सोमालिया के समुद्री लुटेरों से रेस्क्यू किए गए पाकिस्तानी नाविकों ने भारत जिंदाबाद के नारे लगाए और भारतीय नौसेना को धन्यवाद कहा। सोमालिया ने 23 पाकिस्तानी नाविकों को बंधक बनाया था। नौसेना ने 29 मार्च को ऑपरेशन चलाकर इन्हें रेस्क्यू किया था।
नौसेना को हिंद महासागर में अदन की खाड़ी के पास ईरानी जहाज अल-कंबर के हाईजैक होने की सूचना मिली थी। इस पर सोमालिया के 9 समुद्री लुटेरों ने कब्जा कर लिया था।
पाकिस्तानी बोले- नेवी पूरी रात जुटी रही, हमें आजाद कराया
पाकिस्तानियों का वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसमें एक शख्स ने कह रहा है, "मैं अमीर खान हूं। मैं इस जहाज का मास्टर हूं। हम ईरान से आ रहे थे तभी लुटेरों ने हमारे जहाज को हाईजैक कर लिया। 29 मार्च को तीन बजे से इंडियन नेवी हमारी मदद में जुट गई थी। पूरी रात उन्होंने काम किया। उन्होंने हमें आजाद करवाया। इंडियन नेवी का शुक्रिया। इंडिया जिंदाबाद।"
नेवी ने INS सुमेधा और INS त्रिशूल को मदद के लिए भेजा था
पाकिस्तानियों का जहाज यमन के सोकोट्रा द्वीप से साउथ-वेस्ट में करीब 166 किमी की दूरी पर था। हाईजैक का अलर्ट मिलते ही भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोत INS सुमेधा को ईरानी जहाज को रोकने के लिए रवाना किया था। इसके बाद दूसरे युद्धपोत INS त्रिशूल की मदद से नेवी ने जहाज को लुटेरों से रेस्क्यू किया था।
नौसेना के 2 वार शिप्स ने 12 घंटे चलाया ऑपरेशन
नौसेना की टीम ने 12 घंटे तक ऑपरेशन चलाकर लुटेरों को सरेंडर करने के लिए मजबूर किया। फिलहाल टीम जहाज की जांच कर रही है। इसके बाद इसे सुरक्षित जगह ले जाया जाएगा।
नौसेना ने जनवरी में भी 19 पाकिस्तानी नाविकों बचाया था
भारतीय नौसेना ने अरब सागर में सोमालिया के पूर्वी तट के पास से 29 जनवरी को 19 पाकिस्तानी नाविकों की जान बचाई थी। ईरान के झंडे वाले जहाज को 11 समुद्री लुटेरों ने किडनैप कर लिया था।
इसके बाद नौसेना ने जहाज को रेस्क्यू करने के लिए अपना युद्धपोत INS सुमित्रा भेजा था। नौसेना ने रेस्क्यू किए जहाज का नाम FV अल नाईमी बताया था।
रेस्क्यू की कॉल मिलने के बाद भारतीय नौसेना ने समुद्री लुटेरों को सभी नाविकों को छोड़ने के लिए मजबूर किया था। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद लुटेरों को पकड़ लिया गया।
समुद्र में जहाजों पर हमले की वजह
7 अक्टूबर 2023 में इजराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद से अरब सागर में सोमालिया के लुटेरों की तरफ से जहाज को हाईजैक करने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस पर काबू पाने के लिए भारतीय नौसेना ने अरब सागर में युद्धपोतों की तैनाती बढ़ा दी है। दूसरी तरफ, यमन के हूती विद्रोही भी फिलिस्तीनियों पर हो रहे हमलों के विरोध में लगातार लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं।
भारतीय क्रू वाले जहाजों पर भी हमला कर चुके हैं समुद्री लुटेरे
लुटेरे अब तक 5 बार भारतीय क्रू मेंबर वाले जहाजों पर भी हमला कर चुके हैं। 4 जनवरी को भारतीय नौसेना ने समुद्री लुटेरों से एक जहाज को छुड़ाया था। लाइबेरिया के फ्लैग वाले इस जहाज का नाम लीला नोर्फोर्क था। भारतीय नौसेना ने बताया था कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक संदेश भेजा था। इसमें कहा गया था कि 5-6 सुमद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे।
हाईजैक की सूचना मिलते ही एक मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P8I को जहाज की तरफ रवाना किया गया। मर्चेंट वेसल की सुरक्षा के लिए INS चेन्नई को भी भेजा गया। नौसेना का ऑपरेशन 5 जनवरी को पूरा हुआ था। इस दौरान 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया था।
1990 के बाद सोमालिया में बढ़े समुद्री लुटेरे
अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सोमालिया के कई समुद्री तटीय इलाकों में सरकार नहीं है। लोग जो चाहते हैं, वो करते हैं। इससे समुद्री लुटेरों और स्मगलर्स को बढ़ावा मिलता है।
सोमालिया वो मुल्क है, जिसके समुद्र में बड़ी तादाद में मछलियां मौजूद हैं। 1990 तक इसकी अर्थव्यवस्था मछलियों से ही चलती थी। तब यहां समुद्री लुटेरों का कोई डर नहीं था। अधिकतर लोग मछली का व्यापार करते थे। फिर यहां सिविल वॉर शुरू हो गई। सरकार और नौसेना नहीं रही। इसका फायदा विदेशी कंपनियों ने उठाया।
सोमालिया के लोग छोटी नावों में मछली पकड़ते थे। उनके सामने विदेशी कंपनियों के बड़े-बड़े ट्रॉलर आकर खड़े हो गए। लोगों का रोजगार छिनने लगा। इससे परेशान होकर 1990 के बाद इस देश के लोगों ने हथियार उठा लिए और समुद्री लुटेरे बन गए। समुद्री मालवाहक जहाजों का एक बड़ा जखीरा सोमालिया कोस्ट के पास से होकर गुजरता था।
मछुआरे से लुटेरे बने लोगों ने इन जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। जहाज छोड़ने के बदले वो फिरौती लेने लगे। साल 2005 तक ये धंधा इतना बड़ा हो गया कि एक पाइरेट स्टॉक एक्सचेंज बना दिया गया। यानी लुटेरों के अभियान को फंड करने के लिए लोग उनमें इन्वेस्ट कर सकते थे। बदले में लोगों को लूटी हुई रकम का एक बड़ा हिस्सा मिलता।