जनवरी माह से देशभर में धार्मिक और राजनीतिक माहौल सरगर्म रहने की संभावना है, क्योंकि अब लोकसभा चुनाव के लिए लगभग तीन माह का समय ही बचा है। अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जोकि 15 राज्यों और 110 संसदीय क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, उसकी धमक जोरशोर से महसूस की जायेगी। राम मंदिर के धार्मिक आयोजन के बाद भाजपा भी पूरी ताकत के साथ अपने पक्ष में लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक माहौल बनाने में भिड़ जायेगी तो वहीं विपक्षी दलों का इंडिया एलायंस भी अपनी गतिविधियां तेज कर देगा। इस प्रकार यह माह राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह से भरा रहेगा। इंडिया गठबंधन के नेताओं पर ईडी की तलवार लटकी रहेगी और उनमें से कौन-कौन जेल जाता है यह देखने वाली बात होगी, लेकिन यह तो कहा ही जा सकता है कि पूरी तरह से राजनीतिक माहौल गरमाता जायेगा। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले 10 लाख नव-मतदाताओं को भाजपा से जोड़ने के अभियान में भारतीय जनता युवा मोर्चा मैदान में उतर चुका है और उसने अभियान छेड़ दिया है तथा वह विकसित भारत संकल्प यात्राओं में युवाओं को ब्रांड एम्बेसडर बना रहा है।
दक्षिण भारत में कर्नाटक और तेलंगाना का चुनाव जीतने के बाद अब कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा आरंभ करने जा रही है। वहीं कांग्रेस के बढ़ते जनाधार को लेकर कांग्रेस से इतर राजनीति करने वाले दलों ने नये सिरे से अपनी गोटियां बिठाना प्रारंभ कर दिया है। तेलंगाना और आंध्र की राजनीति में नये समीकरण बन रहे हैं। कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर के नेता एच. डी. देवेगौड़ा और भारतीय जनता पार्टी नजदीक आ रहे हैं। तेलंगाना व आंध्र की राजनीति में अब केसीआर और आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन भी मेल-मुलाकात कर रहे हैं, उनकी इस मुलाकात को एक सियासी समीकरण के रुप में देखा जा रहा है। आंध्र में शर्मिला की सक्रियता वायएसआर कांग्रेस के लिए कुछ हद तक नुकसानदायक हो सकती है, क्योंकि शर्मिला जगन मोहन की बहन हैं और वह उनके वोट बैंक में कुछ न कुछ सेंध लगायेंगी। जगन इस चुनौती से निपटने के लिए कांग्रेस के हाथों अपनी एक दशक की सत्ता गंवा बैठे के.चंद्रशेखर राव से अपने रिश्ते सुधार रहे हैं। इस प्रकार इन दोनों राज्यों में नये समीकरण बनते दिखाई पड़ रहे हैं जबकि तामिलनाडु और केरल में पुराने समीकरण ही यथावत हैं, केवल तामिलनाडु में जयललिता की पार्टी एडीएमके की भाजपा से दूरियां बन गयी हैं और वह फिलहाल अपनी अलग राजनीतिक राह खोजने की जुगत में है। दक्षिण भारत की राजनीति में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का वर्चस्व हो गया है और इसी वर्चस्व के सहारे वह लोकसभा में भी अच्छे परिणाम लाने की उम्मीद कर रही है। उसे उम्मीद है कि कर्नाटक और तेलंगाना में उसे सफलता मिलेगी जबकि आंध्र में भी वह अपने लिए कुछ और नई जमीन तलाश सकेगी।
राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा
राहुल गांधी की लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो न्याय यात्रा जनवरी के मध्य से प्रारंभ होगी और इसमें उसका प्रयास होगा कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों से उसका कोई टकराव न हो तथा उनका भी प्रत्यक्ष व परोक्ष समर्थन उसे मिले। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के सभी नेताओं से मतभेद भुलाकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने के लिए कह दिया है। मणिपुर से प्रारंभ होकर यह यात्रा कहीं पैदल तो कहीं वाहनों के द्वारा पूरी होगी और 66 दिन में 6713 किमी की यह यात्रा मणिपुर से प्रारंभ होकर महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई तक जायेगी। उत्तरप्रदेश में जमीन पर कांग्रेस संगठन बिखरा हुआ है और उसकी हालत कोई खास प्रभावी नहीं है, यही कारण है कि यात्रा में सबसे अधिक समय व दूरी उत्तरप्रदेश में ही तय की जायेगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के अनुसार यात्रा में इंडिया गठबंधन में शामिल दलों को भी आमंत्रित किया जायेगा। जयराम रमेश के अनुसार यह यात्रा राजनीति के लिए उतनी ही परिवर्तनकारी साबित होगी जितनी कन्याकुमारी से काश्मीर तक पहली भारत जोड़ो यात्रा हुई थी। यह यात्रा उत्तरप्रदेश में 1074, मध्यप्रदेश में 698, राजस्थान में 128, गुजरात में 445, प. बंगाल में 523, बिहार में 425, झारखंड में 804, उड़ीसा में 341, छत्तीसगढ़ में 536, मेघालय में 5, अरुणाचल में 55, असम में 833, नागालैंड में 257, मणिपुर में 107 और महाराष्ट्र में 480 किमी की दूरी तय करेगी तथा 20 मार्च को इसका मुम्बई में समापन होगा।
मैदान में उतरा भाजयुमो
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने एक बार फिर नव-मतदाताओं को जोड़ने का अभियान शुरु कर दिया है और इस अभियान के तहत उसका देशभर में एक करोड़ मतदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश में दस लाख नव-मतदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य लेकर वह आगे बढ़ रही है। भाजयुमो के प्रदेश के अध्यक्ष वैभव पवार का कहना है कि युवा मोर्चा नव-मतदाताओं को लेकर अभियान चला रहा है, हम हर विधानसभा के हर बूथ पर जाकर नव-मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। प्रदेश में हमारा लक्ष्य कम से कम 10 लाख नए मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने का है। विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले सम्मेलन में 18 से 21 साल के युवा सबसे ज्यादा जुड़ें इसके लिए विशेष प्रयास किए जायेंगे। भाजपा का फ्रंटल आर्गनाइजेशन भाजयुमो नव-मतदाताओं को जोड़ने के अभियान की अगुवाई कर रहा है, इस अभियान के तहत गांवों से लेकर शहरों तक विभिन्न आयोजन कर युवाओं को जोड़ा जा रहा है। 24 जनवरी को प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में नव-मतदाता सम्मेलन आयोजित होंगे और 18 से 21 साल के युवाओं के लिए दो-दो शहरों को चिहिन्त कर लिया गया है। इस तरह 230 विधानसभा क्षेत्रों में 460 स्थानों पर सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे। यह सम्मेलन एक साथ एक ही समय पर आयोजित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सम्मेलनों को वर्चुअली सम्बोधित करेंगे। विधानसभा स्तर पर होने वाले इन सम्मेलनों में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पार्टी के आला पदाधिकारी, मंत्री व विधायक सभी शामिल होंगे।
और यह भी
हाल ही मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वह फिर से लोकसभा चुनाव में दमखम से उतरने की तैयारी कर रही है ताकि उसका जो जनाधार खिसक रहा है उसे बढ़ाया जाए। मध्यप्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों को बसपा ने तीन जोनों में बांट दिया है जिसके तहत अब वहां पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। ग्वालियर व मध्यक्षेत्र में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, राजगढ़, बैतूल और होशंगाबाद संसदीय क्षेत्रों को रखा गया है। रीवा-जबलपुर जोन में खजुराहो, सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा तथा मालवा-निमाड़ और मध्य क्षेत्र-2 में इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, खरगोन, खंडवा, भोपाल व विदिशा को शामिल किया गया है। देखने वाली बात यही होगी कि अपने खिसकते जनाधार को बसपा कितना थाम पाती है।
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