इस बार बारिश के मौसम में आय फ्लू नामक बीमारी तेजी से फ़ैल रही है और परिवार के सभी सदस्यों को एक एक करके संक्रमित कर रही है। यह बीमारी जितना भयावह लगती है उतनी नहीं है पर इसको फैलने से रोकने के लिए कुछ सावधानिया और कुछ इससे जुडी गैरधारणा को समझना जरुरी है।
आइये इसके बारे में जानते है हमारे वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ महावीर दत्तानी, जोके पंद्रह साल के अनुभवी है और रेटिना स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सेवा दे रहे है।
गुलाबी आंखे यानि आँखों का लाल होने एक संक्रमण का लक्षण है जिसे कंजंक्टिवाइटिस या 'पिंक आईज' कहते है। हमारी किकी के पास जो पारदर्शक चमड़ी है ,उसे कंजक्टाइवा कहते है। जब कंजक्टिवा पर कीटाणु द्वारा संक्रमण होने की वजह से इसमें सूजन और लालपन आ जाता है तो उसे कंजंक्टिवाइटिस या सामन्य भासा में आँख आना कहते है। 'पिंक आईज' का सबसे मुख्य कारण है वायरल इन्फेक्शन, जिसमे सामन्यतः अडेनो -वायरस का सबसे ज्यादा योगदान है जिसके वजह से फ्लू इन्फेक्शन भी होता है। इसलिए इसे आइफ्लू नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी ज्यादा तर बारिश के शुरुआती सीजन मैं फैलना शुरू होती है। वातावरण में ज्यादा नमी का होना इन वायरस के फैलने फूलने के लिए उपयुक्त होता है।
आय फ्लू, फ्लू की तरह ही बहुत ही तेजी से फैलता है। शुरुआत में ज्यादातर मरीजो को आँख मैं चुभन, खुजली और पानी आने की शिकायत होती है फिर आँखों में सूजन और धुंदलापन भी आने लगता है। पर शुरुआती दौर मैं इसको नज़र अंदाज़ करने से और आँख को बार बार खुजाने से ही इसको फैलने का मौका मिल जाता है। आँख खुजाने पर दोहरा नुक्सान होता है। पहले तो ,आँख खुजाने पर हमारी किकी पर हलके घाव और ड्रायनेस होती है , जिससे इन्फेक्शन किकी मैं भी फ़ैल जाता है और दूसरा आँख खुजाने पर कीटाणु हमारे हाथ मैं आ जाते है और फिर वोह हाथ से छुई चीज़ो द्वारा दूसरे के संपर्क मैं आते है और संक्रमण फ़ैलाने में मदद करता है।
गैर मान्यताये
१ ) ये संक्रमित व्यक्ति की आँखों में देखने से फैलता है।
२) चश्मा या गॉगल्स पहने से सक्रमण नहीं फैलता।
३) आँख में बर्फ या ठंडा शेक करने से आराम मिलता है।
सावधानिया
१) आँख मैं इसके लक्षण आते ही किसी आय स्पेशलिस्ट से फ़रमार्श कर इसका इलाज शुरू करवाए। शुरूआती चरण में इसका इलाज शुरू करने से दुगना फायदा है आंखो का समय पर ठीक होना और कम लोगो तक इसका फैलना।
२) आँख को मसलना , शेक करना या कपडे रगड़ कर बार बार पोछना नहीं चाहिए। आँख मैं बार बार हाथ न लगाए और आँख को रगड़ने से सूजन बढ़ जाती है और हमारी किकी भी कमजोर पद जाती है और वायरस को उसमे प्रवेश करने का मौका मिल जाता है।
३) जब तक आँखों मैं इन्फेक्शन है आँखों को थोड़ा आराम दे और सार्वजनिक जगह जैसे के स्कूल , मार्किट , ऑफिस , स्विमिंग वगरह जाने से परहेज करे।
४) आँखों मैं किसी तरह के शेक की कोई आवयश्यकता नहीं है। आँखों मैं मेकअप, काजल वगेरे न लगाए। पुराने रखे ऑय ड्राप या मेडिकल से बिना डाक्टरी सलाह के कोई ड्राप न डाले। ईमर्जेन्सी मैं अगर कोई डाक्टर उपलब्ध नहीं है तो लुब्रिकेंट्स और सूजन कम करने के लिए पैन-किलर का इस्तेमाल कर सकते है।
५) ड्राप डालने के बाद अपने हाथ सेनिटाइज़र से साफ़ करे। आँख को गलती से छू लिया तो साबुन से साफ़ करले। आँख पोछने के लिए जो कपडा या रुमाल का इस्तमअल करे उसे सुरक्षित या अलग जगह पर रखे।
६) आँख के ऊपर गॉगल पहने रखे जिससे आपको सेकेंडरी बैक्टीरिया इन्फेक्शन से बचाएगा और आपके हाथ को भी बार बार किकी तक पहुंचने से रोकेगा।
आम लोगो की मान्यता के विपरीत यह बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति की आँखों में देखने से नहीं फैलती है। यह केवल स्पर्श के माध्यम से यानि हमारे हाथो से ,आँख से निकले हुए पानी द्वारा या हाथो द्वारा छुए गए पदार्थ जैसे रुमाल, हैंडल, मोबाइल , लिफ्ट बटन वगरे से फैलती है।
आइफ्लू वैसे तो सेल्फ लिमिटिंग यानि के स्वसीमित रोग है इसलिए इससे घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है। कुछ दिनों के लिए हमें कुछ सावधानिया
बरतनी है जिससे यह ज्यादा फैले नहीं और ज्यादा देर तक न चले। भले इस बीमारी से आँखों की रोशनी में कमी की संभावनाएं कम है पर इससे हमारे अर्थतंत्र को काफी नुक्सान हो सकता है।
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