पेइचिंग । चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है पूर्वी लद्दाख में हजारों सैनिकों की तैनाती करने के बाद चीन अब भारत के पूर्वी हिस्से में तनाव का नया मोर्चा खोल रहा है। चीन ने भूटान से लगे डोकलाम के पास में अपने एच-6 परमाणु बॉम्बर और क्रूज मिसाइल को तैनात किया है। चीन इन विनाशकारी हथियारों की तैनाती अपने गोलमुड एयरबेस पर कर रहा है। यह एयरबेस भारतीय सीमा से मात्र 1150 किलोमीटर दूर है। इससे पहले चीन ने इस घातक बॉम्बर की तैनाती अक्साई चिन के काशगर एयरबेस पर की थी। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट की ओर से जारी सैटलाइट तस्वीर में इस बॉम्बर के साथ केडी-63 लैंड अटैक क्रूज मिसाइल भी नजर आ रही है। इस मिसाइल की मारक क्षमता करीब 200 किलोमीटर है। इसके अलावा एयरबेस पर शियान वाई-20 मालवाहक सैन्य विमान भी नजर आ रहा है।
चीनी एच-6 के बॉम्बर को लंबी दूरी पर स्थित टारगेट को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। चीन ने इस विमान को विशेष रूप से अमेरिका के गुआम बेस को निशाना बनाने के लिए शामिल किया है। इसके पिछले मॉडल में मिसाइल की क्षमता सीमित थी लेकिन इसे अपग्रेड कर अब और उन्नत बनाया गया है। चीन ने पिछले कुछ दिनों से डोकलाम के पास अपनी एक्टिविटी बढ़ाई है। 2017 में डोकलाम में ही भारत और चीन के बीच विवाद हुआ था और फिर 73 दिन के गतिरोध के बाद चीन के सैनिकों को पीछे हटना पड़ा था। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक चीन ने जून और जुलाई में डोकलाम के पास नए निर्माण काम किए हैं। वह नॉर्थ डोकलाम की जनरल एरिया में यह निर्माण काम कर रहा है। चीन इस ट्राइजंक्शन पर सिंच ला और टोरसा नाला के साथ साथ लगी दीवार पर काम आगे बढ़ा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक चीन सिंच ला से करीब 1 किलोमीटर साउथ ईस्ट की तरफ एक बहुमंजिला इमारत भी बना रहा है। सिंच ला के पश्चिम की तरफ चोटियों पर करीब 13 इलैक्ट्रिक पोल भी देखे गए हैं। इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक यह भी जानकारी मिली है कि चीन सिंच ला से पश्चिम की तरफ एक पैदल चलने वाले रास्ते को भी अपग्रेड कर रहा है। एलएसी पर तनाव के बीच भारत चीन की तरफ हो रही किसी भी हरकत पर पूरी नजर बनाए हुए है। पूरे एलएसी पर भारतीय सेना सतर्क है और तैनाती भी बढ़ाई गई है।
डोकलाम के पास 2017 में चीन ने सड़क बनाने की कोशिश की थी जिसे भारतीय सैनिकों ने तुरंत रुकवा दिया। चीन जिस जगह पर सड़क बना रहा था वह भूटान का इलाका है। भूटान के साथ हुए समझौते के तहत भारत भूटान की संप्रुभता की रक्षा में मदद करता है। डोकलाम एक ट्राई जंक्शन है जहां भारत, चीन और भूटान की सीमा मिलती है। यह सामरिक रूप से अहम है क्योंकि अगर चीन इस इलाके में आगे आता है तो भारत के पूर्वी इलाके के लिए दिक्कत हो सकती है। बता दें कि डोकलाम में वर्ष 2017 में भारत के सख्त रुख के बाद पीछे हटने को मजबूर हुए चीन ने पिछले तीन साल में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अपने इलाके में हवाई ठिकानों की संख्या को दोगुना कर दिया है। इसके अलावा भारतीय विमानों और मिसाइलों को मार गिराने के लिए एयर डिफेंस पोजिशन और हेलीपोर्ट की संख्या को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। चीन ने यह तैयारी लद्दाख में तनाव पैदा करने के ठीक पहले की जिससे उसकी मंशा अब खुलकर सामने आ रही है।