Select Date:

जानिए किस कारण से भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को दिया श्राप और कैसे मिली इससे मुक्ति

Updated on 02-04-2021 02:45 PM
हिन्दू पुराणों में ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती है जिनसे सभी मनुष्यों को कोई न कोई प्रेरणा अवश्य मिलती है. भगवान विष्णु से जुड़ी हुई कहानियां किसी न किसी रूप में आज वर्तमान में भी मनुष्यों को जीवन के प्रति सकरात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित करती है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु ने विभिन्न अवतार, मानव कल्याण के लिए रचे थे. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के अश्व रूप की ऐसी ही एक कहानी भागवत पुराण में मिलती है.एक बार भगवान विष्णु बैकुण्ठ लोक में लक्ष्मी के साथ विराजमान थे. उसी समय उच्चेः श्रवा नामक अश्व पर सवार होकर रेवंत का आगमन हुआ.  उच्चेः श्रवा अश्व सभी लक्षणों से युक्त, देखने में अत्यंत सुन्दर था.
उसकी सुंदरता की तुलना किसी अन्य अश्व से नहीं की जा सकती थी. अतः लक्ष्मी जी उस अश्व के सौंदर्य को एकटक देखती रह गई. ये देखकर भगवान विष्णु द्वारा बार-बार झकझोरने पर भी लक्ष्मी एकटक अश्व को देखती रही. तब इसे अपनी अवहेलना समझकर भगवान विष्णु को क्रोध आ गया और खीझंकर लक्ष्मी को श्राप देते हुए कहा- ‘तुम इस अश्व के सौंदर्य में इतनी खोई हो कि मेरे द्वारा बार-बार झकझोरने पर भी तुम्हारा ध्यान इसी में लगा रहा, अतः तुम अश्वी (घोड़ी) हो जाओ.’जब लक्ष्मी का ध्यान भंग हुआ और शाप का पता चला तो वे क्षमा मांगती हुई समर्पित भाव से भगवान विष्णु की वंदना करने लगी- ‘मैं आपके वियोग में एक पल भी जीवित नहीं रह पाऊंगी, अतः आप मुझ पर कृपा करे एवं अपना शाप वापस ले ले.’
तब विष्णु ने अपने शाप में सुधार करते हुए कहा- ‘शाप तो पूरी तरह वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन हां, तुम्हारे अश्व रूप में पुत्र प्रसव के बाद तुम्हे इस योनि से मुक्ति मिलेगी और तुम पुनः मेरे पास वापस लौटोगी’.भगवान विष्णु के श्राप से अश्वी बनी हुई लक्ष्मी यमुना और तमसा नदी के संगम पर भगवान शिव की तपस्या करने लगी. लक्ष्मी के तप से प्रसन्न होकर शिव पार्वती के साथ आए. उन्होंने लक्ष्मी से तप करने का कारण पूछा तब लक्ष्मी ने अश्व हो जाने से संबंधित सारा वृतांत उन्हें सुना दिया और अपने उद्धार की उनसे प्रार्थना की.भगवान शिव ने उन्हें धीरज बंधाते हुए मनोकामना पूर्ति का वरदान दिया.इतना कहकर भगवान शिव अंतर्धान हो गए. कैलाश पहुंचकर भगवान शिव विचार करने लगे कि विष्णु को कैसे अश्व बनाकर लक्ष्मी के पास भेजा जाए.
अंत में, उन्होंने अपने एक गण-चित्ररूप को दूत बनाकर विष्णु के पास भेजा. चित्ररूप भगवान विष्णु के लोक में पहुंचे. भगवान शिव का दूत आया है, यह जानकर भगवान विष्णु ने दूत से सारा समाचार कहने को कहा. दूत ने भगवान शिव की सारी बातें उन्हें कह सुनाई.अंत में, भगवान विष्णु शिव का प्रस्ताव मानकर अश्व बनने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने अश्व का रूप धारण किया और पहुंच गए यमुना और तपसा के संगम पर जहां लक्ष्मी अश्वी का रूप धारण कर तपस्या कर रही थी. भगवान विष्णु को अश्व रूप में आया देखकर लक्ष्मी काफी प्रसन्न हुई. दोनों एक साथ विचरण एवं रमण करने लगे. कुछ ही समय पश्चात अश्वी रूप धारी लक्ष्मी गर्भवती हो गई. अश्वी के गर्भ से एक सुन्दर बालक का जन्म हुआ. तत्पश्चात लक्ष्मी बैकुण्ठ लोक श्री हरि विष्णु के पास चली गई...

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 15 November 2024
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अधिक महत्व माना गया है और इस दिन गंगा स्नान करने का विधान होता है. स्नान के बाद दान करना बहुत ही फलदायी माना…
 15 November 2024
देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती पर आकर गंगा घाट पर दिवाली…
 15 November 2024
वारः शुक्रवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: पूर्णिमा तिथि रहेगी.चंद्र राशि: मेष राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्र : भरणी नक्षत्र रात्रि 9:54 मिनट तक तत्पश्चात कृतिका नक्षत्र रहेगा.योगः व्यातिपात योग रहेगा.अभिजित मुहूर्तः दोपहर 11:40 से 12:25दुष्टमुहूर्त: कोई नहीं.सूर्योदयः प्रातः…
 14 November 2024
बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 14 नवंबर 2024 को है. यह दिन विशेष रूप…
 14 November 2024
14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि त्रयोदशी और गुरुवार का दिन है। त्रयोदशी तिथि आज सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग…
 13 November 2024
वारः बुधवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: द्वादशी दोपहर 1 बजकर 01 मिनट तक तत्पश्चात त्रियोदशी रहेगी.चंद्र राशिः मीन राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्रः रेवती नक्षत्र रहेगा.योगः…
 12 November 2024
वारः मंगलवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/ पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि : एकादशी शाम 4 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. तत्पश्चात द्वादशी रहेगी.चंद्र राशि: मीन रहेगी.चंद्र नक्षत्र : पूर्वा…
 11 November 2024
वारः सोमवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: दशमी शाम 6 बजकर 46 मिनट तक तत्पश्चात एकादशी रहेगी.चंद्र राशि : कुंभ राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्र : शतभिषा सुबह 9 बजकर 39 मिनट तक तत्पश्चात…
 10 November 2024
वारः रविवार, विक्रम संवतः 2081,शक संवतः 1946, माह/पक्ष : कार्तिक मास – शुक्ल पक्ष, तिथि : नवमी तिथि रात 9 बजकर 01 मिनट तक तत्पश्चात दशमी तिथि रहेगी. चंद्र राशि…
Advertisement