वर्ष 2026 में शुरू होने वाली इस यूनिट से 150 लोगों को रोजगार मिलेगा। यह एआई डाटा सेंटर परंपरागत डाटा सेंटर से अलग तकनीक से तैयार किया जा रहा है। इसमें एयर कूलिंग की जगह लिक्विड कूलेंट यानी शीतलक का उपयोग किया जाएगा।
पीथमपुर में उच्च क्षमता की बिजली और इंटरनेट के लिए फाइबर केबल की उपलब्धता है, इसलिए यहां एआई डाटा सेंटर आसानी से शुरू किया जा सकता है। इसके अलावा चेन्नई, बेंगलुरू और मुंबई की तुलना में यहां जमीन भी अपेक्षाकृत सस्ती मिल रही है।
फिलहाल मध्य प्रदेश में एक निजी और एक सरकारी डाटा सेंटर ही है। इस लिहाज से आने वाले समय में मध्य प्रदेश एआई डाटा सेंटर का हब बन सकता है। यह सेंटर भारत, जापान, यूरोप और अमेरिका में काम कर रही कंपनियों को सेवा देगा।
रेकबैंक डाटा सेंटर्स के संस्थापक और इंदौर निवासी नरेंद्र सेन ने बताया कि जमीन मिलने के बाद बुधवार से ही काम भी शुरू कर दिया गया है। आगामी दो वर्ष में प्रोजेक्ट पूरा कर लिया जाएगा। हमारे डाटा सेंटर में सर्वर कूलेंट के अंदर रखा जाएगा।
ऐसा इसलिए भी करना आवश्यक है क्योंकि इसमें उच्च क्षमता की बिजली का उपयोग होता है। डाटा सेंटर को दुनिया में कहीं से भी आपरेट किया जा सकेगा। प्रस्तावित एआई डाटा सेंटर 80 मेगावाट का होगा। पहले फेस में 20 मेगावाट का बनाया जाएगा।
इसके बाद मांग बढ़ने पर अलग-अलग चरण में क्षमता बढ़ाते जाएंगे। नरेंद्र सेन के अनुसार यह इंडस्ट्री पिछले दो-तीन वर्ष से ही विकसित हो रही है, इसलिए आने वाले समय में इंदौर एआइ डाटा सेंटर का हब बन सकता है।
वर्तमान में जो डाटा सेंटर काम कर रहे है। उनमें वेबसाइट होस्टिंग, स्टोरेज आदि होता है। जनरल कंप्यूटिंग होती है। जबकि एआई डाटा सेंटर में जीपीयू (ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट) होती है, जिससे सुपर कंप्यूटर होस्टिंग की जाती है। इसमें 10 गुना अधिक ऊर्जा (बिजली) खर्च होती है।