यह दिन वसंत के आगमन का प्रथम दिवस है। पुरानी कहावत है- आया वसंत जाड़ा उड़ंत। यह दिन ऋतु परिवर्तन का परिचायक भी है। भगवान कृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता भी हैं। पक्षियों में कलरव,भौरांे की गुंजन, पुष्पों की मादकता से युक्त वातावरण वसंत ऋतु की विशेषता है। पशु-पक्षियों तक में कामक्रीड़ा की अनुभूति होने लगती है। वस्तुतः यह मदनोत्सव का आरंभ है। इसी दिन कामदेव के साथ-साथ रति व सरस्वती का पूजन भी होता है। होली का प्रारंभ भी इस दिन से होता है और समापन फाल्गुन की पूर्णिमा पर होलिका दहन पर होता है। जैसे सावन में सब हरा हरा दिखता है, वसंत पर हर जगह पीला रंग दिखता है। पीली सरसों, पीले परिधान, पीली पतंगे, पीले मिष्ठान, वातावरण वासंती हो जाता है।
विवाह के मुहूर्त
इस वर्ष मार्च मास में विवाह के मुहूर्त नहीं हैं। हालांकि फरवरी में विवाह के कई मुहूर्त हैं परंतु वसंत का दिन विवाह की दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन कई सामाजिक संस्थाएं सामूहिक विवाहों का आयोजन भी कर रही हैं । पंचांगानुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन वसंत पंचमी आती है जो इस बार 5 फरवरी को पड़ रही है। पूजा का शुभ समय शनिवार की प्रातः 4 बजे आरंभ हुई बसंत की पंचमी तिथि, रविवार की सुबह 4 बजे तक रहेगी। सरस्वती पूजा का मुहूर्तः सुबह 6 बजे से 9 बजे तक तथा दोपहर- 10.30 से 12.30 तक रहेगा। क्या है पीले रंग का महत्व ? पीला रंग ज्योतिष में गुरु ग्रह से जुड़ा हुआ है जो ज्ञान, विद्या,अध्यन, विद्वता, बौद्धिक उन्नति आदि का प्रतीक है।.इसलिए ज्ञान की देची माता सास्वती की आराधना भी इसी दिन की जाती है। विज्ञान की बात करें तो पीला रंग के उपयोग से हमारे रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ता है। पीले रंग के परिधान सूर्य की उर्जा से मिलकर हमारे हमारे मस्तिष्क को और एक्टिव बनाते हैं। हमारे देश में ऋषि मुनि पीले रंग के परिधानों का उपयोग करते रहे हैं। यही नहीं पीले रंग के खाद्य पदार्थों के सेवन से भी शरीर अधिक हृष्ट पुष्ट रहता है चाहे वह वासंती हलवा हो या स्वर्ण भस्म हो। क्या क्या कर सकते हैं वसंत पंचमी पर ? सगाई या विवाह कर सकते हैं। नया कारोबार आरंभ कर सकते हैं। गृह प्रवेश,मकान की नींव डाल सकते हैं। नया वाहन, बर्तन ,सोना, घर, नए वस्त्र, आभूषण,वाद्य यंत्र, म्युजिक सिस्टम आदि खरीदने का शुभ दिन है। किसी नए कोर्स में एडमिशन, विदेश जाने के लिए आवेदन या संबंधित परीक्षा । लांग अर्म इन्वेस्टमेंट, दीर्घकालीन निवेश, बीमा पालिसी, बैंक खाता आदि। कोई नवीन कार्य आरंभ करें, शिक्षा या संगीत से संबंधित I क्यों खास है बसंत पंचमी ? बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है।बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है।चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं इस लिहाज से अपने परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है व बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं। गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है। इस दिन कई लोग पीले वस्त्र धारण कर पतंगबाजी भी करते हैं।बसंत पंचमी के दिन पेन, काॅपी, किताबों की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से देवी सरस्वती वरदान प्रदान करती हैं। भारत देश के सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस त्योहार का उत्साह सर्वाधिक होता है। अधिकांश स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जो मुख्यतः संबंधित देवी-देवता को ही समर्पित होते हैं। कैसे करें बसंत पंचमी पूजा ? वसंत पंचमी का पर्व भगवान विष्णु व सरस्वती जी की आराधना का पावन दिवस है।प्रातः काल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर धूप दीप, नैवेद्य , व लाल रोली से दोनों की पूजा अचर्ना की जानी चाहिए परंतु इससे पूर्व गणेश जी का पूजन अवश्य होना चाहिए। पीले व मीठे चावलों का भोग लगाना चाहिए। वाणी ,शिक्षा एवं अन्य कलाओं की अधिष्ठात्री देवी मां की आराधना छात्रों को अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती सिद्ध करके मंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करनी चाहिए। कण्ठ में सरस्वती को स्थापित किया जाता है। स्वर,संगीत, ललित कलाओं ,,गायन वादन,लेखन यदि इस दिन आरंभ किया जाए तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। कौन सा करें पाठ या मंत्र ? यह मंत्र कमजोर विद्यार्थी या उनके अभिभावक भी मां सरस्वती के चित्र को सम्मुख रख के 5 या 11 माला कर सकते हैं। ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः वाक सिद्धि हेतु ,यह मंत्र जाप करें- ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नमः आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिए- ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्!! रोजगार प्राप्ति व प्रोमोशन के लिए- ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा !