पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने किसी सांसद या विधायक को आजीवन अयोग्य करार दिए जाने के कानून को रद्द कर दिया। अब अगर किसी सांसद या विधायक को किसी मामले में सजा भी होती है तो वो सिर्फ 5 साल चुनाव नहीं लड़ सकेगा या कोई सरकारी पद हासिल नहीं कर सकेगा।
इस फैसले के सियासी मायने ज्यादा हैं। वजह ये है कि 8 फरवरी 2024 को पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं। करीब चार साल बाद ब्रिटेन से मुल्क लौटे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अगले PM के तौर पर देखा जा रहा है। उन्हें इस फैसले का सीधा फायदा होगा, क्योंकि इमरान खान के दौर में उन्हें आजीवन अयोग्य ठहराया गया था। इमरान इस वक्त जेल में हैं।
पहले आसान भाषा में फैसला समझें
2018 में जब फौज की मदद से इमरान खान प्रधानमंत्री बने तो नवाज शरीफ को कई मामलों में फंसाकर उन्हें जेल भेज दिया गया। इन्हीं में से एक केस था पनामा पेपर लीक। इसमें नवाज को सजा हुई। उनके ताउम्र इलेक्शन लड़ने और कोई सरकारी पोस्ट हासिल करने पर रोक लगा दी गई।
नवाज को सजा एक खास कानून के तहत हुई। इसे आर्टिकल 62 की धारा (1) के एक खास हिस्से (f) कहा जाता है। इसी कानून और इसी धारा के तहत नवाज को ताउम्र नाअहल (आजीवन अयोग्य) करार दिया गया।
सोमवार 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस कानून के खिलाफ दायर कुछ याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इसके मुताबिक- अब अगर किसी सांसद या विधायक को किसी भी मामले में सजा होती है तो उसे आजीवन अयोग्य करार नहीं दिया जा सकेगा। वो सिर्फ पांच साल तक अयोग्य रहेगा और इसके बाद वो कोई भी पद हासिल कर सकेगा। संविधान पीठ में चीफ जस्टिस काजी फायज ईसा समेत कुल सात जज थे।
गौर से देखें तो यह फैसला भी नया नहीं है। दरअसल, इमरान खान के दौर में नवाज की सियासत को खत्म करने के लिए आजीवन अयोग्यता के कानून को पास कराया गया था और उस वक्त संसद में विपक्ष था ही नहीं। इसके पहले अयोग्यता सिर्फ 5 साल ही थी। यानी 2018 के पहले के कानून को ही नए सिरे से वापस लाया गया है।
अपने ही जाल में फंसे इमरान, फिर भी फायदे में
इमरान जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने नवाज शरीफ और देश के ‘शुगर टायकून’ जहांगीर खान तरीन की सियासत को खत्म करने के लिए इस कानून का सहारा लिया था। तब के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने उनकी जबरदस्त मदद की थी।
बहरहाल, वक्त बदला तो इमरान की सियासी तकदीर के सितारे भी गर्दिश में आ गए। उनकी सरकार गिरा दी गई। शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने और तब से आजीवन अयोग्यता कानून को रद्द कराने के तरीके खोजे जा रहे थे।
भले ही इमरान ने नवाज और तरीन को रोकने के लिए आजीवन अयोग्यता का कानून बनाया हो, लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले का उन्हें फायदा होगा। और वो इस तरह की अगर पुराना कानून ही जारी रहता तो इमरान भी आजीवन अयोग्य हो जाते, क्योंकि उन्हें भी करप्शन समेत दो मामलों में सजा हो चुकी है और वो जेल में हैं।
अब चूंकि आजीवन अयोग्यता का कानून रद्द हो गया है और इसकी मियाद पांच साल तय कर दी गई है तो इसके मायने ये हुए कि पांच साल बाद इमरान भी न सिर्फ चुनाव लड़ सकेंगे, बल्कि मौका हाथ आया तो फिर प्रधानमंत्री भी बन जाएंगे।
सेना पर धांधली का आरोप
दिसंबर 2023 में लाहौर में अपनी पार्टी PML-N के एक समारोह में नवाज ने कहा था- सेना ने 2018 के चुनाव में धांधली करके देश पर एक सरकार थोप दी। यही सरकार नागरिकों की परेशानी और देश की आर्थिक स्थिति धाराशायी होने का कारण बनी।
नवाज शरीफ ने कहा था- देश के जज सेना के तानाशाहों के कानून तोड़ने पर माला पहनाकर उनका स्वागत करते हैं। उनके फैसलों को सही ठहराते हैं। इसके बाद उन्हीं तानाशाहों के कहने पर प्रधानमंत्री को पद से हटा दिया जाता है। कोर्ट में जज संसद को भंग करने का फैसला सुना देते हैं।
नवाज के मुताबिक- 1999 में एक सुबह प्रधानमंत्री था और फिर शाम आते तक मुझे हाइजैकर घोषित कर दिया गया। इसी तरह 2017 में अपने बेटे से तनख्वाह न लेने पर मुझे दोषी ठहराते हुए पद से हटा दिया गया। नवाज ने बिना नाम लिए इमरान खान पर तंज कसते हुए कहा- सेना ने ये फैसला लिया, क्योंकि अपनी पसंद के व्यक्ति (इमरान खान) को सत्ता में लाना चाहती थी।
नवाज ने 2017 में सत्ता से बेदखल किए जाने के लिए पाकिस्तान के पूर्व ISI प्रमुख जनरल फैज हमीद को जिम्मेदार ठहराया था। नवाज ने कहा था- फैज और कई दूसरे लोगों ने कहा था कि अगर नवाज जेल से बाहर आ गए तो उनकी 2 साल की मेहनत बर्बाद हो जाएगी।
नवाज शरीफ 3 बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने भारत से रिश्तों पर कहा था- मुझे 1999 में सत्ता से इसलिए बेदखल कर दिया गया था क्योंकि मैंने सेना के कारगिल प्लान का विरोध किया था। मुझे इस बात की वजह जानने का हक है कि मुझे 1993 और 1999 में सत्ता से क्यों हटा दिया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे कहा था- मैंने कारगिल प्लान के लिए कहा था कि ये सही नहीं है। इस पर तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने मुझे निकलवा दिया। बाद में मेरी बात सही साबित हुई थी। मेरे कार्यकाल के दौरान भारत के 2 प्रधानमंत्री वाजपेयी और मोदी पाकिस्तान आए थे।