काठमांडू । एक ताजा
रिपोर्ट की माने तो चीन के साथ संबंध रखने के चलते नेपाल अपनी स्वायत्तता और फैसले
लेने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी पैसे के बल
पर वफादारों का नेटवर्क तैयार कर रही हैं। लेखक रोलैंड जैक्वार्ड ने अपने लेख में बताया
है कि चीन की नीति है कि वह उन देशों के राजनीतिक वर्ग को भ्रष्ट करता है, जो आर्थिक
रूप से मजबूत नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि कैसे नेपाल की विदेश
नीति चीन की विस्तारवादी रणनीति का शिकार हो रही है। पिछले साल जनवरी में, जिस दिन
चीन ने वेनेजुएला पर आर्थिक प्रतिबंधों लगाने के लिए अमेरिका के कदम की निंदा की थी,
सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) ने भी एक ऐसा ही बयान जारी किया। यह शायद
पहली बार था जब नेपाल ने लैटिन अमेरिका में अमेरिकी नीतियों से संबंधित एक स्टैंड लिया
था। नेपाल में रहने वाले तिब्बती शरणार्थियों के मानवाधिकारों की स्थिति लगातार बिगड़
रही है। नेपाल तिब्बत के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है। यह 20,000 से अधिक तिब्बतियों
का घर है, जिनमें से कई दलाई लामा के 1959 में भारत में शरण लेने के बाद देश में आ
रहे हैं। ज्यादातर शरणार्थियों को चीन भेज देने की धमकी मिलती है। जैक्वार्ड लेख में
लिखते हैं काठमांडू में चीनी दूतावास लगातार वफादारों के एक नेटवर्क का निर्माण कर
रहा है, और उन्हें दूतावास के लिए किए गए कामों के बहाने कई बार फायदा पहुंचाया जाता
है। उदाहरण के तौर पर, नेपाल में चीनी दूतावास ने एनसीपी के सदस्य राजन भट्टराई को
नेपाल-भारत के संबंधों पर एक रिसर्च पेपर के लिए 1.5 मिलियन नेपाली रुपये का कॉन्ट्रैक्ट
उपहार में दिया। राजन पीएम केपी शर्मा ओली के विदेश मामलों के सलाहकार हैं।मालूम हो
कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति से दुनिया के कई देशों पर अपना प्रभाव जमा रहा है। अब
नेपाल सरकार के साथ चीन की सांठगांठ नेपाल की संप्रभुता और उसके स्वतंत्र होकर फैसले
लेने की क्षमता पर सवाल खड़े कर रही है।