पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N) के चीफ नवाज शरीफ ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि उनके छोटे भाई शाहबाज शरीफ ही मुल्क के अगले वजीर-ए-आजम यानी प्रधानमंत्री होंगे, क्योंकि मुल्क को अभी वही संभाल सकते हैं।
शाहबाज शरीफ पिछली सरकार में भी प्रधानमंत्री थे और 16 महीने इस पद पर रहे थे। इसके बाद केयरटेकर गवर्नमेंट आई और उसने मुल्क में 8 फरवरी को आम चुनाव कराए। नई सरकार के लिए PML-N ने आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के साथ पोस्ट पोल अलायंस किया है।
हालात से निपटना आसान नहीं
बुधवार को मीडिया से बातचीत में नवाज ने कहा- मुझे लगता है कि पाकिस्तान के अभी जो हालात हैं, उनको संभालने के लिए और मुल्क को वापस सही रास्ते पर लाने के लिए शाहबाज ही सबसे अच्छी पसंद हैं। उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन का भरपूर तर्जुबा है। इस वक्त हमारा देश मुश्किलों से गुजर रहा है और हर फ्रंट पर काम करने की जरूरत है।
नवाज ने आगे कहा- आपको याद होगा कि पिछले साल हम बिल्कुल डिफॉल्ट होने की कगार पर थे और उस वक्त शाहबाज ने सत्ता संभाली थी। इसके बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ बहुत मेहनत से काम किया और हम दिवालिया होने से बच गए। अब सवाल ये है कि नई सरकार के सामने क्या चैंलेज होंगे। सबसे पहले तो इकोनॉमी को पटरी पर रास्ते लाना होगा। इसलिए मैं कह रहा हूं अगले डेढ़ या दो साल तक हमें सख्त फैसले लेने होंगे।
एक सवाल के जवाब में नवाज ने कहा- मुझे पूरा यकीन है कि हम मिलकर इस मुल्क को मुश्किलों से निकाल लेंगे। हां, इस दौरान कुछ फैसलों का विरोध भी होगा, लेकिन आखिरकार पाकिस्तान है तो हम सब हैं। मैं मानता हूं कि अगर हमारे इरादे नेक हों तो ऊपर वाला भी मदद करता है।
नवाज ने आखिर में कहा- फ्यूल के अलावा गैस एक ऐसी चीज है, जिसके दाम हर महीने बढ़ रहे हैं। हमें इकोनॉमी सुधारनी है, लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि इसकी वजह से आम लोगों को दिक्कत न हो।
बिलावल पर असमंजस
अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी कैबिनेट में शामिल होंगे या नहीं। पिछली सरकार में वो विदेश मंत्री थे।\
भुट्टो कह चुके हैं कि वो PML-N को बाहर से समर्थन देंगे, लेकिन सरकार में शामिल नहीं होंगे। इसके बाद नवाज शरीफ ने PML-N को समर्थन देने वाली पार्टियों का शुक्रिया अदा किया। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक- बिलावल फैसला बदलकर सरकार में शामिल हो सकते हैं।
आखिर शाहबाज ही क्यों
नवाज शरीफ पिछले साल चुनाव के लिए ही लंदन से पाकिस्तान खास तौर पर आए। बीते दिनों जब उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनने की रेस में नहीं हैं तो मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी कई वजहें गिनाई गईं।
कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना के संबंध उतने अच्छे नहीं हैं जितने शाहबाज शरीफ के हैं। और सेना शहबाज शरीफ को ही प्रधानमंत्री बनाना चाहती है।
ये भी कहा गया कि पाकिस्तानी सेना ने नवाज के आगे दो शर्तें रखीं। एक ये कि अगर वे अपनी बेटी मरियम को पंजाब का CM बनाना चाहते हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री पद से दूर रहना होगा। दूसरी शर्त ये थी कि अगर नवाज शरीफ खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो उन्हें शाहबाज शरीफ को पंजाब का CM बनाने के लिए सहमत होना पड़ेगा। मरियम पंजाब की सीएम बन चुके हैं।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार आसिम रजा ने कहा- नवाज शरीफ की सियासत सीधी है। वे असल में गठबंधन की सरकार नहीं चाहते थे। उन्हें उनके नजदीकी लोगों ने भरोसा दिलाया था कि पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे पहले के चुनावों में भी वो पाकिस्तान की अवाम से अपील करते रहे हैं कि मुझे स्पष्ट बहुमत के लिए वोट करिए।
आसिम ये मानते हैं कि नवाज शरीफ का इरादा मरियम को पंजाब का CM बनाना था और ये पूरा हो गया है। नवाज गठबंधन सरकार को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं। मरियम को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने का उनका इरादा शुरू से था। वो पूरा हुआ। मुमकिन है कि वो जल्द वापस लंदन चले जाएं।