अफगानों पर पाकिस्तानी चाल फेल, टीटीपी को लेकर नहीं झुका तालिबान, याद दिलाई सुपरपावर अमेरिका की 'हार'
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06-11-2023 01:23 PM
काबुल: अफगानिस्तान के करीब 17 लाख शरणार्थियों को जबरन निकाल रहे पाकिस्तान की यह नापाक चाल फेल हो गई है। तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि पाकिस्तान ने इस भयानक ठंड में अफगान शरणार्थियों को देश से जबरन निकाला है ताकि तालिबानी नेतृत्व पर अपनी मांगों को मानने के लिए दबाव डाला जा सके। उन्होंने कहा कि गुआंतनामो बे जेल, सुपरपावर अमेरिका समेत तमाम दबाओं का सामना करने के लिए तालिबानी नेतृत्व हमेशा पूरी तरह से तैयार रहा है। माना जा रहा है कि इस बयान के जरिए तालिबान ने साफ कर दिया है कि वह पाकिस्तानी नेतृत्व के आगे नहीं झुकेगा।
मुत्ताकी ने एक इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को निकालने का यह कदम इसलिए उठाया है ताकि अपने दो उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इन दोनों उद्देश्यों का अफगान सरकार से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का पहला मकसद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी है जो पाकिस्तान का आतंरिक मामला है। यही नहीं यह विवाद अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के आने से पहले ही बना हुआ है। बता दें कि टीटीपी आतंकी पाकिस्तानी सेना पर जमकर खूनी हमले कर रहे हैं। अब तक सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। पिछले दिनों तो पाकिस्तान के एक जिले पर टीटीपी के आतंकियों ने कब्जा कर लिया था।
तालिबान ने पाकिस्तान को दिलाई अमेरिका की याद
तालिबानी विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरा मकसद यह है कि पाकिस्तान चाहता है कि डूरंड लाइन को दोनों देशों के बीच एक आपसी सहमति से सीमा मान लिया जाए। मुत्ताकी ने कहा कि यह मुद्दा अफगानिस्तान की किसी भी सरकार के नियंत्रण में नहीं है। उन्होंने कहा कि डूरंड लाइन का सरोकार पूरी अफगान जनसंख्या से है। दरअसल, अंग्रेजो के समय अफगानिस्तान और पाकिस्तान को बांटने के लिए बनाई गई डूरंड लाइन को कोई भी अफगान सरकार और वहां की जनता नहीं मानती है।
इससे पहले अशरफ गनी सरकार ने भी डूरंड लाइन को मान्यता नहीं दी थी और उसी के रास्ते पर तालिबान सरकार भी है। अफगानों का दशकों से दावा है कि पाकिस्तान का पेशावर शहर और कबायली इलाका अफगानिस्तान का अभिन्न हिस्सा है। इसको लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच अक्सर झड़प होती रही है। अफगानों ने पाकिस्तान के सीमा पर बाड़ लगाने को भी रोक दिया था। मुत्ताकी ने कहा कि यह पाकिस्तान की नासमझी है कि शरणार्थियों को निकालने जैसी हरकत तालिबान को झुका पाएगी। उन्होंने कहा कि तालिबानी नेतृत्व हर तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है फिर चाहे वह गुआंतनामो बे हो या फिर अमेरिकी सैन्य ताकत। तालिबान किसी दबाव के आगे नहीं झुकता है।
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