माघ मास की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा मनाई जाती है। 27 नक्षत्रो में मघा नक्षत्र के नाम से “माघ पूर्णिमा” की उत्पत्ति होती है। इस तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व बताया गया है। इस वर्ष यह शुभ योग 26 फरवरी शुक्रवार के दिन पड़ रहा है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन जो भी जातक गंगा स्नान करते है तथा उसके बाद जप और दान करते है उन्हें सांसारिक बंधनो से मुक्ति मिलती है।
यह स्नान सम्पूर्ण माघ मास में चलता है अर्थात पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होता है। सम्पूर्ण मास में गंगा स्नान करने का विशेष महत्त्व है न की केवल पूर्णिमा के दिन। यदि आप सम्पूर्ण मास में स्नान न कर सके, तो तीन दिन अथवा एक दिन माघ स्नान अवश्य ही करना चाहिए। जो जातक पूरे महीने गंगा स्नान करता वह इसी जन्म में मुक्ति का भागीदार होता है। त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है। कहा जाता है कि माघ स्नान करने वाले व्यक्ति पर भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर धन-धान्य, सुख-समृद्धि तथा संतान एवं मुक्ति प्रदान करते हैं।
माघ पूर्णिमा का पौराणिक महत्व
हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ मास में सभी देवता मानव रूप धारण करके स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आकर वास करते है तथा प्रयागराज में स्नान, जप और दान करते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयाग गंगा यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है इसी कारण इस स्थान का विशेष महत्व हो जाता है।आ इस दिन ही होली का डंडा गाड़ा जाता है। इस दिन भैरव जयंती भी मनाने की परम्परा है। जो जातक चिरकाल तक स्वर्गलोग में रहना चाहते हैं। उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर अवश्य तीर्थ स्नान करना चाहिए।
स्वर्गलोके चिंर वासो येषां मनसि वर्तते |
यत्र क्वापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे॥
माघ पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्त्व
माघ पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्त्व भी माना गया है। जब चन्द्रमा अपनी ही राशि कर्क में होता है तथा सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में होता है तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। इस योग में सूर्य और चन्द्रमा एक दूसरे से आमने सामने होते है। इस योग को पुण्य योग भी कहा जाता है। इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से मिलने वाले कष्ट शीघ्र ही नष्ट हो जाते है। जिस जातक की जन्मकुंडली में चन्द्रमा नीच का है तथा मानसिक संताप प्रदान कर रहा है तो उसे सम्पूर्ण मास गंगा जल से स्नान करना चाहिए तथा अंतिम दिन दान करना चाहिए ऐसा करने से चन्द्रमा का दोष समाप्त हो जाता है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य तुला राशि में है तथा मान-सम्मान, यश में मी प्रदान कर रहा है तो वैसे व्यक्ति को माघ स्नान करना चाहिए तथा सूर्य भगवान् को प्रतिदिन अर्घ्य देना चाहिए ऐसा करने से सूर्य से मिलने वाले कष्ट दूर हो जाते है।
माघ पूर्णिमा व्रत कथा
प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नामक विद्वान ब्राह्मण निवास करते थे। ये बहुत ही लालची थे। इनका जीवन का मूल उद्देश्य येन केन प्रकारेण धन कमाना था तथा उन्होंने ऐसा किया भी। धन कमाते कमाते वे वृद्ध दिखने लगे। वे अनेक प्रकार के व्याधि से ग्रस्त हो गए। इसी मध्य उन्हें अचानक संज्ञान हुआ की आजतक मैंने सारा जीवन धन कमाने में ही नष्ट कर दिया है। मुक्ति के लिए मैंने कुछ भी नहीं किया है। अब मेरे जीवन का उद्धार कैसे होगा? मैंने तो आजतक कोई सत्कर्म नहीं किया है। उसी समय उन्हें अचानक एक श्लोक स्मरण आया, जिसमें माघ मास में स्नान का महत्त्व बताया गया था। शुभव्रत ने उसी श्लोक के अनुरूप माघ स्नान का संकल्प लिया और नर्मदा नदी में स्नान करने लगे। इस प्रकार वे लगातार 9 दिनों तक प्रात: नर्मदा के जल में स्नान करते रहे। दसवें दिन स्नान के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। उनके मृत्यु का समय आ गया था वे सोचने लगे की मैंने तो आजीवन धनार्जन में लगा रहा कोई भी सत्कार्य नहीं किया अतः मुझे तो नरकलोक में ही रहना पड़ेगा। परन्तु माघ मास में स्नान करने के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र गंगा, यमुना नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए । यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने की पानी मे गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। यदि गंगाजल भी उपलब्ध न हो तो हाथ में जल लेकर इस संकल्प मन्त्र का उच्चारण करे —
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्यैतस्य मासानाम् मासोतमे मासे माघ मासे शुक्ल पक्षे पूर्णिमा शुभ पूण्य तिथौ रविवासरे अमुक (अपने गौत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नः शर्माऽहं/(वर्माऽहं/गुप्तोऽहं/दासोऽहं ) ममात्मनः सपरिवारस्य सर्वारिष्ट निरसन पूर्वक सर्वपाप क्षयार्थं, दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, श्रुति स्मृति पुराणतन्त्रोक्त फल प्राप्तयर्थं, सकल मनोरथ सिध्यर्थं अहम अपना नाम लेकर माघ पूर्णिमा स्नान करिष्ये। फिर निम्न मंत्र बोलें।
ॐ गंगे च यमुना गोदावरी नर्मदे सिंधु कावेरी अस्मिन जले सन्निधिं कुरु। इस मंत्र के उच्चारण के बाद स्नान करना प्रारम्भ करे। स्नान के बाद सूर्यदेव को “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मन्त्र से अर्घ्य देना चाहिए।
इसके बाद मन में माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दोपहर में किसी गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दे। दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान करे तथा काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करे।
माघ पूर्णिमा व्रत में स्नान और दान से लाभ
माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करने से शारीरिक व्याधियां दूर होती हैं और शरीर निरोगी होता है। इस दिन स्नान-ध्यान कर भगवान महादेव या विष्णु की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को तिल और कम्बल का दान करना चाहिए ऐसा करने से जातक को नरक लोक से मुक्ति मिलती है। माघ की पूर्णिमा पर ब्रह्मवैवर्तपुराण का दान करे ऐसा करने से श्रद्धालु को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है । सभी पापों से विमुक्ति, स्वर्गलाभ तथा भगवान् वासुदेव की प्राप्ति के लिए सभी श्रद्धालुओं को माघ स्नान करना चाहिए।
माघ पूर्णिमा के राशि अनुसार उपाय
मेष - माघ पूर्णिमा पर मेष राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं और चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं। ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं।
वृष - इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है। वृष राशि शुक्र की राशि है और राशि स्वामी शुक्र प्रसन्न होने पर भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं। शुक्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें।
मिथुन - इस राशि का स्वामी बुध, चंद्र के साथ मिल कर आपकी व्यापारिक एवं कार्य क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित करता है। उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा।
कर्क - आपके मन का स्वामी चंद्रमा है, जो कि आपका राशि स्वामी भी है। इसलिए आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ दूध मंदिर में दान देना चाहिए।
सिंह - आपका राशि का स्वामी सूर्य है। माघ पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए मंदिर में गुड़ का दान करें तो आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है।
कन्या - इस पर्व पर आपको अपनी राशि के अनुसार 3 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना या दूध अथवा अन्य सफेद वस्तुओ का दान विशेष लाभदाई रहेगा।
तुला - इस राशि पर शुक्र का विशेष प्रभाव होता है। इस राशि के लोग धन और ऐश्वर्य के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें।
वृश्चिक - इस राशि में चंद्रमा नीच का होता है। सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें।
धनु - इस राशि का स्वामी गुरु है। इसलिए इस राशि वालों को माघी पूर्णिमा के अवसर पर किए गए दान का पूरा फल मिलेगा। चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें। गुरु अथवा गुरु तुल्य महानुभावो को धन का दान करें।
मकर - इस राशि का स्वामी शनि है। आप बहते पानी में चावल बहाएं। इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
कुंभ - इस राशि के लोगों का राशि स्वामी शनि है। इसलिए इस पर्व पर शनि के उपाय करें तो विशेष लाभ मिलेगा। आज दृष्टिहीनों को भोजन अवश्य करवाएं।
मीन - माघ पूर्णिमा के अवसर पर आपकी राशि से चंद्र पंचम होगा। इसलिए आप सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।