भारतीय नौसेना अरब सागर में समुद्री लुटेरों से माल्टा के जहाज को रेस्क्यू करा रही है। 14 दिसंबर को नौसेना को अलर्ट मिला था। इसके बाद नौसेना ने अपना युद्धपोत अदान की खाड़ी में हाइजैक हुए जहाज MV रुएन की मदद के लिए भेज दिया। हाइजैक हुए जहाज पर 18 लोग मौजूद हैं।
नौसेना को UKMTO पोर्टल पर मैसेज मिला था कि 6 अनजान लोग उनकी शिप पर आ गए हैं। इसके बाद सर्विलांस के लिए नौसेना ने अपने विमान को अदान की खाड़ी में MV रुएन को लोकेट करने के काम पर लगा दिया।
विमान ने आज भी पूरे इलाके का हवाई सर्वे कर हालातों का जायजा लिया है। नौसेना की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक समुद्री लुटेरे हाइजैक किए जहाज को सोमालिया की तरफ ले जा रहे हैं। यूरोपियन यूनियन और स्पेन ने भी जहाज को बचाने के लिए अपने नेवल फोर्स को काम पर लगाया है।
2017 के बाद हाइजैक का बड़ा मामला
द मैरीटाइम एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट के मुताबिक ये जहाज कोरिया से तुर्किये की तरफ जा रहा था। जहाज से जब आखिरी बारी कॉन्टेक्ट हुआ वो स्कोटोरा आइलैंड से यमन की तरफ 380 नोटिकल मील की दूरी पर था।
2017 के बाद ये अरब सागर में जहाज हाइजैक होने का सबसे बड़ा मामला है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्या के राष्ट्रपति के साथ समुद्री सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। भारत दूसरे देशों के साथ मिलकर समय-समय पर अरब सागर और हिंद महासागर में एंटी पायरेसी ऑपरेशन भी चलाता रहा है।
फिलहाल ब्रिटेन ने इस इलाके से गुजरने वाले जहाजों को सतर्क करने लिए अलर्ट जारी कर दिया है। जहाज के ऑपरेटरों को कहा है कि कुछ भी संदिग्ध लगने पर तुरंत कंट्रोल रूम को संपर्क करें।
मैप में देखें कहां से हाइजैक हुआ माल्टा का जहाज
1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे
सोमालिया वो मुल्क है जिसके समुद्र में मछलियों का अथाह भंडार है। 1990 तक सोमालिया की अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गया। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।
सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान सोमालिया के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा जखीरा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।
मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वो फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक ये धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग उनमें इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।
जहाजों ने हिंद महासागर का रास्ता छोड़ा
जर्मन मीडिया हाउस DW की रिपोर्ट के मुताबिक 2009-10 में समुद्री लुटेरों ने जहाजों को हाइजैक कर कुल साढ़े 42 करोड़ डॉलर की फिरौती कमाई थी।
हिंद महासागर में समुद्री लुटेरों के आतंक के कारण दुनिया भर से 10 फीसदी से ज्यादा जहाजों ने अपना रास्ता बदल लिया था।
इस कारण मिस्र जैसे देशों को नुकसान हुआ था, क्योंकि उन्हें स्वेज नहर से जहाजों के जाने से आदमनी होती थी।