न्यूयार्क । जानलेवा वायरस कोविड-19 की रोकथाम के लिए वैक्सीन पर दुनिया भर में परीक्षण चल रहे हैं। हालांकि इस बीच एक स्टडी आई है जिसमें दावा किया जा रहा है कि एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं कोरोना के मरीजों को जल्दी ठीक करने का काम कर रहीं हैं। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज ने 1000 लोगों पर ये स्टडी की है और इस स्टडी के नतीजे अमेरिका की दवा कंपनी एली लिली ने जारी किए हैं। इस स्टडी के नतीजे ना तो अभी कहीं प्रकाशित हुए हैं और ना ही किसी वैज्ञानिक द्वार इसकी समीक्षा की गई है। इस स्टडी में बार्सिक्टिनिब दवा का टेस्ट किया गया। इस दवा को एली लिली कंपनी पहले से ही ओल्योमेंट नाम से गठिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा के रूप में बेच रही है। स्टडी में शामिल सभी प्रतिभागियों ने रेमडेसिवीर दवा ली थी। स्टडी के मुताबिक सिर्फ रेमडेसिवीर दवा लेने वाले कोरोना के मरीजों को अस्पताल से चार दिनों में छुट्टी मिली जबकि रेमडेसिवीर के साथ बार्सिक्टिनिब दवा भी लेने वाले मरीजों को अस्पताल से तीन दिनों में छुट्टी मिल गई।
दवा कंपनी एली लिली ने कहा कि उसने रेगुलेटर्स के साथ अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों को इमरजेंसी इस्तेमाल के तहत बार्सिक्टिनिब दवा देने की योजना बनाई है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के पूर्व अधिकारी डॉक्टर जेसी गुडमैन ने कहा कि ये भी जानना जरूरी है कि इनमें से कितने मरीजों नें स्टेरॉयड दवाएं ली हैं। आपको बता दें कि इससे पहले हुई एक रिसर्च में ये जानकारी सामने आई है कि स्टेरॉयड दवाएं लेने वाले मरीजों में कोरोना के गंभीर मरीजों में मरने के खतरे को कम करती हैं। डॉक्टर गुडमैन ने कहा कि ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन दवाओं का बेहतर तरीके से किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि कोरोना के मरीज जल्दी ठीक हो सकें।