पेरिस ओलंपिक में देश में गोल्डन ब्वॉय के नाम से जाने वाले जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से फिर से पदक की उम्मीद है। टोक्यो ओलंपिक जैसा गोल्डन इतिहास दोहराने की पूरे देश की उम्मीदें है। इसी बीच अपने बेटे की इस ओलंपिक की तैयारियों को लेकर पिता सतीश चोपड़ा ने भी बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि नीरज 31 जुलाई को पेरिस पहुंचे थे। कोच और फिजियो के तय किए नियम के अनुसार नीरज रोजाना 7 से 8 घंटे का कड़ा अभ्यास कर रहा है। नीरज से इस बार भी देश को गोल्ड मेडल की आशा है। इसके अलावा भी पिता ने अपनी दिल के भाव बताते हुए कहा कि वे टोक्यो ओलिंपिक जैसा ही जश्न इस बार भी मनाना चाहते हैं। बेटा ये अवसर देने की पूरी कोशिश करेगा। 90 मीटर का थ्रो पार करें, इस तरह की उम्मीद है।
खिलाड़ी का दिन खेल में बहुत मायने रखता है
पिता ने कहा कि वैसे तो देश को नीरज से गोल्ड मेडल की आस है। नीरज ने तैयारी भी वैसी ही की है। लेकिन एक खिलाड़ी के लिए उसका दिन बहुत मायने रखता है। उस दिन किस खिलाड़ी के सितारे चमकेंगे, ये बहुत महत्वपूर्ण होता है। ये निर्भर करता है कि उस दिन खिलाड़ी की बॉडी किस तरह काम करेगी। क्योंकि मेहनत हर खिलाड़ी करता है। 6 अगस्त को क्वालीफाई मैच है। यहां से वह अपने फाइनल का सफर तय करें।
ये इतिहास रचने का नीरज के पास मौका
नीरज अगर 8 अगस्त को स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहते हैं तो वह भाला फेंक में अपने खिताब का बचाव करने वाले दुनिया के पांचवें खिलाड़ी और लगातार दो व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन जाएंगे।
इससे पहले एरिक लेमिंग (स्वीडन; 1908 और 1912), जॉनी मायरा (फिनलैंड; 1920 और 1924), जेलेजनी (चक गणराज्य; 1992, 1996 और 2000) और एंड्रियास थोरकिल्डसन (नॉर्वे; 2004 और 2008) ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक की भाला फेंक स्पर्धा में अपने खिताब का बचाव किया।
इस साल सिर्फ तीन प्रतियोगिताएं खेले हैं नीरज
नीरज ने इस साल केवल तीन प्रतियोगिताओं में भाग लिया, लेकिन यह 26 वर्षीय खिलाड़ी इसलिए स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार है क्योंकि विश्व स्तर पर उनका कोई भी अन्य प्रतिद्वंद्धी इस सत्र में असाधारण प्रदर्शन नहीं कर पाया है। इस भारतीय एथलीट ने मई में दोहा डायमंड लीग में हिस्सा लिया था।
जिसमें उन्होंने 88.36 मीटर के थ्रो के साथ दूसरा स्थान हासिल किया था। जो इस सत्र में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। उन्होंने इसके बाद एहतियात के तौर पर ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक से नाम वापस ले लिया, क्योंकि वह अपनी जांघ की मांसपेशियों में दर्द महसूस कर रहे थे।