वॉशिंगटन ।
अमेरिका की स्पेस
एजेंसी नासा ने
साफ किया है
कि अगर एक
छोटा ऐस्टरॉइड की
टक्कर धरती से
होती है तो
इससे धरती को
कितना नुकसान होगा।
नासा ने बताया
है कि ऐस्टरॉइड
2018वीपी1 बेहद छोटा
है। इसका आकार
करीब 6.5 फीट बड़ा
है और इससे
धरती को कोई
खतरा नहीं है।
धरती के वायुमंडल
में इसके दाखिल
होने की संभावना
0.41फीसदी है लेकिन
अगर यह दाखिल
होता भी है
तो भी इससे
नुकसान की आशंका
कम है। ऐसा
इसलिए है क्योंकि
छोटे आकार की
वजह से यह
वायुमंडल में दाखिल
होने के साथ
ही टूटकर जल
जाएगा। 2018वीपी1 अपोलो ऐस्टरॉइड
की श्रेणी में
आता है। ये
धरती के पास
मौजूद ऐसे ऐस्टरॉइड
होते हैं जिनका
ऑर्बिट (कक्षा) धरती से
बड़ा होता है
लेकिन ये फिर
भी धरती की
कक्षा में आ
जाते हैं। ऐसा
पहला ऐस्टरॉइड अपोलो
1862 में खोजा गया
था। नासा का
कहना है कि
धरती पर हर
रोज ऐसी टनों
धूल गिरती है
और 2018वीपी1 के आकार
के ऐस्टरॉइड कोई
भी नुकसान पहुंचाने
के लिए बेहद
छोटे हैं। इस
ऐस्टरॉइड की खोज
2018 में कैलिफॉर्निया की पालोमर
ऑब्जर्वेटरी में की
गई थी। इसके
छोटे आकार की
वजह से इसे
पोटेंनश्यिली हेझारडोस आब्जेक्टस की
लिस्ट में नहीं
रखा गया है।
नासा की सेट्री
रीस्क टेबल में
ऐसे खतरनाक ऐस्टरॉइड
पर नजर रखी
जाती है ताकि
भविष्य में इनसे
होने वाले खतरे
से बचा जा
सके। बता दें
कि कुछ दिन
पहले यह खबर
आई थी कि
अमेरिका में होने
वाले राष्ट्रपति चुनाव
से एक दिन
पहले, 2 नवंबर को एक
छोटा ऐस्टरॉइड धरती
की ओर आएगा।
इसे लेकर आशंका
जताई गई थी
कि इसके धरती
से टकराने की
संभावना है।