पाकिस्तान की फौज और ज्यूडिशियरी आमने-सामने नजर आने लगे हैं। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने सरकार से कहा है कि वो कोर्ट और मुल्क को ये भरोसा दिलाए कि आर्मी किसी तरह का बिजनेस नहीं करेगी, क्योंकि उसका काम मुल्क की हिफाजत करना है।
करीब 8 साल पहले पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन न्यूूज’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पाकिस्तान आर्मी 50 तरह के बिजनेस करती है और उसके कारोबार का दायरा बढ़ता जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि फौज कई तरह के कारोबार करती है और रक्षा जरूरतों के लिए दी गई सरकारी जमीन का इस्तेमाल इन बिजनेस के लिए किया जाता है। लिहाजा, इस तरह के कारोबार पर रोक लगाई जाए और सरकार को इस मामले में जवाबदेह बनाया जाए, क्योंकि फौज का बजट सरकार ही तय करती है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान जस्टिस काजी फैज ईसा ने सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान से कई सवाल किए। उनसे पूछा गया- क्या आप इस अदालत और मुल्क को सरकार की तरफ से यह भरोसा दिला सकते हैं कि हमारी फौज सिर्फ मुल्क की हिफाज करेगी और अपनी जमीन का इस्तेमाल कमर्शियल एक्टिविटीज के लिए नहीं करेगी।
फौज की जमीन पर मैरिज गार्डन क्यों
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा- हमारे पास जानकारी है कि जो सरकारी जमीन फौज को ट्रेनिंग के लिए दी गई थी, उस पर मैरिज हॉल चल रहे हैं। क्या अटॉर्नी जनरल ये भरोसा दिला सकते हैं कि फौज सिर्फ प्रोटेक्टर बनकर रहेगी और कोई बिजनेस नहीं करेगी। यह बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि इस मुल्क में हर किसी की जिम्मेदारी और काम तय है, उसे वही करना चाहिए।
जस्टिस ईसा ने आगे कहा- हम अदालत में बैठे हैं तो हमारा काम इंसाफ करना है। आपका (फौज) का काम मुल्क की हिफाजत करना है और आपको भी वही करना चाहिए।
चीफ जस्टिस के सवालों पर अटॉर्नी जनरल कोई साफ जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा- उसूलों के हिसाब से आपकी बात सही है। हर किसी को सिर्फ अपना काम करना चाहिए।
सरकार से पूछकर जवाब दीजिए
जब अटॉर्नी जनरल कोई सीधा जवाब नहीं दे सके तो चीफ जस्टिस ने कहा- आप इस बारे में सरकार से बात कीजिए और फिर हमें आकर बताइये कि इस मसले पर उसकी राय क्या है और वो क्या करने जा रही है। सुनवाई के दौरान कराची में आर्मी के लिए अलॉट जमीन पर बनी पांच मंजिला बिल्डिंग का भी जिक्र हुआ।
इस पर कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा- जब यह बिल्डिंग बन रही थी, तब आप लोग क्या कर रहे थे। सिंध बिल्डिंग कंट्रोल अथॉरिटी क्या कर रही थी? इसके पास सिर्फ सिंध में 1400 कर्मचारी हैं। इनमें से 600 बिल्डिंग इंस्पेक्टर हैं। ये लोग बिल्डिंग बनने से क्यों नहीं रोक पाए।
अब रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स भी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी, फौजी फाउंडेशन, शाहीन फाउंडेशन और बहरिया फाउंडेशन जैसे कई प्रोजेक्ट्स हैं, जहां फौज सीधे तौर पर रियल एस्टेट से जुड़े कारोबार कर रही है। ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान के करीब-करीब हर हिस्से में हैं और सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इन प्रोजेक्ट्स की निगरानी फौज के सर्विंग या रिटायर अफसर करते हैं।
इसके अलावा खेती, एजुकेशन, थिएटर और मैरिज गार्डन भी फौज के पास हैं। इनके जरिए होने वाली कमाई फौज अपने पास ही रखती है और इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती।
1954 में शुरू हुआ बिजनेस
पाकिस्तान की फौज ने सबसे पहले 1954 में पहला वेलफेयर फाउंडेशन शुरू किया था। 1954 में आर्मी चीफ जनरल अयूब खान और डिफेंस सेक्रेटरी मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने फौजी फाउंडेशन बनाया।
इस वेलफेयर फाउंडेशन की शुरुआत उस फंड से हुई थी जो बंटवारे के समय पाकिस्तान को मिला था। भारत में इस फंड को दूसरे विश्व युद्ध में शामिल सैनिकों के बीच बांट दिया, लेकिन पाकिस्तान की मिलिट्री ने इसे खुद के बड़े-बड़े इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट शुरू करने में लगाया।
1954 से 1969 के बीच पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना का व्यापार तेजी से बढ़ा। 1958 में पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
देश में मार्शल लॉ लागू कर आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की बागडोर सौंप दी थी। 13 दिन बाद अयूब खान ने तख्तापलट करते हुए देश के राष्ट्रपति को पद से हटा दिया था। इस तरह पूरी राजनीतिक पावर पाकिस्तान आर्मी के पास आ गई थी। इसी की बदौलत आर्मी ने अपने बिजनेस को भी कई सेक्टर्स में फैलाया।
8 शहरों में 2 लाख करोड़ रुपए की जमीन
पाकिस्तान छोड़कर ब्रिटेन की नागरिकता हासिल कर चुकीं जर्नलिस्ट आयशा सिद्दीकी ने कई बार फौज के बिजनेस का खुलासा किया है। उनके मुताबिक- पाकिस्तान में आर्मी 8 शहरों में डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी को संभालती है। आर्मी के पास ही इन घरों को बनाने से लेकर अलॉटमेंट तक की जिम्मेदारी है। इसमें इस्लामाबाद, रावलपिंडी, कराची, लाहौर, मुल्तान, गुजरांवाला, बहावलपुर, पेशावर और क्वेटा शामिल है।
इन शहरों में आर्मी सिर्फ कंटोनमेंट एरिया तक सीमित नहीं है। बल्कि यहां के पॉश इलाकों में भी आर्मी की प्रॉपर्टी है। इन जमीनों को भी आर्मी ही आवंटित करती है।
फौजी फाउंडेशन ने स्थापना के बाद उन क्षेत्रों में निवेश करना शुरू किया जहां डिमांड सबसे ज्यादा होती है। पाकिस्तान में तंबाकू, शुगर और कपड़ा उद्योग शामिल थे। मर्दान में खैबर तंबाकू कंपनी, रावलपिंडी में केरेअल मेन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री, सिंध में शुगर मिल पाक आर्मी चलाती है।
पाकिस्तान आर्मी की तरह ही पाकिस्तान एयरफोर्स भी शाहीन ट्रस्ट के माध्यम से अपना बिजनेस चलाती है। शाहीन एयरपोर्ट सर्विसेस, शाहीन एयरोट्रेड्स, शाहीन कॉम्लेक्स कराची और लाहौर जैसे शहरों में हैं।
पाकिस्तान एयरफोर्स ने शाहीन फाउंडेशन की स्थापना 1977 में की थी। इस ट्रस्ट की स्थापना सेवारत और रिटायर्ड पाकिस्तानी सैनिकों के वेलफेयर के लिए किया गया था। 2019 में सामने आई एक ऑडिट रिपोर्ट में पता चला था कि पाकिस्तानी एयरफोर्स ने नेशनल सिक्योरिटी के लिए हासिल की गई जमीन पर हाउसिंग स्कीम शुरू कर दी।