दिन - शनिवार विक्रम संवत - 2077 शक संवत - 1942 सूर्योदय - 06:50 सूर्यास्त - 18:46
अयन - उत्तरायण ऋतु - वसंत मास - फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - माघ) पक्ष - कृष्ण
तिथि - अमावस्या शाम 03:50 तक तत्पश्चात प्रतिपदा नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद रात्रि 12:22 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद योग - साध्य सुबह 07:55 तक तत्पश्चात शुभ राहुकाल - सुबह 09:49 से सुबह 11:18 तक
दिशाशूल - पूर्व दिशा में, व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या, युगादि तिथि
विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38) षडशीति संक्रान्ती - 14 मार्च 2021 रविवार को षडशीति संक्रान्ती है ।
पुण्यकाल : दोपहर 11:39 से शाम 06:04 तक… जप,तप,ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!
इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।
षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल 86000 गुना होता है – (पद्म पुराण )
युगादि तिथि - 13 मार्च 2021 शनिवार को युगादि तिथि है ।
जैसे कि हम जानते हैं कि चार युग होते है:-
सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, कलियुग ये सभी युग भिन्न भिन्न तिथियों को प्रारम्भ हुए थे l
युग+आदि अर्थात युग के आरम्भ होने की तिथि, इसे ही युगादि तिथि कहते हैं अर्थात जिस तिथि को अतीत या भविष्य में एक नया युग आरम्भ हुआ या होगा, वही युगादि तिथि कहलाती है ।
युगादि तिथियाँ बहुत ही शुभ होती हैं, इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन आदि अक्षय (जिसका नाश/क्षय न हो) फल होता है l
प्रत्येक युग में सौ वर्षों तक दान करने से जो फल होता है, वह युगादि-काल में एक दिन के दान से प्राप्त हो जाता है ।
नारद पुराण, हेमाद्रि, तिथितत्व, निर्णयसिन्धु, पुरुषचिन्तामणि, विष्णु पुराण और भुजबल निबन्ध में इसका उल्लेख प्राप्त है।
स्कन्दपुराण के प्रभास खंड के अनुसार - "अमावास्यां नरो यस्तु परान्नमुपभुञ्जते ।। तस्य मासकृतं पुण्क्मन्नदातुः प्रजायते" - जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
समृद्धि बढ़ाने के लिए - कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी । दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी ।
खेती के काम में ये सावधानी रहे - ज़मीन है अपनी... खेती काम करते हैं तो अमावस्या के दिन खेती का काम न करें .... न मजदूर से करवाएं | जप करें भगवत गीता का 7 वां अध्याय अमावस्या को पढ़ें ...और उस पाठ का पुण्य अपने पितृ को अर्पण करें ... सूर्य को अर्घ्य दें... और प्रार्थना करें " आज जो मैंने पाठ किया ...अमावस्या के दिन उसका पुण्य मेरे घर में जो गुजर गए हैं ...उनको उसका पुण्य मिल जाये | " तो उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पति बढ़ेगी |