अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की रेस में शामिल भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी ने कहा कि मैं एक हिंदू हूं। मुझे सिखाया गया है कि भगवान ने हम सबको यहां किसी मकसद से भेजा है। मैं कोई फर्जी हिंदू नहीं हूं, जिसने अपना धर्म बदला हो। मैं अपने राजनीतिक करियार के लिए झूठ नहीं बोल सकता।
CNN टाउन हॉल को संबोधित करते वक्त आयोवा में एक रिपब्लकिन पार्टी की महिला जिनी मिचेल ने रामास्वामी से पूछा कि एक हिंदू राष्ट्रपति अमेरिका को कैसे चला सकता है। मिचेल ने कहा- कई लोग ऐसा मानते हैं कि आप अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं बन सकते क्योंकि आप उस धर्म को नहीं मानते जिसपर हमारे पूर्वजों ने अमेरिका की स्थापना की थी।
इस पर रामास्वामी ने कहा- मैं इससे सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि हम सब बराबर हैं, क्योंकि हमारे अंदर भगवान बसते हैं। मैं ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिहाज से सबसे अच्छा राष्ट्रपति नहीं हो सकता। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति का ये काम नहीं होता है। मैं उन मूल्यों का जरूर पालन करूंगा, जिनपर अमेरिका की स्थापना हुई थी।
रामास्वामी ने कहा- हिंदू-ईसाई धर्म में कई समानताएं
हिंदू और ईसाई धर्म पर बात करते हुए विवेक ने कहा कि दोनों के मूल्यों में काफी समानताएं हैं। मैंने एक कैथोलिक स्कूल में पढ़ाई की है। ओहायो के सेंट जेवियर स्कूल में मुझे वही सिखाया गया जो मैंने अपने घर पर सीखा।
रामास्वामी ने आगे कहा- मैं बहुत ही पारंपरिक परिवार में पला-बढ़ा हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे सिखाया है कि परिवार ही जीवन की नींव होती है, शादी बहुत ही पवित्र है और तलाक कभी भी समाधान नहीं हो सकता। मुझे बताया गया है कि जीवन में कुछ हासिल करने के लिए हमें कई चीजों का त्याग करना पड़ता है। यहूदी और ईसाई धर्मों में भी यही मूल्य हैं।
ओहायो में जन्मे भारतीय मूल के रामास्वामी
38 साल के विवेक रामास्वामी का जन्म ओहायो में हुआ। उनके माता-पिता भारत के अप्रवासी थे। विवेक ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। येल में पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात अपूर्वा से हुई। दोनों ने साल 2015 में शादी कर ली।
2014 में उन्होंने अपनी खुद की बायोटेक कंपनी, रोइवंत साइंसेज की स्थापना की, जिसने उन दवाओं के लिए बड़ी कंपनियों से पेटेंट खरीदे। रामास्वामी ने 2021 में CEO पद से इस्तीफा दे दिया था।