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रामशलाका प्रश्नावली से जानिए आपके प्रश्नों का उत्तर

Updated on 22-04-2021 01:34 PM
हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव के दौरान अनेक बार ऐसे मौके आते हैं जब समझ नहीं आता कि हमें कौनसा रास्ता चुनना चाहिए। इस भटकाव से उबरने के लिए श्री राम शलाका प्रश्नावली या रामायण प्रश्नावली के रूप में एक कीमती कुंजी हमें परंपरा से प्राप्त हुई है। लोक मान्यता है कि श्री राम शलाका की उत्पत्ति वाल्मीकिकृत रामायण से हुई है। 
श्री राम चरित मानस एक धार्मिक आस्था का प्रतीक तथा पूज्यनीय ग्रन्थ होने के साथ साथ ज्योतिषीय शास्त्र के रूप में भी अपनी प्रतिष्ठा रखता है। चाहे कैसी भी परेशानी हो, रामायण प्रश्नावली में आपके सभी प्रश्नो का जवाब छुपा है। गोस्वामी तुलसी दास  जी ने नौ चौपाई का प्रयोग इस प्रश्नावली में किया है। एक- एक चौपाई अलग अलग ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली को प्रयोग करने के नियम

श्री राम शलाका प्रश्नावली को प्रयोग करने के लिए कुछ विशेष नियम है जिनका पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए क्योंकि यदि आप पूरे नियमों का पालन करते हुए इस प्रश्नावली का प्रयोग करेंगे तो आपको जो उत्तर मिलेगा वह काफी सटीक होगा और आप देखेंगे कि आपने जो प्रश्न किया है या जिसका उत्तर आपको प्राप्त हुआ है वास्तव में वो सत्य साबित होगा। इसे भगवान श्रीराम की कृपा ही समझें। इसके लिए ये कुछ नियम निम्लिखित रूप से दिए गए हैं:

  • केवल अपने जीवन के अत्यंत आवश्यक प्रश्न का ही हल ढूंढे।
  • केवल समय बिताने के लिए या फिर हंसी मज़ाक के लिए इस प्रश्नावली का प्रयोग बिल्कुल ना करें।
  • जिस भी प्रश्न को आप पूछना चाहते हैं उस प्रश्न को पूछते समय आपके मन में भगवान श्री राम और शलाका के प्रति पूरी आस्था होनी चाहिए।
  • यदि आपका मन सच्चा होगा तो मिलने वाला उत्तर भी सही होगा। इसलिए प्रश्न पूछते समय अपने मन में किसी के प्रति ईर्ष्या अथवा द्वेष की भावना बिल्कुल ना रखें।
  • इस प्रश्नावली का प्रयोग केवल हिंदू धर्म ही नहीं अपितु इस संसार के किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने ईश्वर को याद करके कर सकता है।
  • इस शलाका से प्रश्न पूछने से पूर्व स्नान कर लें और पवित्र होकर इसका प्रयोग करें।
  • बिना नहाए अथवा जूते-चप्पल पहनकर अथवा झूठे हाथों से इस प्रश्नावली का प्रयोग बिलकुल ना करें।
  • केवल आवश्यक प्रश्न का ही उत्तर ढूंढने का प्रयास करें।
  • बेहतर होगा कि एक दिन में एक व्यक्ति द्वारा 3 से 4 सवालों का ही उत्तर जानने का प्रयास किया जाए, इससे अधिक का नहीं।
  •  अंक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आदि नवग्रहों को एक से लेकर नौ अंको के बीच माना गया है।
श्री रामायण प्रश्नावली में नव चौपाइयों को लेकर ही हर प्रश्न का समाधान दिया गया है। इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों के हिसाब से कार्य में संदेह दिखाया गया है जो कि शनि, राहू, और केतु का फल बताती है और तीन चौपाइयों में कार्य सिद्ध होना बताया है जो कि चन्द्र, वृहस्पति और शुक्र का फल हमारे सामने रखती। इसके अलावा तीन चौपाइयों में अनिश्चय की स्थिति रख कर सूर्य, मंगल और बुध के गुणों को हमारे सामने रखती है।
उपयोग विधि - इसमें कोष्ठकों में कुछ अक्षर, मात्राएँ आदि लिखे होते हैं। मान्याता है कि किसी को जब कभी अपने अभीष्ट प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो सर्वप्रथम उस व्यक्ति को भगवान श्रीराम का ध्यान करना चाहिए। फिर अपने प्रश्न का चिंतन करते हुए श्री राम शलाका प्रश्नावली के किसी कोष्ट में अँगुली या कोई शलाका (छोटी डण्डी) रख देना चाहिए। अब श्रीरामशलाका प्रश्नावली के उस कोष्ट में लिखे अक्षर या मात्रा को किसी कोरे काग़ज़ या स्लेट पर लिख लेना चाहिए।
अब उस कोष्ट के आगे (दाहिने) और  बढ़ते हुए उस कोष्ट से प्रत्येक नवें (9) कोष्ट में लिखे अक्षर या मात्रा को उस कागज या स्लेट पर लिखते जाना चाहिए। वह पंक्ति समाप्त होने पर नीचे की पंक्तियों पर बाएँ से दाहिने प्रत्येक नवें (9) कोष्ट में लिखे I यह तब तक करना है जब तक की आप अपने लिखे हुए ( कोष्टक में अँगुली या कोई शलाका (छोटी डण्डी) रखी है ) वहां तक न पहुँच जाए I इस प्रकार जब सभी नवें अक्षर या मात्राएँ जोड़े जाएँगे तो श्री राम चरित मानस की कोई एक चौपाई पूरी हो जाएगी  I जिसमें आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।
9 चौपाई  जिनमे आपके प्रश्नों के जवाब छिपे हैं  -
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
 पूजिहि मन कामना तुम्हारी। 
यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है। गौरीजी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है। फल - प्रश्नकर्त्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। 
हृदय राखि कोसलपुर राजा। 
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है। फल - भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।
उघरें अंत न होइ निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू।। 
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है। फल - इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। 
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।। 
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है। फल - खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य की सफलता में सन्देह है।
होइ है सोई जो राम रचि राखा। 
को करि तरक बढ़ावहिं साषा।। 
यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है। फलः-कार्य होने में सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयष्कर है।
मुद मंगलमय संत समाजू। 
जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।
यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरुपी तीर्थ के वर्णन में है। फल - प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
गरल सुधा रिपु करय मिताई।
 गोपद सिंधु अनल सितलाई।। 
यह चौपाई श्रीहनुमान् जी के लंका प्रवेश करने के समय की है। फल - प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।
बरुन कुबेर सुरेस समीरा। 
रन सनमुख धरि काह न धीरा।। 
यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है। फल - कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। 
राम लखनु सुनि भए सुखारे।। 
यह चौपाई बालकाण्ड पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है। फल - प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
श्री राम चरित मानस रुपी इस शास्त्र को बड़ी श्रद्धा के साथ पीले रंग के वस्त्र में लपेट कर घर में उचित स्थान दे नित्य प्रति पूजन करें तो यह आपके जीवन के सभी प्रश्नों का समाधान करने में सक्षम है।

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