अब प्राइवेट कंपनियों को भी देनी होगी वैकेंसी की जानकारी! जान लीजिए क्या है सरकार का प्लान
Updated on
21-01-2025 02:09 PM
नई दिल्ली: सरकार रोजगार के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। इसके तहत निजी कंपनियों के सभी विभागों में वैकेंसीज के बारे में अनिवार्य रूप से सरकार को जानकारी देनी होगी। यह एम्प्लॉमेंट रेगुलेशन में बदलाव का संकेत है। सरकार एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंजेज (कंपलसरी नोटिफिकेशन ऑफ वैकेंसीज) एक्ट, 1959 की जगह नया सोशल सिक्योरिटी एक्ट लाने की योजना बना रही है। इसका मकसद वैकेंसीज के बारे में सूचना प्रसारित करने के लिए तंत्र को औपचारिक रूप देना है। इसका पालन नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार इसके लिए जुर्माना बढ़ाना चाहती है। पहले यह 100 रुपये हुआ करता था जिसे बढ़ाकर 50,000 रुपये तक किया जा सकता है।
महाराष्ट्र के कौशल शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता राज्य मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा, 'हमारे पास रोजगार कार्यालय हैं, लेकिन वे निष्क्रिय हो गए हैं। कानून में बदलाव के साथ हम उन्हें रिवाइव और मजबूत करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनियां सरकार को वैकेंसीज के बारे में जानकारी दें।' लोढ़ा ने सोमवार को कहा कि 100-500 रुपये के मामूली जुर्माने ने कंपनियों को वैकेंसीज के बारे में जानकारी देने से हतोत्साहित किया है। लेकिन संशोधित कानून से यह पूरा मामला बदल जाएगा।
क्या होगा फायदा
अभी अधिकांश कंपनियां लिंक्डइन जैसे एम्प्लॉयमेंट ओरिएंटेड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी वैकेंसीज को पोस्ट करती हैं। अभी यह साफ नहीं है कि सरकार इस प्रयास को क्यों दोहराना चाहती है। अनुपालन को आसान बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार कंपनियों के लिए अपने रिक्तियों को सूचीबद्ध करने के लिए एक राज्य-विशिष्ट नौकरी पोर्टल विकसित करने की योजना बना रही है। मंत्री के अनुसार यह पहल महाराष्ट्र सरकार की एक व्यापक 100-दिवसीय कार्य योजना का हिस्सा है। सीआईआई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सौगत रॉयचौधरी ने कहा कि रिक्तियों को अधिसूचित करने का प्रावधान पहले से ही है। यह नया प्रस्ताव हर राज्य में नौकरियों की संख्या को समझने में मदद करेगा। एक तरफ इंडस्ट्री को प्रतिभा की तलाश है और दूसरी तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है। यह एक अच्छी पहल है। केंद्र प्लेसमेंट एजेंसियों को रेगुलेट करने के लिए एक निजी प्लेसमेंट अधिनियम का मसौदा भी तैयार कर रहा है। मिजोरम, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्य पहले ही इस विधेयक के लिए इनपुट दे चुके हैं। महाराष्ट्र भी इसके लिए सबमिशन करने की योजना बना रहा है।
अकाउंटिबिलिटी का सवाल
इस अधिनियम के तहत, सभी प्लेसमेंट एजेंसियों को अपने संबंधित राज्य में पंजीकरण कराना होगा, जो उन्हें सूचीबद्ध करेगा और उनकी निगरानी करेगा। एक अधिकारी ने कहा कि ये एजेंसियां अक्सर फीस लेती हैं और नौकरी दिलाने का वादा करती हैं, लेकिन कई बार उम्मीदवारों को धोखा देती हैं। उन्हें पंजीकृत करके, हम उन्हें जवाबदेह ठहरा सकते हैं और उनके प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त नौकरियों के डेटा को ट्रैक कर सकते हैं। इन एजेंसियों को राज्य द्वारा आयोजित नौकरी मेलों में भी भाग लेना होगा।
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