चीन ने मालदीव में अपनी ताकत बढ़ाने का अभियान तेज कर दिया है। अब राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव के 187 आबाद द्वीपों में से 36 द्वीपों के अधिकांश हिस्से को चीनी टूरिज्म कंपनियों को लीज पर दे दिया है।
चीनी कंपनियां 12 हजार करोड़ रुपए की लागत से इन द्वीपों को टूरिज्म के लिए डेवलप करेंगी। मालदीव ने हाल में कई द्वीपों के विकास के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। अपनी चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन से ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट मालदीव भेजने की अपील की थी।
इस साल के आरंभ के दो माह में चीन के 4 लाख चीनी टूरिस्ट मालदीव पहुंचे हैं। मालदीव और चीन के बीच जनवरी 2024 में रासमाले में 30 हजार हाउसिंग यूनिट बनाने का प्रोजेक्ट शुरू हुआ था।
पाकिस्तान की राह पर मालदीव, तुर्किये से ड्रोन खरीदे
भारत से तनाव के बीच मालदीव ने पहली बार तुर्किये से मिलिट्री ड्रोन खरीदे हैं। इनका इस्तेमाल समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए किया जाएगा। मालदीव की मीडिया अधाधू न्यूज के मुताबिक, ये ड्रोन्स 3 मार्च को मालदीव डिलिवर किए गए, जो फिलहाल नूनु माफारू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मौजूद हैं।
मालदीव की सरकार ने अब तक ड्रोन्स खरीदने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। फ्लाइट रडार वेबसाइट के मुताबिक, एयरक्राफ्ट तुर्किये के टेकिडाग से मालदीव एयरपोर्ट पहुंचा था। टेकिडाग में तुर्किये की ड्रोन बनाने वाली कंपनी बायकर बेयरेकतार कंपनी का शिपमेंट सेंटर है। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि तुर्किये ने मालदीव को अपने TB2 ड्रोन सप्लाई किए हैं।
रिपोर्ट- ड्रोन खरीदने के लिए मुइज्जू सरकार ने 300 करोड़ बजट रखा
इससे पहले अधाधू ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि राष्ट्रपति मुइज्जू की सरकार ने ड्रोन खरीदने के लिए बजट में से 300 करोड़ से ज्यादा रुपए आवंटित किए हैं। मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि सरकार सड़क, समुद्र और हवाई रास्ते से देश की सुरक्षा में सेना की मदद के लिए आधुनिक उपकरण खरीद रही है।
इससे पहले 4 मार्च को राष्ट्रपति मुइज्जू ने घोषणा की थी कि मालदीव में अब एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन EEZ (समुद्री सीमा) की 24*7 निगरानी शुरू की जाएगी, जिससे देश की रक्षा की जा सके। वहीं इसके 2 दिन पहले ही मालदीव ने चीन के साथ एक रक्षा समझौता किया था। इसके तहत चीन से मालदीव को मुफ्त सैन्य सामग्री (कम खतरे वाली) और मिलिट्री ट्रेनिंग मिलेगी।
मुइज्जू ने कहा था- हमारा देश छोटा, लेकिन हमें कोई धमका नहीं सकता
इससे पहले जनवरी में चीन के दौरे से लौटने के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचते ही देश की सुरक्षा को लेकर बयान जारी किया था। उन्होंने कहा था- हमारा देश छोटा है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आपको हमें धमकाने का लाइसेंस मिल गया है।
मुइज्जू ने आगे कहा था- हिंद महासागर किसी एक देश का नहीं है। मालदीव इस महासागर का सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाले देशों में से एक है। हमारे पास समुद्र में छोटे-छोटे द्वीप हैं, लेकिन 9 लाख वर्ग किलोमीटर का एक बड़ा एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन है।
चीन ने कहा था- मालदीव की आजादी की रक्षा करेंगे
राष्ट्रपति मुइज्जू के दौरे के वक्त चीन ने कहा था कि वो मालदीव के राष्ट्रीय हित में किए जा रहे विकास के एजेंडे में उसकी मदद करेगा। मालदीव की संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में चीन उसके साथ खड़ा है।
अधाधू मीडिया के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति कार्यालय ने इम्पोर्ट ड्यूटी को माफ करने की प्रक्रिया में बदलाव किए थे। इसके तहत राष्ट्रपति को सिक्योरिटी सर्विस से जुड़े सामानों पर इम्पोर्ट चार्ज हटाने का अधिकार दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स में अब इस कदम को मिलिट्री ड्रोन्स खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाने से जोड़कर देखा जा रहा है।
चुनाव जीतते ही सबसे पहले तुर्किये के दौरे पर गए थे राष्ट्रपति मुइज्जू
बता दें कि पिछले साल नवंबर में चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू सबसे पहले तुर्किये के दौरे पर गए थे। जबकि इससे पहले तक मालदीव के नए राष्ट्रपति सबसे पहले भारत का दौरा करते थे। मुइज्जू के तुर्किये के दौरे को उस वक्त उनकी भारत विरोधी विचारधारा से जोड़कर देखा जा रहा था।
दरअसल, भारत और तुर्किये में कई मामलों को लेकर मतभेद है। कश्मीर के मुद्दे पर तुर्किये पाकिस्तान का साथ देता आया है। वहीं मालदीव और तुर्किये के बीच 1979 में द्विपक्षीय रिश्तों की शुरुआत हुई थी। दोनों देश UN और OIC जैसे संगठनों में एक-दूसरे के सहयोगी हैं।
राष्ट्रपति मुइज्जू ने 'इंडिया आउट' का नारा दिया था
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता संभालने के बाद दोनों देशों के बीच खटास आई है। राष्ट्रपति मुइज्जू चीन समर्थक माने जाते है। वे अपने देश से भारतीय सैनिकों को निकालना चाहते हैं। उन्होंने मालदीव में कथित भारतीय सेना की मौजूदगी के खिलाफ 'इंडिया आउट' का नारा दिया था और इसे लेकर कई प्रदर्शन भी किए थे। मालदीव की नई सरकार को लगता है कि वहां भारतीय सैनिकों की मौजूदगी देश की संप्रभुता के लिए खतरा है।