ब्रिटिश मीडिया हाउस ‘स्काय न्यूज’ के मुताबिक, सोमवार शाम यमन के करीब एक अमेरिकी शिप पर मिसाइल से हमला हुआ। इंटेलिजेंस फर्म ‘एम्ब्रे’ के हवाले से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हमला यमन के शहर अदन के कोस्टल एरिया से कुछ दूरी पर हुआ। अब तक किसी नुकसान की खबर नहीं है और यह शिप अब भी समुद्र में अपने सफर पर है।
यह शिप अमेरिका के मार्शल आईलैंड्स का कार्गो जहाज है। बताया गया है कि मिसाइल से एक हिस्से में मामूली आग लगी, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
तनाव बढ़ने का खतरा
न्यूज एजेंसी ‘एपी’ के मुताबिक- अमेरिकी शिप पर हमला सोमवार शाम गल्फ ऑफ अदन में हुआ। इस पर मिसाइल दागी गई थी। यह मिसाइल हूती विद्रोहियों ने दागी थी और लाल सागर में मौजूद अमेरिकी शिप जिब्राल्टर ईगल से कवर्ड हिस्से से टकराई। इससे कोई खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन अमेरिकी नेवी अभी इस बारे में जानकारी देने से बच रही है।
जहाज के कैप्टन ने कंट्रोल रूम को हमले की जानकारी दी। इस जहाज ने लाल सागर में सफर जारी रखा है। इसका मालिकाना हक कनेक्टीकट की एक कंपनी के पास है। उसने भी अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
रविवार को अमेरिका के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा था- लाल सागर में खतरा बढ़ता जा रहा है। हम अपने सभी जहाजों के कैप्टन से अपील करते हैं कि वो अदन की खाड़ी और यमन के इलाके में जाने से बचें। यहां अमेरिकी वॉरशिप तैनात हैं, लेकिन अब तक उन्होंने जवाबी कार्रवाई नहीं की है।
एक और घटना
रविवार को हूती विद्रोहियों ने अमेरिकी डेस्ट्रॉयर और वॉरशिप यूएसएस लेबनान पर भी मिसाइल दागी थी। इसे भी मार गिराया गया था। इसकी जानकारी नेवी सोशल मीडिया पर दी थी।
अमेरिकी फाइटर जेट्स लाल सागर में लगातार उड़ान भर रहे हैं। सोमवार को एक अमेरिकी शिप पर मिसाइल दागी गई। इसके बाद अमेरिकी इंटरसेप्टर ने इस मिसाइल को मार गिराया। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि अमेरिका अब नए सिरे से यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले की तैयारी कर रहा है।
11 जनवरी को किए थे हमले
अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने 11 जनवरी को यमन में हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाकों पर हमले किए थे। हमले 16 लोकेशन्स में 60 टारगेट्स पर किए गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हमलों के आदेश दिए थे। इसके बाद हूती विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
बाइडेन ने कहा- यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ ये एक्शन हाल के दिनों में लाल सागर में जहाजों पर हुए हमलों का बदला है। हालांकि, हूती विद्रोहियों ने अमेरिकी अटैक के बाद कहा है कि वो लाल सागर में हमले बंद नहीं करेंगे।
2016 के बाद ये यमन में हूतियों के खिलाफ किया गया अमेरिका का पहला अटैक है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक यमन में किए जा रहे हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड भी हैं। हमले यमन की राजधानी सना, सदा और धमार शहरों के साथ-साथ होदेइदाह प्रांत में भी हमले किए गए।
हूती विद्रोहियों ने हमलों की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि हमलावरों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। यमन में ये अटैक विमानों, जहाज़ों और एक पनडुब्बी के जरिए किए गए हैं। इससे 2014 से गृहयुद्ध में फंसा यमन एक बार फिर जंग की चपेट में आ गया है।
बाइडेन बोले- शिपिंग रूट बचाया जाएगा
दरअसल, इजराइल-हमास जंग के चलते हूतियों ने गाजा का समर्थन करने के लिए लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू कर दिए थे। हूती लाल सागर के शिपिंग मार्गों को निशाना बना रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा- हूती विद्रोहियों के हमलों के चलते लाल सागर से गुजरने वाले 2 हजार जहाजों को रास्ता बदलना पड़ा अपने लोगों और शिपिंग रूट को बचाने के लिए मैं और कड़े आदेश देने से पीछे नहीं हटूंगा।
दरअसल, इस समुद्री रास्ते से दुनिया के शिपिंग यातायात की लगभग 15% आवाजाही होती है। हूती विद्रोहियों के हमलों से यूरोप और एशिया के बीच मुख्य मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
सऊदी अरब ने अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों से इजराइल-हमास जंग पूरे मिडिल ईस्ट में फैलने का खतरा जताया है। सऊदी के विदेश मंत्रालय ने अपील की है कि कोई भी ऐसी कार्रवाई न की जाए जिससे मामला और आगे बढ़े। वहीं, रूस ने अमेरिका-ब्रिटेन के हमले को गैर कानूनी बताया है। रूस ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सिक्योरिटी काउंसिल UNSC में इमेरजेंसी सेशन बुलाने की मांग की है।