2014 में गायब हुए मलेशिया के विमान MH370 की गुत्थी कुछ दिनों में सुलझ सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर अब विमान की खोज शुरू की जाए, तो विमान कुछ ही दिनों में मिल सकता है। दरअसल, सितंबर में एरोस्पेस एक्सपर्ट जीन-लुक मरचंद और पायलट पैट्रिक ब्लेली ने रिसर्च के बाद उस नए क्षेत्र की जानकारी दी थी, जहां प्लेन के गायब होने की आशंका है।
ब्रिटेन की रॉयल एरोनॉटिकल सोसाइटी में दोनों एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि इस इलाके में 10 दिन के अंदर छानबीन पूरी की जा सकती है। मरचंद ने कहा- ये काम बहुत जल्द हो सकता है। जब तक फ्लाइट का मलबा नहीं मिल जाता, तब तक किसी को नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ था।
दोनों एक्सपर्ट्स ने ऑस्ट्रेलिया की ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, मलेशियाई सरकार और ओशन इनफिनिटी नाम की कंपनी से सर्च शुरू करने की अपील की है। एक्सपर्ट मरचंद ने कहा- मलेशियाई विमान की इस एकतरफा यात्रा को किसी अनुभवी पायलट ने अंजाम दिया होगा।
एक्सपर्ट बोले- फ्लाइट का रूट बदला गया था
जिसने भी प्लेन हाईजैक किया वो बेहद अनुभवी था। उसने पूरी प्लानिंग के साथ इसे अंजाम दिया। प्लेन के केबिन में दबाव को खत्म कर दिया गया, ताकि मलबा ज्यादा न हो और इसे ढूंढा न जा सके।
एक्सपर्ट्स ने ये भी कहा कि जिसने भी इस पूरे मामले को अंजाम दिया, उसे पता था कि अगर विमान के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया तो ये फ्लाइट के तय रूट पर ही होगा। इसके लिए प्लेन के ट्रांसपॉन्डर को बंद करके उसके तय रूट से अलग हटकर यू-टर्न लिया गया होगा। इस दौरान फ्लाइट ऑटो-पायलट मोड पर नहीं रही होगी।
मछुआरे ने किया था फ्लाइट का विंग मिलने का दावा
कुछ दिन पहले एक ऑस्ट्रेलियाई मछुआरे ऑलिवर ने दावा किया था कि MH370 के गायब होने के करीब 6 महीने बाद उसे प्लेन का एक विंग मिला था। सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से बात करते हुए मछुआरे ने कहा था- वो किसी बड़े विमान का पंख था। काश वो मुझे न मिला होता, लेकिन वो मेरे ठीक सामने था। वो बहुत भारी था और उसकी वजह से मछली पकड़ने के लिए हमने जो जाल फेंका था, वो फट गया था।
हमने अपने जाल को काटकर पंख को निकालने की भी कोशिश की थी। ऑलिवर ने कहा कि उसने तब भी अधिकारियों को इसके बारे में बताया था लेकिन किसी ने उस पर यकीन नहीं किया था। मछुआरे ने दावा किया कि वो अब भी अधिकारियों को उस जगह के कॉर्डिनेट्स दे सकते हैं, जहां उन्हें फ्लाइट का विंग मिला था।
टेकऑफ के 38 मिनट बाद गायब हो गया था MH370
मलेशियाई एयरलाइंस का विमान MH370 8 मार्च 2014 को कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना हुआ था। चीन के मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इसमें 239 पैसेंजर सवार थे। टेकऑफ के करीब 38 मिनट बाद फ्लाइट रडार से गायब हो गई थी।
विमान की तलाश में 26 देश के 18 शिप, 19 एयरक्राफ्ट और 6 हेलीकॉप्टर लगे हुए थे। महीनों तक सर्च ऑपरेशन्स चलाने के बाद 2017 में इस अभियान को आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया। हालांकि 2019 में अमेरिकी कंपनी ओशन इनफिनिटी ने फिर से तलाशी अभियान शुरू करने का ऐलान किया था।
एक्सपर्ट का मानना है कि उन्होंने दुनियाभर में रेडियो फ्रीक्वेंसी में हुई गड़बड़ी को ट्रैक करके विमान के अंतिम रास्ते का पता लगा लिया था। समुद्र के ऊपर विमान के रास्ते में हैरतअंगेज पैटर्न पाए गए। ऐसा तब होता है जब पायलट जानबूझकर एयरक्राफ्ट के इंजन को बंद कर दे।
फ्लाइट का ट्रांसपॉन्डर बंद किया गया था
विमान का रास्ता सीधा था, तो हो सकता है कि पायलट जहारी अहमद शाह ने उसे ऑटो-पायलट मोड पर रखा हो। इस दौरान ये भी दावा किया गया था कि विमान का संपर्क खुद नहीं टूटा था, बल्कि इसे तोड़ा गया था। फ्लाइट संख्या MH 370 ने रात 12 बजकर 41 मिनट पर कुआला लंपुर से उड़ान भरी थी। ठीक 38 मिनट बाद विमान का ट्रांसपॉन्डर ऑफ हो गया।
ATC उसी ट्रांसपॉन्डर के जरिए विमान और उसके रूट को जमीन से कंट्रोल करती है। जिस किसी ने भी विमान का ट्रांसपॉन्डर बंद किया वो जानता था कि ट्रांसपॉन्डर के बंद होते ही विमान रडार की नजरों से गायब हो जाएगा।