41) पुन: प्राणायाम:- ह्रीं मंत्र से 4/16/8 42) पुन: कुल्लुका, सेतु, महासेतु, अशोचभंग का जप :- कुल्लुका:- “ह्रीं स्त्रीं हूँ” मन्त्र को मस्तक पर ७ बार जपे। महासेतु:- “हूँ” मन्त्र को कंठ में ७ बार जपे। सेतु:-“ॐ ह्रीं ” मन्त्र को ह्रदय में ७ बार जपे । अशौचभंग:- “ॐ ह्रीं स्त्रीं हूँ फट् ॐ” मंत्र को हृदय में 7 बार जप करें । 43) जपसमर्पण :- एक आचमनी जल लेकर निम्न मंत्र पढ़कर सामने पात्र मे जल छोड़ दें - " ॐ गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् । सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि ॥" 44) क्षमायाचना :- अपराधसहस्राणि क्रियंतेऽहर्निशं मया । दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि ॥१॥ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् । पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि ॥२॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि । यत्पूजितं मया देवि परिपूर्ण तदस्तु मे ॥३॥ अपराधशतं कृत्वा जगदंबेति चोचरेत् । यां गर्ति समबाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः ॥४॥ सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जग ड्रदानीमनुकंप्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु ॥५॥अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त ्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् च । तत्सर्व क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि ॥६॥ कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानंदविग्रहे । गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ॥७॥ 45) प्रणाम :- ॐ प्रत्यालीढ़पदेघोरे मुण्ड्माला पाशोभीते । खरवे लंबोदरीभीमे श्रीउग्रतारा नामोस्तुते ॥ 46) जप के पश्चात स्त्रोत, ह्रदय आदि का पाठ करना चाहिए । 47) आसन छोडे:- आसन के नीचे १ आचमनी जल छोडकर दाहिनी अनामिका द्वारा ३ बार “शक्राय वषट” कहकर उसी जल द्वारा तिलक कर तभी आसन छोड़ें। ऐसा नही करने पर इन्द्र आपकी सारी पुण्य को ले जाते हैं । विशेष द्रष्टव्य :- यह क्रिया पूर्णतः तांत्रिक है । किसी कौलचार्य से शाक्ताभिषेक या पूर्णाभिषेक दीक्षा लेकर ही उपरोक्त अनुष्ठान करें तभी फल लाभ की आशा की जा सकती है। उग्रतारा पुरश्चरण मे ९ दिन मे कम से कम १ लाख मंत्र जप होना अनिवार्य है। उग्रतारा देवी के मन्त्र रात्रि के समय जप करने से शीघ्र सिद्धि प्रदान करती है। वे सभी साधकों के लिए सिद्धिदायक है। "कोई भी साधना फेसबुक या अन्य नेटवर्किंग साइट पर देखकर नही हो सकती। यदि फेसबुक पर देख कर कोई साधना होती तो सभी सिद्ध हो जाते। फेसबुक पर साधना संबंधी लेख भेजने का तात्पर्य है उक्त देव या देवी के विषय मे ज्ञान प्राप्त करना , उनके विषय मे जानना । साधना करने के लिए सद्गुरु का होना परम आवश्यक है । शक्ति साधना करने के लिए शक्तभिषेक , पूर्णाभिषेक का भी होना परमावश्यक है । " अतएव आप किसी कौलचार्य के मंत्र ग्रहण कर साधना करे तो उसका परिणाम बहुत ही लाभदायक होगा ।"