैक कर कुल साढ़े 42 करोड़ डॉलर की फिरौती कमाई थी। हिंद महासागर में समुद्री लुटेरों के आतंक के कारण दुनिया भर के 10 फीसदी से ज्यादा जहाजों ने अपना रास्ता बदल लिया था।