स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड चार अलग-अलग श्रेणियों में दिया जाता है। इसमें फलक की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में सेमीफाइनल में चुनी गई 16 फिल्मों से मुकाबला करेगी। नैरेटिव श्रेणी में अर्जेटिना, जर्मनी, बेल्जियम जैसे देशों की फिल्में चुनी गई हैं। चंपारण मटन नैरेटिव समेत अन्य तीन श्रेणियों में शामिल भारत की एकमात्र फिल्म है।
स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से फिल्म बनाना पढ़ रहे छात्रों की फिल्मों को दिया जाता है। यह ऑस्कर की ही शाखा है। यह अवार्ड 1972 से दिए जा रहे हैं। इस अवार्ड से पुरस्कृत कई फिल्में ऑस्कर से नवाजी जा चुकी हैं। अभिनेत्री फलक बताती हैं कि आधे घंटे की यह फिल्म बिहार के लोगों की अपने रिश्तों के प्रति ईमानदारी और किसी भी हाल में हार न मानने की कहानी है।
इस फिल्म कि कहानी लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने पर गांव लौटने और पत्नी की इच्छा पूरी करने की कोशिश में लगे एक परिवार के इर्द-गिर्द बुना गया है। कहानी की संवेदनशीलता हर किसी के दिल को छू रही है। यही इसके स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड में पहुंचने की वजह है।
फलक की मां और पिता दोनों प्रोफेसर