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काली–सहस्रनाम स्तोत्रं -2

Updated on 19-04-2021 09:42 PM
हंसेश्वरी त्रिकोणस्था शाकम्भर्यनुकम्पिनी ।त्रिकोण–निलया नित्या परमामृत–रञ्जिता ।।८९।।
महा–विद्येश्वरी श्वेता भेरुण्डा कुल–सुन्दरी ।त्वरिता भक्त–संसक्ता भक्ति–वश्या सनातनी ।।९०।।
भक्तानन्द–मयी भक्ति–भाविका भक्ति–शंकरी ।सर्व–सौन्दर्य–निलया सर्व–सौभाग्य–शालिनी ।।९१।।
सर्व–सौभाग्य–भवना सर्व सौख्य–निरूपिणी ।कुमारी–पूजन–रता कुमारी–व्रत–चारिणी ।।९२।।
कुमारी–भक्ति–सुखिनी कुमारी–रूप–धारिणी ।कुमारी–पूजक–प्रीता कुमारी प्रीतिदा प्रिया ।।९३।।
कुमारी–सेवकासंगा कुमारी–सेवकालया ।आनन्द–भैरवी बाला भैरवी वटुक–भैरवी ।।९४।।
श्मशान–भैरवी काल–भैरवी पुर–भैरवी ।महा–भैरव–पत्नी च परमानन्द–भैरवी ।।९५।।
सुधानन्द–भैरवी च उन्मादानन्द–भैरवी ।मुक्तानन्द–भैरवी च तथा तरुण–भैरवी ।।९६।।
ज्ञानानन्द–भैरवी च अमृतानन्द–भैरवी ।महा–भयंकरी तीव्रा तीव्र–वेगा तपस्विनी ।।९७।।
त्रिपुरा परमेशानी सुन्दरी पुर–सुन्दरी ।त्रिपुरेशी पञ्च–दशी पञ्चमी पुर–वासिनी ।।९८।।
महा–सप्त–दशी चैव षोडशी त्रिपुरेश्वरी ।महांकुश–स्वरूपा च महा–चक्रेश्वरी तथा ।।९९।।
नव–चक्रेश्वरी  चक्रेश्वरी  त्रिपुर–मालिनी ।राज–राजेश्वरी धीरा महा–त्रिपुर–सुन्दरी ।।१००।।
सिन्दूर–पूर–रुचिरा श्रीमत्त्रिपुर–सुन्दरी ।सर्वांग–सुन्दरी रक्ता रक्त–वस्त्रोत्तरीयिणी ।।१०१।।
जवा–यावक–सिन्दूर –रक्त–चन्दन–धारिणी ।जवा-यावक-सिन्दूर -रक्त-चन्दन-रूप धृक ||१०२ ||
चामरी बाल–कुटिल–निर्मला–श्याम–केशिनी ।वज्र–मौक्तिक–रत्नाढ्या–किरीट–मुकुटोज्ज्वला ।।१०३।।
रत्न–कुण्डल–संसक्त–स्फुरद्–गण्ड–मनोरमा ।कुञ्जरेश्वर–कुम्भोत्थ–मुक्ता–रञ्जित–नासिका ।।१०४।।
मुक्ता–विद्रुम–माणिक्य–हाराढ्य–स्तन–मण्डला ।सूर्य–कान्तेन्दु–कान्ताढ्य–स्पर्शाश्म–कण्ठ–भूषणा ।।१०५।।
वीजपूर–स्फुरद्–वीज –दन्त – पंक्तिरनुत्तमा ।काम–कोदण्डकाभुग्न–भ्रू–कटाक्ष–प्रवर्षिणी ।।१०६।।
मातंग–कुम्भ–वक्षोजा लसत्कोक–नदेक्षणा ।मनोज्ञ–शष्कुली–कर्णा हंसी–गति–विडम्बिनी ।।१०७।।
पद्म–रागांगद–ज्योतिर्दोश्चतुष्क–प्रकाशिनी ।नाना–मणि–परिस्फूर्जच्दृद्ध–कांचन–कंकणा ।।१०८।।
नागेन्द्र–दन्त–निर्माण–वलयांचित–पाणिनी ।अंगुरीयक–चित्रांगी विचित्र–क्षुद्र–घण्टिका ।।१०९।।
पट्टाम्बर–परीधाना कल–मञ्जीर–शिंजिनी ।कर्पूरागरु–कस्तूरी–कुंकुम–द्रव–लेपिता ।।११०।।
विचित्र–रत्न–पृथिवी–कल्प–शाखि–तल–स्थिता ।रत्न–द्वीप–स्फुरद–रक्त–सिंहासन–विलासिनी ।।१११।।
षट्–चक्र–भेदन–करी परमानन्द–रूपिणी ।सहस्र–दल – पद्यान्तश्चन्द्र – मण्डल–वर्तिनी ।।११२।।
ब्रह्म–रूप–शिव–क्रोड–नाना–सुख–विलासिनी ।हर–विष्णु–विरिंचिन्द्र–ग्रह – नायक–सेविता ।।११३।।
शिवा शैवा च रुद्राणी तथैव शिव–वादिनी ।मातंगिनी श्रीमती च तथैवानन्द–मेखला ।।११४।।
डाकिनी योगिनी चैव तथोपयोगिनी मता ।माहेश्वरी वैष्णवी च भ्रामरी शिव–रूपिणी ।।११५।।
अलम्बुषा वेग–वती क्रोध–रूपा सु–मेखला ।गान्धारी हस्ति–जिह्वा च इडा चैव शुभंकरी ।।११६।।
पिंगला ब्रह्म–सूत्री च सुषुम्णा चैव गन्धिनी ।आत्म–योनिब्र्रह्म–योनिर्जगद–योनिरयोनिजा ।।११७।।
भग–रूपा भग–स्थात्री भगनी भग–रूपिणी ।भगात्मिका भगाधार–रूपिणी भग–मालिनी ।।११८।।
लिंगाख्या चैव लिंगेशी त्रिपुरा–भैरवी तथा ।लिंग–गीति: सुगीतिश्च लिंगस्था लिंग–रूप–धृक ।।११९।।
लिंग–माना लिंग–भवा लिंग–लिंगा च पार्वती ।भगवती कौशिकी च प्रेमा चैव प्रियंवदा ।।१२०।।
गृध्र–रूपा शिवा–रूपा चक्रिणी चक्र–रूप–धृक ।लिंगाभिधायिनी लिंग–प्रिया लिंग–निवासिनी ।।१२१।।
लिंगस्था लिंगनी लिंग–रूपिणी लिंग–सुन्दरी ।लिंग–गीतिमहा–प्रीता भग–गीतिर्महा–सुखा ।।१२२।।
लिंग–नाम–सदानंदा भग–नाम सदा–रति: ।लिंग–माला–कंठ–भूषा भग–माला–विभूषणा ।।१२३।।
भग–लिंगामृत–प्रीता भग–लिंगामृतात्मिका ।भग–लिंगार्चन–प्रीता भग–लिंग–स्वरूपिणी ।।१२४।।
भग–लिंग–स्वरूपा च भग–लिंग–सुखावहा ।स्वयम्भू–कुसुम–प्रीता स्वयम्भू–कुसुमार्चिता ।।१२५।।
स्वयम्भू–पुष्प–प्राणा स्वयम्भू–कुसुमोत्थिता ।स्वयम्भू–कुसुम–स्नाता स्वयम्भू–पुष्प–तर्पिता ।।१२६।।
स्वयम्भू–पुष्प–घटिता स्वयम्भू–पुष्प–धारिणी ।स्वयम्भू–पुष्प–तिलका स्वयम्भू–पुष्प–चर्चिता ।।१२७।।
स्वयम्भू–पुष्प–निरता स्वयम्भू–कुसुम–ग्रहा ।स्वयम्भू–पुष्प–यज्ञांगा स्वयम्भूकुसुमात्मिका ।।१२८।।
स्वयम्भू–पुष्प–निचिता स्वयम्भू–कुसुम–प्रिया ।स्वयम्भू–कुसुमादान–लालसोन्मत्त – मानसा ।।१२९।।
स्वयम्भू–कुसुमानन्द–लहरी–स्निग्ध देहिनी ।स्वयम्भू–कुसुमाधारा स्वयम्भू–कुसुमा–कला ।।१३०।।
स्वयम्भू–पुष्प–निलया स्वयम्भू–पुष्प–वासिनी ।स्वयम्भू–कुसुम–स्निग्धा स्वयम्भू–कुसुमात्मिका ।।१३१।।
स्वयम्भू–पुष्प–कारिणी स्वयम्भू–पुष्प–पाणिका ।स्वयम्भू–कुसुम–ध्याना स्वयम्भू–कुसुम–प्रभा ।।१३२।।
स्वयम्भू–कुसुम–ज्ञाना स्वयम्भू–पुष्प–भोगिनी ।स्वयम्भू–कुसुमोल्लासा स्वयम्भू–पुष्प–वर्षिणी ।।१३३।।
स्वयम्भू–कुसुमोत्साहा स्वयम्भू–पुष्प–रूपिणी ।स्वयम्भू–कुसुमोन्मादा स्वयम्भू पुष्प–सुन्दरी ।।१३४।।
स्वयम्भू–कुसुमाराध्या स्वयम्भू–कुसुमोद्भवा ।स्वयम्भू–कुसुम–व्यग्रा स्वयम्भू–पुष्प–पूर्णिता ।।१३५।।
स्वयम्भू–पूजक–प्रज्ञा स्वयम्भू–होतृ–मातृका ।स्वयम्भू–दातृ–रक्षित्री स्वयम्भू–रक्त–तारिका ।।१३६।।
स्वयम्भू–पूजक–ग्रस्ता स्वयम्भू–पूजक–प्रिया ।स्वयम्भू–वन्दकाधारा स्वयम्भू–निन्दकान्तका ।।१३७।।
स्वयम्भू–प्रद–सर्वस्वा स्वयम्भू–प्रद–पुत्रिणी ।स्वम्भू–प्रद–सस्मेरा स्वयम्भू–प्रद–शरीरिणी ।।१३८।।
सर्व–कालोद्भव–प्रीता सर्व–कालोद्भवात्मिका । सर्व–कालोद्भवोद्भावा सर्व–कालोद्भवोद्भवा ।।१३९।।
कुण्ड–पुष्प–सदा–प्रीतिर्गोल–पुष्प–सदा–रति: । कुण्ड–गोलोद्भव–प्राणा कुण्ड–गोलोद्भवात्मिका ।।१४०।।
स्वयम्भुवा शिवा धात्री पावनी लोक–पावनी ।कीर्तिर्यशस्विनी मेधा विमेधा शुक्र–सुन्दरी ।।१४१।।
अश्विनी कृत्तिका पुष्या तैजस्का चन्द्र–मण्डला। सूक्ष्माऽसूक्ष्मा वलाका च वरदा भय–नाशिनी ।।१४२।। 
वरदाऽभयदा चैव मुक्ति–बन्ध–विनाशिनी । कामुका कामदा कान्ता कामाख्या कुल–सुन्दरी ।।१४३।।
दुःखदा सुखदा मोक्षा मोक्षदार्थ–प्रकाशिनी । दुष्टादुष्ट–मतिश्चैव सर्व–कार्य–विनाशिनी ।।१४४।। 
शुक्राधारा शुक्र–रूपा–शुक्र–सिन्धु–निवासिनी । शुक्रालया शुक्र–भोग्या शुक्र–पूजा–सदा–रति:।।१४५।।
शुक्र–पूज्या–शुक्र–होमा–सन्तुष्टा शुक्र–वत्सला । शुक्र–मूर्ति: शुक्र–देहा शुक्र–पूजक–पुत्रिणी ।।१४६।। 
शुक्रस्था शुक्रिणी शुक्र–संस्पृहा शुक्र–सुन्दरी । शुक्र–स्नाता शुक्र–करी शुक्र–सेव्याति–शुक्रिणी ।।१४७।।
महा–शुक्रा शुक्र–भवा शुक्र–वृष्टि–विधायिनी । शुक्राभिधेया शुक्रार्हा शुक्र–वन्दक–वन्दिता ।।१४८।।
शुक्रानन्द–करी शुक्र–सदानन्दाभिधायिका । शुक्रोत्सवा सदा–शुक्र–पूर्णा शुक्र–मनोरमा ।।१४९।। 
शुक्र–पूजक–सर्वस्वा शुक्र–निन्दक–नाशिनी ।  शुक्रात्मिका शुक्र–सम्पत् शुक्राकर्षण–कारिणी ।।१५०।।  
शारदा साधक–प्राणा साधकासक्त–मानसा । साधकोत्तम सर्वस्वा साधकाअभक्त रक्तपा ||१५१|| 
साधकानन्द–सन्तोषा साधकानन्द–कारिणी । आत्म–विद्या ब्रह्म–विद्या पर ब्रह्म स्वरूपिणी ||१५२||
त्रिकूटस्था पञ्चकूटा सर्व–कूट–शरीरिणी ||  सर्व–वर्ण–मयी देवी जप–माला–विधायिनी ।।१५३||


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