ये बताना मेरा फर्ज है कि मुस्लिम तब तक शांत नहीं बैठ सकते, जब तक हम भारत को मिटा नहीं देते।
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर अल्वी ने भारत की जेल से रिहा होने के बाद कराची में 10 हजार लोगों के सामने ये बात कही थी। भारत की संसद पर 22 साल पहले हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड मसूद अजहर, पाकिस्तान में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रहता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद राजधानी इस्लामाबाद में मौजूद है। 55 साल का आतंकवादी शायद ही कभी पाकिस्तान के बहावलपुर में अपने मदरसे मरकज-ए-उस्मान-ओ-अली जाता होगा। मसूद सिर्फ भारत ही नहीं बल्किन पाकिस्तान के खिलाफ भी काम कर चुका है।
दरअसल, 2002 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव के बीच पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। इसके बाद गुस्साए आतंकियों ने अगले ही साल 2003 में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मारने की कोशिश की थी।
पठानकोट-उरी हमले का मास्टरमाइंड है अजहर
अजहर भारत में एक नहीं बल्कि कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है। संसद हमले के अलावा मसूद 2016 में हुए पठानकोट हमले का भी मास्टरमाइंड हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, मसूद ने भारत पर हमलों के लिए जैश-ए-मोहम्मद के कैडर का इस्तेमाल किया था। उनसे 2005 में अयोध्या में राम जन्मभूमि और 2019 में CRPF के जवानों पर भी हमला करवाया था।
इसके अलावा मसूद 2016 में उरी हमले और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में भारतीय कॉन्सुलेट पर अटैक का भी जिम्मेदार है। अजहर अल-कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन और तालिबान फाउंडर मुल्लाह उमर का खास था।
1994 में पहली बार भारत आया था आतंकी मसूद अजहर
मसूद अजहर पहली बार 29 जनवरी, 1994 को बांग्लादेश विमान में सवार होकर ढाका से दिल्ली पहुंचा था। 1994 में अजहर फर्जी पहचान बनाकर श्रीनगर में दाखिल हुआ था। उसका मकसद हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी और हरकत-उल-मुजाहिदीन गुटों के बीच तनाव कम करना था।
इस बीच भारत ने उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया था। तब अजहर ने कहा था- कश्मीर को आजाद कराने के लिए 12 देशों से इस्लाम के सैनिक आए हैं। हम आपकी कार्बाइन का जवाब रॉकेट लॉन्चर से देंगे।
अजहर ने कहा था- पाकिस्तान और ISI के लिए मेरी अहमियत नहीं जानता भारत
अजहर ने जेल में कहा था कि भारत को नहीं पता कि मैं पाकिस्तान और ISI के लिए कितना अहम हूं। ये मेरी पॉपुलैरिटी को कम आंक रहे हैं। ISI मुझे वापस पाकिस्तान लाकर रहेगा। उसे श्रीनगर में बादामी बाग छावनी,दिल्ली में तिहाड़ जेल और अंत में जम्मू में कोट बलवाल जेल में रखा गया था।
इसके 4 साल बाद जुलाई 1995 में जम्मू-कश्मीर में 6 विदेशी टूरिस्ट्स को अगवा कर लिया गया। किडनैपर्स ने टूरिस्ट के बदले समूद अजहर को रिहा करने की मांग की। इस बीच अगस्त में दो टूरिस्ट किडनैपर्स की कैद से भागने में कामयाब हो गए। हालांकि, बाकियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
1999 में विमान हाईजैक के बाद भारत सरकार ने अजहर को छोड़ा
इसके और 4 साल बाद 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रही एक भारतीय विमान को अजहर के भाई सहित दूसरे आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। वो इसे अफगानिस्तान के कंधार ले गए, जहां उस वक्त तालिबान का शासन था। विमान में कैद लोग के बदले मसूद अजहर सहित 3 आतंकियों को छोड़ने की मांग की गई।
आतंकियों की मांग पूरी हुई और मसूद आजाद हो गया। इसके बाद वो पाकिस्तान भाग गया। चीनी सरकार कई बार UNSC में मसूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित होने से बचा चुकी है। 2009 में अजहर को वैश्विक आतंकी की लिस्ट में शामिल करने के लिए पहली बार प्रस्ताव आया था।
2019 में वैश्विक आतंकी घोषित हुआ
तब लगातार 4 बार चीन ने सबूतों की कमी का हवाला देकर प्रस्ताव पास नहीं होने दिया। अक्टूबर 2016 में चीन ने फिर से भारत के प्रस्ताव के खिलाफ जाकर UNSC में अजहर को बचा लिया। इसके बाद 2017 में अमेरिका ने UNSC में अजहर को आतंकी घोषित करने की मांग उठाई लेकिन चीन फिर से बीच में आ गया। हालांकि, मई 2019 में चीन ने अपना अड़ंगा हटा दिया और UNSC में मसूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कर दिया गया।