पोप फ्रांसिस ने आखिरकार रोमन कैथोलिक प्रीस्ट्स (धर्मगुरु या पादरी) को यह इजाजत दे दी है कि वो सेम-सेक्स कपल्स या समलैंगिकों को आशीर्वाद दे सकें। यह मंजूरी इसलिए अहम है, क्योंकि महज दो साल पहले वेटिकन सिटी में पोप के ऑफिस से जारी बयान में समलैंगिकों की शादी को पाप बताया गया था।
बहरहाल, अब वेटिकन सिटी की तरफ से कहा गया है कि ईश्वर का आशीष और उसका प्रेम पाने का अधिकार सभी को है।
चर्च के रुख में बदला
अमेरिकी न्यूज चैनल CNN की रिपोर्ट के मुताबिक LGBTQ+ कम्युनिटी के लिए पोप फ्रांसिस का आदेश चर्च के रवैये और नजरिए में बड़े बदलाव की तरफ साफ इशारा है। हालांकि ये चर्च की सामान्य रस्म का हिस्सा नहीं होगा। इस बारे में वेटिकन ने जो डॉक्यूमेंट तैयार किया है, उसे पोप फ्रांसिस ने सोमवार को मंजूरी दे दी।
इसी साल अक्टूबर में वेटिकन से खबर आई थी कि पोप समलैंगिकों को आशीर्वाद दिए जाने की मंजूरी देने का मन बना चुके हैं और इस बारे में दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। ये इसलिए अहम हो जाता है कि 2021 में वेटिकन डॉक्ट्रिन (सामान्य तौर पर नियम) में कहा गया था- ईश्वर पाप को आशीष नहीं देते। इसके बाद जुलाई 2023 में वेटिकन के डॉक्ट्रिन डिपार्टमेंट ने इस बारे में विचार शुरू किया। डिपार्टमेंट की अगुआई कार्डिनल विक्टर मैनुअल फर्नांडीज कर रहे थे। विक्टर पोप के करीबी हैं। पोप कई मामलों में परंपरा से अलग हटकर सोच रखते हैं।
सही दिशा में उठाया गया गंभीर कदम
वेटिकन की ताजा डॉक्ट्रिन में कार्डिनल विक्टर कहते हैं- ईश्वर का आशीर्वाद सभी के लिए काम करता है, ये सिर्फ उनके लिए नहीं होता जो खुद को सही बताते हैं। अब उन लोगों को भी चर्च की तरफ से आशीष मिल सकेगा जो असामान्य हालात में हैं या समलैंगिक हैं।
प्रीस्ट जेम्स मार्टिन इस बारे में आवाज उठाते रहे हैं और पोप फ्रांसिस ने उनका समर्थन भी किया था। मार्टिन नए नियम या डॉक्ट्रिन को सेम-सेक्स कपल्स के लिए बेहतर बताते हुए कहते हैं- यह सही दिशा में उठाया गया गंभीर कदम है। 2021 के बाद वेटिकन के रुख में बदलाव आया है। मार्टिन ने CNN से कहा- मैं बहुत खुश हूं। अब मैं अपने उन दोस्तों को आशीर्वाद दे सकूंगा जिन्होंने समलैंगिक विवाह या सेम-सेक्स मैरिज की है।
10 साल पहले ही संकेत मिल गए थे
रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में पोप से एक रिपोर्टर ने वेटिकन में समलैंगिकता से जुड़ा सवाल किया था। इसके जवाब में पोप ने कहा था- मैं इस बारे में फैसला करने वाला कौन होता हूं? इसके बाद कुछ मौकों पर पोप ने सेम-सेक्स कपल्स को भी दूसरे लोगों की तरह समझने की तरफ इशारा किया।
बहरहाल, ये भी सच है कि 2003 में वेटिकन ने इसका विरोध किया था। तब चर्च की तरफ से कहा गया था- ये जरूरी है कि समलैंगिकों के संगठनों को कानूनी मान्यता मिलने या दिए जाने का विरोध किया जाए। पोप ने एक अमेरिकी नन जेनि ग्रेमिक से हाल ही में मुलाकात की थी। जेनी कई साल से समलैंगिकों का समर्थन करती रही हैं और एक वक्त उन्हें चर्च की तरफ से बैन भी किया गया था। जेनी से मुलाकात के बाद पोप ने उन्हें ‘बेखौफ महिला’ बताया था।
नए नियम में कहा गया है कि सेम-सेक्स या अनमैरिड कपल्स को आशीर्वाद तो दिया जा सकता है, लेकिन ये उनके हालात या स्टेटस को मान्यता देना नहीं माना जाएगा। पोप मानते हैं कि चर्च को सिर्फ खारिज करने वाला नहीं बनना चाहिए, उसे आशीर्वाद के बारे में बड़ी सोच रखनी चाहिए।